जर्मनी में 100 सालों बाद सबसे बड़ी तबाही, हजारों लोग लापता, सैकड़ों की गई जान, विकास से बर्बादी ?
यूरोपीय देशों में बाढ़ से बर्बादी फैली हुई है। जर्मनी में पिछले सौ सालों के बाद सबसे बड़ी तबाही मच गई है।
नई दिल्ली, जुलाई 17: प्रकृति के कोप ने यूरोपीय देशों की स्थिति काफी खराब करके रख दी है। जर्मनी और बेल्जियम के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में शुक्रवार को हजार से ज्यादा लोग लापता हो चुके हैं, लेकिन स्थिति और ज्यादा नाजुक होती जा रही है। पानी का स्तर लगातार बढ़ता ही जा रही है। भीषण बाढ़ में मरने वालों की संख्या सौ से ज्यादा हो चुकी है और हजार से ज्यादा लापता लोगों को लेकर कोई जानकारी नहीं है। जर्मनी और नीदरलैंड के कई इलाकों में कम्यूनिकेशन के सारे साधन पूरी तरह से बर्बाद हो चुके हैं, जिसकी वजह से राहत और बचाव कार्य चलाना काफी मुश्किल साबित हो रहा है।
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जर्मनी में हर तरफ बर्बादी
रिपोर्ट के मुताबिक भीषण बाढ़ ने जर्मनी में भयानक तबाही मचाई है और सिर्फ जर्मनी में अब तक 103 से ज्यादा लोगों की मौत भीषण बाढ़ में हो चुकी है, जो पिछले सौ सालों में सबसे बड़ी त्रासदी है। बताया जा रहा है कि जर्मनी के कोलोन के सिजिंग में रात को अचानक एक गांव में पानी घुस गया और पानी के तेज बहाव की वजह से कई घर पूरी तरह से बह गये और दर्जनों लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग लापता हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, मरने वालों की संख्या में भारी इजाफा हो सकता है, क्योंकि सैकड़ों घरों के बहने की खबर है। वहीं, स्थानीय मीडिया ने कहा है कि बेल्जियम में बाढ़ के पानी में बहने से 14 लोगों की मौत हो गई है।
संचार साधन पूरी तरह से ध्वस्त
रिपोर्ट के मुताबिक जर्मनी में करीब सवा लाख लोगों से शुक्रवार को पूरी तरह से संपर्क टूटा रहा और संचार के सारे साधन ध्वस्त हो चुके थे। टेलीफोन लाइनें टूट चुकी थीं तो बिजली व्यवस्था भी पूरी तरह से ठप पड़ चुकी थी। बताया जा रहा है कि संपर्क टूटने के बाद प्रशासन के हाथ पांव फूल गये थे, क्योंकि बाढ़ का पानी लगातार बढ़ता ही जा रहा था। जिसके बाद प्रशासन ने बड़े स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया और लोगों तक राहत सामग्री मुहैया करवाई। राइनलैंड-पैलेटिनेट राज्य के कोलोन में जिला प्रशासन ने कहा है कि अचानक पानी की तेज बहाव में करीब 1300 लोग लापता हो गये हैं, जिनकी तलाश हवाई जहाज से की जा रही है। वहीं, प्रशासन ने आशंका जताई है कि कई लोगों की बाढ़ के पानी में डूबने से मौत हो सकती है।
बचाव कार्य में जर्मन सेना लगी
जर्मनी की मीडिया के मुताबिक भीषण बाढ़ को देखते हुए जर्मनी की सेना को राहत और बचाव कार्य में लगा दिया गया है और करीब 700 से ज्यादा जर्मन सैनिक लगातार लोगों की जान बचा रहे हैं। वहीं, प्रशासन को सबसे बड़ा डर बांधों के टूटने को लेकर है। दरअसल, जर्मनी जैसे देशों में विकास कार्यों के लिए बहुत बड़े पैमानों पर बांधों का निर्माण किया गया है, जिससे पानी को निकलने को रास्ता ही नहीं बचा है। लेकिन, अब दिक्कत ये है कि दर्जनों बांधों में लबालब पानी भरा हुआ है और बांधों पर काफी ज्यादा प्रेशर है, ऐसे में आशंका बांधों के टूटने को लेकर है। अगर बांध टूटते हैं, तो जर्मनी में जल प्रलय आना तय है। वहीं, गावों को सड़कों से जोड़ने वाले सभी सड़कों पर पानी भरा हुआ है और ज्यादातर गांवों का शहरों से संपर्क टूटने का खतरा मंडरा रहा है।
100 सालों बाद सबसे बड़ी तबाही
वैज्ञानिकों के मुताबिक जर्मनी के लोग सौ सालों के बाद ऐसी तबाही देख रहे हैं। पिछली बार ऐसी तबाही प्रथम विश्व युद्ध और दूसरे विश्व युद्ध के दौरान मची थी। लेकिन इस बार की तबाही प्राकृतिक है। वहीं, वैज्ञानिकों का मानना है कि प्रकृति का विनाश करना अब इंसानों को भारी पड़ रहा है। मौसम वैज्ञानिकों ने यूरोपीयन देशों में आए सैलाब के पीछे की वजह जलवायु संकट को बताया है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि वातावरण में जलवायु परिवर्तन की वजह से वातावरण की जेट स्ट्रीम में बदलाव आया है और उसी की वजह से सैलाब आया है। जो पानी समुद्र में रहता था वो जेट स्ट्रीम की वजह से धरती पर आ गई है। वहीं, वैज्ञानिकों ने कहा है कि अगर जल्द ही जलवायु संकट का समाधान नहीं किया गया, तो आने वाले सालों में स्थिति भयानक विकराल हो जाएगी।