जर्मनी चुनाव: कांटे की टक्कर में हार गई एंजला मर्केल की पार्टी, 15 साल बाद वामपंथी पार्टी की जीत!
एंजला मर्केल ने 15 सालों के बाद चांसलर पद छोड़ने का ऐलान कर दिया था। जर्मनी में चार सालों पर चुनाव होते हैं, जिसमें उनकी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी नहीं बन पाई।
बर्लिन, सितंबर 27: जर्मनी में 15 सालों बाद चांसलर एंजला मर्केल के राजनीतिक सन्यास लेने की घोषणा के बाद हुए चुनाव में उनकी पार्टी को गहरा झटका लदा है और 15 सालों के बाद जर्मनी की राजनीति में वामपंथी विचारधारा ने करवट ली है। जर्मनी के राष्ट्रीय चुनाव में केंद्र-वामपंथी दल सोशल डेमोक्रेट्स (एसपीडी) ने वोट का सबसे बड़ा हिस्सा जीत लिया है और निवर्तमान चांसलर एंजेला मर्केल के केंद्र-दक्षिणपंथी यूनियन ब्लॉक को कांटे के टक्कर में हरा दिया है।
15 साल बाद वामपंथी सरकार?
जर्मनी के चुनाव अधिकारियों ने सोमवार सुबह सुबह घोषणा की है कि, सभी 299 निर्वाचन क्षेत्रों की गिनती से पता चलता है कि सोशल डेमोक्रेट्स ने 25.9 प्रतिशत वोट हासिल किए हैं, जबकि यूनियन ब्लॉक के लिए 24.1 प्रतिशत वोट हासिल किए हैं और सोशल डेमोक्रेट्स ने चुनाव में जीत हासिल कर ली है। जर्मनी के निर्वाचण आयोग के मुताबिक, इनवायरमेंटलिस्ट ग्रीन्स ने 14.8 प्रतिशत वोट हासिल किए हैं, वहीं फ्री डेमोक्रेट्स पार्टी नने 11.5 प्रतिशत वोट हासिल किए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इन दोनों पार्टियों ने चुनाव से पहले ही ऐलान किया था कि जिस भी पार्टी को ज्यादा वोट मिलेंगे, उन्हें वो समर्थन देंगे। लिहाजा अब केंद्र-वामपंथी दल सोशल डेमोक्रेट्स की सरकार बनती नजर आ रही है।
किस पार्टी को कितनी सीटें
जर्मनी चुनाव अधिकारियों के मुताहिक, जर्मनी की 730 सीटों की संसद में एसपीडी पार्टी को 205 सीटें, सीडीयू/सीएसयू पार्टी को 194 सीटें, एलायंस को 90 सीटें, ग्रीन्स को 116 सीटें और डेमोक्रेटिक पार्टी को 91 सीटें मिली हैं। इसके अलावा अल्टर्नेटिव जर्मनी को 84 सीटें, द लेफ्ट को 39 सीटें मिली हैं। सीटों के हिसाब से देखें तो जर्मनी में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है, लिहाजा अब गठबंधन की सरकार ही बनना तय माना जा रहा है। ग्रीन्स और एफडीपी चुनाव से पहले ही कह चुके हैं कि वो ज्यादा सीटें लाने वाली पार्टी को समर्थन देंगे, इस हिसाब से वो सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी के चांसलर उम्मीदवार ओलाफ शुल्ज को समर्थन दे सकते हैं।
जर्मनी में चुनावी तरीके को समझिए
जर्मनी में एक मतदाता को एक बार में दो वोट देने का अधिकार होता है। एक वोट में वो अपने संसदीय क्षेत्र के लिए प्रतिनिधि का चुनाव करता है और दूसरे वोट में वो अपने संसदीय क्षेत्र के लिए राजनीतिक पार्टी का चुनाव करता है। जर्मनी में पहले वोट को एर्सटश्टिमें कहा जाता है, जबकि दूसरे वोट को स्वाइटेश्टिमें कहा जाता है। जर्मनी में सांसदों के लिए 229 सीटें होती हैं और संसद में कुल 598 सीटें होती हैं। लोग जो दूसरा वोट डालते हैं, वो पार्टी को डालते हैं और बाकी बची सीटों पर कौन सी पार्टी जीतेगी इसका फैसला किया जाता है। यानि, बाकी बचे 269 सीटों के लिए भी जनता 47 पार्टियों के बीच फैसला करती है कि किस पार्टी को संसद में भेजा जाए। अब संसद में जिस पार्टी को सबसे ज्यादा जिलों के लोगों ने चुना है, वो पार्टियां और सांसद मिलकर तय करेंगे, कि देश का नया चांसलर कौन बनेगा। संसद के पास 30 दिनों में नया चांसलर चुनने का विकल्प होता है और जो चांसलर चुना जाता है, वही अपने लिए मंत्रियों का चुनाव करता है।