जर्मनी में क्रिसमस तक होगा चांसलर के नाम का ऐलान, राजदूत ने कहा, भारत के बिना वैश्विक मसलों का हल नहीं
भारत में जर्मनी के राजदूत ने भारत को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि तालिबान की सरकार आने के बाद भारत की चिंता को समझा जा सकता है और हम आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ हैं।
नई दिल्ली, सितंबर 27: आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को जर्मनी का साथ मिल गया है। जर्मनी ने कहा है कि वो आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ है और भारत के बिना आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जीतना नामुमकिन है। भारत में जर्मनी के दूत वाल्टर जे लिंडनर ने आतंकवाद के साथ साथ अफगानिस्तान और अंतर्राष्ट्रीय मसलों पर भी भारत का साथ देने का ऐलान किया है।
भारत के साथ आया जर्मनी
भारत में जर्मनी के दूत :वाल्टर जे. लिंडनर ने भारत को लेकर कई बड़ी घोषणाएं की हैं और कहा है कि भारत की जनसंख्या एक अरब 40 करोड़ है और इस हिसाब से विश्व का हर पांचवां शख्स भारतीय है, लिहाजा वैश्विक मुद्दों पर आप कोई भी राए बनाते हैं, तो उसमें आपको भारत को अपने साथ रखना ही होगा। उन्होंने कहा कि, वैश्विक मुद्दे, चाहे वो आतंकवाद हो, ग्लोबल वॉर्मिंग हो, या फिर क्लाइमेट चेंज के खिलाफ लड़ाई हो, भारत के बिना किसी भी लड़ाई में समाधान तक नहीं पहुंचा जा सकता है। भारत में जर्मनी के दूत वाल्टर जे. लिंडनर ने इसके साथ ही अफगानिस्तान मुद्दे पर भी खुलकर बात की है और कहा है कि ''तालिबान के साथ हमारी बातचीत इस शर्त पर है कि अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद को और अधिक बढ़ावा नहीं देना चाहिए...चाहे वह पड़ोसी देशों द्वारा हो, पाकिस्तान द्वारा हो या फिर खुद अफगानिस्तान द्वारा..."। जर्मनी के दूत ने साफ तौर पर पाकिस्तान का भी जिक्र किया है, जो इमरान खान सरकार के लिए बड़ा झटका है।
भारत की चिंता स्वाभाविक
इस सवाल पर, कि अफगानिस्तान में तालिबान के आने से भारत चिंतित है, जर्मनी का इस मुद्दे पर क्या सोचना है? भारत में जर्मनी के दूत वाल्टर जे. लिंडनर ने कहा कि, ''बेशक, हम भारत के इस डर को साझा करते हैं कि तालिबान की इस जीत से अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद को बढ़ावा मिल सकता है, जो कि नहीं होना चाहिए... यह हमारी सबसे बड़ी चिंताओं में से एक है...। आपको बता दें कि जर्मनी ने भी तालिबान की सरकार को मान्यता नहीं देने की बात कही है। वहीं, जर्मनी में इस वक्त चुनावी घमासान मचा हुआ है और अगली सरकार बनने तक तालिबान को लेकर पुराना फैसला ही कायम रहेगा। मगर, आतंकवाद के खिलाफ जर्मनी की जो सख्त नीति है, उसे देखकर एक्सपर्ट्स का कहना है कि तालिबान की सरकार को मान्यता देने के बारे में जर्मनी सोच भी नहीं सकता है।
क्रिसमस तक जर्मनी में नई सरकार
वहीं, भारत में जर्मन राजदूत, वाल्टर जे लिंडनर ने सोमवार को कहा कि बर्लिन में अगली सरकार संभवत: इस क्रिसमस तक बनेगी। आपको बता दें कि जर्मनी में वामपंथी विचारधारा की पार्टी सोशल डेमोक्रेट्स (एसपीडी) पार्टी ने जर्मन संघीय चुनाव में 25 प्रतिशत से अधिक मतों के साथ जीत हासिल की है। एएनआई के साथ एक विशेष इंटरव्यू में लिंडर ने कहा कि, "एक आशावादी के रूप में मुझे लगता है कि क्रिसमस तक जर्मनी में हमारी अगली सरकार होगी, पार्टियों के बीच बातचीत चल रही है।"
कौन होगा जर्मनी का अगला चांसलर?
जर्मनी में आए ताजा चुनावी नतीजे बताते हैं कि जर्मनी की राजनीति में अभी भी अनिश्चितता है कि वहां का अगला चांसलर कौन बनेगा। 16 साल से अधिक समय तक दुनिया के सबसे सफल राजनीतिक नेताओं में से एक के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने वाली मर्केल गठबंधन समझौते पर बातचीत होने तक इस पद पर बनी रहेंगी। सितंबर 2017 में मर्केल की चुनावी जीत के बाद सरकार बनने में पांच महीने से अधिक का समय लगा था। वहीं, एसपीडी और सीडीयू दोनों ने अपने गठबंधन सहयोगी क्रिश्चियन सोशल यूनियन (सीएसयू) के साथ कहा है कि वे नई गठबंधन की सरकार बनाने के लिए बातचीत शुरू करना चाहते हैं।
जर्मनी चुनाव: कांटे की टक्कर में हार गई एंजला मर्केल की पार्टी, 15 साल बाद वामपंथी पार्टी की जीत!