दक्षिणी इजरायल पर फिलिस्तीन ने दागे रॉकेट्स, अल-अक्सा मस्जिद विवाद से फिर भड़केगी लड़ाई?
यरुशलम में अल-अक्सा मस्जिद परिसर में और उसके आसपास के क्षेत्र में पिछले हफ्ते के अंक में फिलिस्तीनियों और इजरायली पुलिस के बीच झड़प हुई थी, जो लंबे समय से इजरायल-फिलिस्तीनी हिंसा का केंद्र रहा है।
तेल अवीव, अप्रैल 19: कई महीनो के बाद मध्य पूर्व में एक बार फिर से अशांति फैलाने वाली लड़ाई शुरू हो सकती है और फिलिस्तीनी आतंकवादियों ने एक बार फिर से इजरायल को उकसाने वाली कार्रवाई शुरू कर दी है, जिससे इजरायल बौखला गया है और माना जा रहा है, कि इजरायल अब जवाबी कार्रवाई करेगा, जिसके बाद हमास के आतंकवादी मानवाधिकार की दुहाई देंगे।
दक्षिणी इजरायल पर रॉकेट हमला
फिलिस्तीनी आतंकवादियों ने सोमवार को कई महीनों के बाद एक बार फिर से दक्षिणी इज़राइल में एक रॉकेट दागा है। यरूशलेम में एक संवेदनशील पवित्र स्थल पर संघर्ष के बाद हमास के आतंकवादियों ने इजरायल के ऊपर घातक हमले शुरू कर दिए हैं, जिसमें वेस्ट बैंक में स्थिति इजरायली सैन्य ठिकाने भी शामिल हैं। हालांकि, हमास के आतंकियों ने जो रॉकेट छोड़ा था, उसे इजरायल ने आसमान में ही मार गिराया है और किसी भी तरह का कोई नुकसान इजरायल को नहीं हुआ है, लेकिन यहूदियों का ये देश भीषण पलटवार करेगा, ये निश्चित है। इजराइल ऐसे सभी प्रोजेक्टाइल के लिए गाजा के इस्लामिक आतंकवादी संगठन हमास को जिम्मेदार ठहराता है, जो आबादी वाले इलाकों में बैठकर और महिलाओं और बच्चों को ढाल बनाकर इजरायल पर रॉकेट दागते हैं और जवाबी कार्रवाई होने पर पीड़ित बनते हुए पूरी दुनिया के सामने मानवाधिकार की दुहाई देकर रोना शुरू कर देते हैं।
इजरायल का पलटवार
वहीं, इजरायली सेना ने कहा है कि, मंगलवार को सुबह सुबह इजरायली लड़ाकू विमानों ने दक्षिणी गाजा पट्टी में हमास के ठिकानों पर बम बरसाए हैं और हमास के हथियार फैक्ट्रियों को निशाना बनाया है, लेकिन इस कार्रवाई में लोगों को चोटें नहीं आई हैं। वहीं, कुछ घंटे पहले, इस्लामिक जिहाद आतंकवादी समूह हमास के नेता, जिसके पास रॉकेटों का एक शस्त्रागार है, उसने एक संक्षिप्त और गुप्त चेतावनी जारी की है, जिसमें यरुशलम में इजरायल की कार्रवाई की निंदा की गई है।
हमास के नेता ने क्या कहा?
