डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की औपचारिक प्रक्रिया शुरू, 31 अक्टूबर को होगा मतदान
वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हो गई है। इसके तहत अब ट्रंप के खिलाफ 31 अक्टूबर को अमेरिकी हाउस में वोटिंग की जाएगी। अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने सोमवार को घोषणा कर कहा कि महाभियोग की प्रक्रिया को औपचारिक रूप देने के लिए सदन में गुरुवार को मतदान किया जाएगा।
पहली बार ऐसा होगा कि सदन की कार्यवाही रिकॉर्ड की जाएगी। बता दें महाभियोग की प्रक्रिया के तहत ट्रंप को पद से हटाने के लिए 20 रिपब्लिकन सांसदों की भी जरूरत होगी, जो ट्रंप के खिलाफ मतदान करेंगे। इस प्रक्रिया की शुरुआत नैंसी पेलोसी ने की थी। इसके तहत अगर ट्रंप को पद से हटाना है तो 20 रिपब्लिकन सांसदों को अपने ही राष्ट्रपति के खिलाफ जाना होगा। अमेरिकी इतिहास में आज तक किसी भी राष्ट्रपति को महाभियोग के जरिए नहीं हटाया गया है।
महाभियोग प्रक्रिया में इस बात की जांच की जाएगी कि क्या ट्रंप ने 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल करने के लिए अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल किया था। क्या उन्होंने दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने के लिए विदेशी सरकार से सहायता मांगी थी। पेलोसी ने कहा था कि अगर ट्रंप पर लगे आरोप सही साबित होते हैं, तो उन्होंने अमेरिकी संविधान का उल्लंघन किया है। उन्होंने कहा कि "राष्ट्रपति की जवाबदेही तय होनी चाहिए, कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।"
क्या है मामला?
वॉचडॉग से शिकायत की बात बीते महीने की है, तब कहा गया कि अमेरिका के खुफिया अधिकारियों ने सरकार के एक वॉचडॉग से इस बात की शिकायत की थी कि ट्रंप ने एक विदेशी नेता से बातचीत की है। बाद में इस बात की जानकारी मिली कि वो विदेशी नेता कोई और नहीं बल्कि यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदीमीर जेलेंस्की हैं
बाद में इस शिकायत को खुफिया इंस्पेक्टर ने ध्यान में लाने योग्य बताया। इस शिकायत की कॉपी की डेमोक्रेटिक नेताओं ने मांग भी की थी, लेकिन ना तो व्हाइट हाउस और ना ही अमेरिकी न्याय विभाग ने इसे मुहैया कराया। हालांकि दोनों नेताओं के बीच क्या बातचीत हुई, ये अभी साफ नहीं हो पाया है।
लेकिन डेमोक्रेटिक पार्टी आरोप लगा रही है कि ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति से ड्रेमोक्रेटिक प्रतिद्विंद्वी जो बाईडन और उनके बेटे के खिलाफ भ्रष्टाचार के दावों की जांच शुरू करने को कहा था। केवल इतना ही ट्रंप ने उनपर इस बात का भी दबाव बनाया कि अगर वह ऐसा नहीं करते तो उन्हें दी जा रही सैन्य सहायता पर रोक लगा दी जाएगी।