डोनाल्ड ट्रंप के आने के बाद भी भारत और अमेरिका के बीच जारी रहेगी हॉटलाइन
जनवरी 2015 में जब भारत आए थे अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा तब व्हाइट हाउस और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के बीच हुआ था हॉटलाइन का ऐलान। अगस्त 2015 में शुरू हुई थी दोनों देशों के बीच हॉटलाइन।
वाशिंगटन। जनवरी 2015 में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका और भारत के बीच एक हॉटलाइन शुरू करने का ऐलान किया था। खबरें आ रही हैं कि 20 जनवरी को जब अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के बाद भी दोनों देशों के बीच हॉटलाइन जारी रहेगी।
अगस्त 2015 से है ऑपरेशनल
पीएमओ
और
व्हाइट
हाउस
के
बीच
अगस्त
2015
में
हॉटलाइन
आधिकारिक
तौर
शुरू
हो
गई
थी।
यह
पहला
मौका
था
जब
दोनों
देशों
के
बीच
इस
तरह
की
हॉटलाइन
सेवा
शुरू
हुई
थी।
ओबामा
के
आठ
वर्षों
के
कार्यकाल
में
भारत
और
अमेरिका
के
बीच
शुरू
हुई
यह
हॉटलाइन
दोनों
देशों
के
बीच
मजबूत
होते
संबंधों
की
गवाह
बनी
थी।
दोनों
देशों
के
नेशनल
सिक्योरिटी
एडवाइजर
(एनएसए)
इस
पर
सीधे
बातचीत
कर
सकते
हैं।
व्हाइट
हाउस
के
प्रेस
सेक्रेटरी
जोश
अर्नेस्ट
ने
कहा,
'उन्हें
काफी
हैरानी
होती
अगर
इसे
बंद
कर
दिया
जाता
तो।
इस
तरह
की
व्यवस्था
एक
कार्यकाल
के
खत्म
होने
के
बाद
भी
जारी
रहती
हैं।'
जनवरी
2015
में
राष्ट्रपति
ओबामा
पहले
अमेरिकी
राष्ट्रपति
बने
थे
जो
बतौर
मुख्य
अतिथि
भारत
की
गणतंत्र
दिवस
परेड
के
मेहमान
बने
थे।
जहां
अमेरिका
और
भारत
के
राष्ट्राध्यक्षों
और
एनएसए
के
बीच
हॉटलाइन
शुरू
हो
गई
है
तो
वहीं
अभी
तक
पाकिस्तान
और
अमेरिका
के
बीच
ऐसा
कोई
भी
जरिया
नहीं
बन
सका
है।
और कौन-कौन से देश के बीच हॉटलाइन
- भारत-अमेरिका
- भारत-पाकिस्तान
- अमेरिका-रूस
- अमेरिका-यूके
- रूस-चीन
- रूस-फ्रांस
- रूस-यूके
- अमेरिका-चीन
- चीन-भारत
- चीन-जापान
- नॉर्थ कोरिया-साउथ कोरिया
क्या है हॉटलाइन
- हॉटलाइन को एक सुरक्षित तरीका माना जाता है।
- हॉटलाइन के जरिए दो देशों के राष्ट्राध्यक्ष सीधे एक-दूसरे से कनेक्ट हो पाते हैं।
- भारत और अमेरिका के एनएसए अब बिना किसी दूसरे चैनल के सीधे एक दूसरे से कनेक्ट हो सकेंगे।
- भारत और अमेरिका के एनएसए सुरक्षा से जुड़े कई मुद्दों पर बात कर सकेंगे।
- अमेरिका और भारत के बीच हॉटलाइन की शुरुआत एक नए आत्मविश्वास को भी दर्शाता है।
- मोदी और ओबामा ने रिश्तों को नई ऊंचाईयों पर ले जाने के मकसद से इसकी शुरुआत की थी।
- दोनों का अहम मकसद है कि वह नियमित तौर पर एक दूसरे से जुड़े रहना चाहते हैं।
- इस हॉटलाइन के जरिए भारत और अमेरिका दोनों ही कई अतंराष्ट्रीय मुद्दों पर बात कर सकते हैं।
- हॉटलाइन के बाद दोनों देशों के बीच इंटेलीजेंस भी काफी तेजी से शेयर हो पाती है।