फिलिस्तीन के क्षेत्र से बाहर बैठकर आतंकवादी संगठन हमास के नेता जियाद अल-नखला ने एक गुप्त ठिकाने से एक संदेश जारी करते हुए कहा कि, 'गाजा पर इजरायल-मिस्र की नाकेबंदी से पहले 15 सालों तक हमास का इस क्षेत्र पर कह्जा था और कब्जे वाला क्षेत्र येरूसलन और वेस्ट बैंक में क्या हो रहा है, उसपर बोलने से हमें कोई चुप नहीं करा सकता है।' हालांकि, किसी फिलीस्तीनी समूह ने इजरायल पर रॉकेट हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है।
अल-अक्सा मस्जिद विवाद
यरुशलम में अल-अक्सा मस्जिद परिसर में और उसके आसपास के क्षेत्र में पिछले हफ्ते के अंक में फिलिस्तीनियों और इजरायली पुलिस के बीच झड़प हुई थी, जो लंबे समय से इजरायल-फिलिस्तीनी हिंसा का केंद्र रहा है। यह मस्जिद इस्लामवादियों के मुताबिक, तीसरा सबसे पवित्र स्थल माना जाता है और यहूदियों के लिए भी ये जगह सबसे पवित्र स्थान है, जो इसे टेंपल माउंट के रूप में संदर्भित करते हैं, क्योंकि मस्जिद एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, जहां यहूदी मंदिर प्राचीन काल में स्थित थे। इजरायल का कहना है कि, मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया है। पिछले साल अल-अक्सा मस्जिद को लेकर 11 दिनों तक झड़प चली थी, जिसके बाद इजरायल और फिलिस्तीन के बीच लड़ाई शुरू हो गई थी और इजरायली सेना ने फिलिस्तीन की बुरी तरह से पिटाई की थी।
पत्थरबाजी कर रहे फिलिस्तीनी
इजरायली पुलिस ने कहा कि, फिलिस्तीन की तरफ से लगातार पत्थरबाजी की जा रही है, जिसका भरपूर जवाब इजरायली पुलिस दे रही है। इजरायल ने कहा है कि, वो इस बात को सुनिश्चित कर रहा है, कि चाहे वो मुसलमान हों, या ईसाई हों या फिर यहूदी, वो येरूसलम में अपने अपने पवित्र स्थलों पर धार्मिक कार्य कर सकें और किसी भी तरह से दूसरे धर्मवालंबियों को रोकने की इजाजत नहीं दी जाएगी। वहीं, फिलिस्तीन की तरफ से कहा गया है कि, येरूसलम में फिलिस्तीन के जमीन पर इजरायली पुलिस मौजूद है, जो फिलिस्तीन को उकसाने की कोशिश है। फिलिस्तीन का कहना है कि, इजरायल ने अत्यधिक पुलिस फोर्स का इस्तेमाल किया है।
ताजा तनाव की मुख्य वजह
दक्षिणी इजरायल पर हुए हमले से पहले इजरायली प्रधानमंत्री नेफ्ताली बेनेट ने सोमवार को कहा था, कि इजरायल "हमास के नेतृत्व वाले अभियान" का लक्ष्य रहा है। वहीं, अगर ताजा तनाव की बात करें, तो इसकी मुख्य वजह मुसलमानों का पवित्र महीना रमजान और यहूदियों के मुख्य त्योहार का एक ही समय पर हो जाना है। रमजान के साथ साथ इस वक्त यहूदियों का पवित्र त्योहार 'फसह' भी चल रहा है, जिसके लिए इजरालय में छुट्टियां मनाई जा रही हैं। वहीं, ईसाई भी इस वक्त अपना पवित्र त्योहार ईस्टर मना रहे हैं और कोरोनोवायरस महामारी की शुरुआत के बाद पहली बार, तीनों धर्मों के लिए प्रमुख पवित्र स्थलों के लिए यरुशलम के पुराने शहर में हजारों की संख्या में लोग पहुंचे हैं। वहीं, जॉर्डन और मिस्र कई साल पहले ही इजरायल से हारने के बाद शांति समझौता कर चुके हैं, जिन्होंने अभी अल-अक्सा मस्जिद विवाद को लेकर इजरायल की आलोचना की है।
मुस्लिम देशों ने की इजरायल की निंदा
अल-अक्सा मस्जिद में इजरायली पुलिस के दाखिल होने के बाद मचे विवाद का मुस्लिम देशों की तरफ से निंदा की गई है और जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला द्वितीय ने मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सिसी के साथ "सभी अवैध और उत्तेजक इजरायली उपायों को रोकने की आवश्यकता" पर सहमति व्यक्त करते हुए हिंसा पर चर्चा की है। वहीं, जॉर्डन ने इस मुद्दे पर अन्य अरब राज्यों की एक बैठक बुलाने की योजना बनाई है।
अमेरिका की शांति की अपील
आपको बता दें कि, इज़राइल पिछले एक साल से जॉर्डन के साथ संबंध सुधारने के लिए काम कर रहा है और हाल ही में अन्य अरब राज्यों के साथ संबंधों को सामान्य किया है। लेकिन ताजा तनावों ने फिलिस्तीनियों के साथ अनसुलझे संघर्ष पर नए सिरे से ध्यान आकर्षित किया है, जिसे इज़राइल ने हाल के वर्षों में दरकिनार करने की मांग की है। वहीं, अमेरिकी विदेश विभाग ने सभी पक्षों से पवित्र स्थल पर "संयम बरतने, भड़काऊ कार्यों और बयानबाजी से बचने और ऐतिहासिक यथास्थिति बनाए रखने" का आग्रह किया। प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि अमेरिकी अधिकारी तनाव को शांत करने के लिए पूरे क्षेत्र के समकक्षों के संपर्क में हैं।