इटली की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं जियोर्जिया मेलोनी, तानाशाह मुसोलिनी की कट्टर समर्थक हैं नई PM!
जॉर्जिया मेलोनी की ब्रदर्स ऑफ इटली पार्टी के नेतृत्व में धुर-दक्षिणपंथी पार्टियों का गठबंधन आम चुनाव में 43.8 फीसदी वोट हासिल किया था।
जियोर्जिया मेलोनी (Giorgia Meloni) ने इटली के प्रधानमंत्री (Italy New Prime Minister) के रूप में शपथ ली। मेलोनी को इटली के राष्ट्रपति सर्जियो मटेरेला ने रोम के क्विरिनाले पैलेस में आयोजित एक समारोह में शपथ दिलाई। जियोर्जिया मेलोनी के साथ 24 मंत्रियों ने भी शपथ ली, जिनमें छह महिला मंत्री शामिल हैं। मेलोनी एक ऐसी पार्टी का नेतृत्व करती हैं जिन्होंने एलजीबीटीक्यू और गर्भपात अधिकारों को कम करने का प्रस्ताव दिया है।
मुसोलिनी की कट्टर समर्थक हैं मेलोनी
मेलोनी को इटली के फासीवादी तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी का समर्थक और इस्लामोफोबिक नेता माना जाता है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह पहला मौका होगा, जब इटली में किसी दक्षिणपंथी पार्टी की सरकार बनी है। इटली की राजधानी रोम से आने वाली 45 वर्षीय मेलोनी एक ऐसी पार्टी का नेतृत्व करती हैं जिसने एलजीबीटीक्यू और गर्भपात अधिकारों को कम करने का प्रस्ताव दिया है।
राष्ट्रवाद का आकर्षण अब भी बरकरार
बता दें कि, पिछले महीने संसदीय चुनावों में मेलोनी की जीत से यह तो पता चल ही गया है कि इटली में राष्ट्रवाद का आकर्षण कम नहीं हुआ है। हालांकि, उनका जो संकल्प है उससे देश किस दिशा की ओर मुड़ता है, यह तो आने वाला वक्त ही तय करेगा।
गठबंधन की सरकार आगे क्या करेगी?
जॉर्जिया मेलोनी की ब्रदर्स ऑफ इटली पार्टी के नेतृत्व में धुर-दक्षिणपंथी पार्टियों का गठबंधन आम चुनाव में 43.8 फीसदी वोट हासिल किया था। जबकि मेलोनी की पार्टी ब्रदर्स ऑफ इटली को अकेले 26 प्रतिशत वोट हासिल हुए। बता दें कि नई सरकार दो अन्य दक्षिणपंथी नेताओं के साथ गठबंधन से बनी है। एक पूर्व आंतरिक मंत्री माटेओ साल्विनी हैं, जो 2018 में कट्टर-दक्षिणपंथी नेता के तौर पर जाने जाते हैं। दूसरे हैं सिल्वियो बर्लुस्कोनी,मध्य-दक्षिणपंथी पूर्व इतालवी प्रधान मंत्री को व्यापक रूप से युवा महिलाओं के साथ उनके 'बंगा बुंगा' सेक्स स्कैंडल के लिए याद किया जाता है। ये दोनों सार्वजनिक रूप से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की जमकर प्रशंसा करते दिखाई दिए। इससे यह सवाल भी उठने लगे हैं कि रूस के लिए इस नए गठबंधन की सरकार का दृष्टिकोण क्या होगा।
ब्रदर्स आफ इटली को जीत मिली थी
बता दें कि, मेलोनी ने शपथ ग्रहण से पहले राष्ट्रपति सर्जियो मटेरेला से राष्ट्रपति भवन जाकर मुलाकात की थी और उन्हें मंत्रियों की सूची सौंपी थीं। इटली के संसदीय चुनाव में 25 सितंबर को मेलोनी के नेतृत्व में ब्रदर्स आफ इटली को जीत मिली थी। शपथ ग्रहण के बाद नई सरकार को अगले सप्ताह संसद के सदनों में विश्वास मत प्राप्त करना होगा।
काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा
बता दें कि, 1946 के बाद से इटली की 68वीं सरकार को कई बड़ी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ेगा। सबसे पहले तो उन्हें यूक्रेन युद्ध से उत्पन्न ऊर्जा संकट और मंदी की आशंकाओं से जूझना पड़ सकता है। यूक्रेन संकट के कारण पूरा यूरोप बिजली संकट का सामना कर कर रहा है। जियोर्जिया मेलोनी प्रधानमंत्री तो बन गईं अब आगे की चुनौतियों का वह कैसे सामना करती हैं, यह तो वक्त ही तय करेगा। वैसे भी ब्रिटेन का हाल तो दुनिया देख ही रही है, जहां लिज ट्रस मात्र 45 दिन तक ही प्रधानमंत्री रहीं। वह जिन वादों के साथ सत्ता में आई थीं, उसे पूरा नहीं कर पाई।
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