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जापान के वार पर रूस का पलटवार, पुतिन के सलाहकार बोले, $400 डॉलर होगा पेट्रोल का दाम

अमेरिका और यूरोपीय देशों के रूस पर दबिश बढ़ाने से पूरी संभावना है कि रूस चुप नहीं बैठेगा और तेल का निर्यात घटाकर बदला ले सकता है। अगर रूस तेल का निर्यात घटाने के लिए उत्पादन ही कम कर देता है तो बड़े बदलाव आ सकते हैं।

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मास्को, 5 जुलाई: रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव (former president of russia dmitry medvedev) ने कहा कि जापान द्वारा रूसी तेल की कीमत को मौजूदा दाम से लगभग आधा करने के एक कथित प्रस्ताव से बाजार में तेल काफी कम हो जाएगा और कीमतें 300-400 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर बढ़ सकती हैं। बता दें कि, अमेरिका समेत 7 जी शक्तियों ने रूस पर लगाम लगाने के लिए तेल के दामों पर नकेल कसने जा रही है। इसको लेकर कई लोगों का कहना है कि, रूस ने अगर तेल का उत्पादन कम कर दिया तो दुनिया में हहाकार मच जाएगा।

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जापान के प्रस्ताव का असर

जापान के प्रस्ताव का असर

रूस के तेल को लेकर जापान के प्रधानमंत्री ने एक प्रस्ताव रखा था, जिस पर टिप्पणी करते हुए मेदवेदेव ने कहा कि,रूस के तेल से जापान को कोई लेना देना नहीं है, साथ ही एलएनजी परियोजना में भी कोई भागीदारी नहीं होगी। बता दें कि, यूक्रेन में जंग जारी है और रूस ऊर्जा संसाधन की सहायता से भारी प्रतिबंधों के बावजूद युद्ध में अड़ा हुआ है। इस वजह से जी-7 देश के नेताओं ने बैठक में कहा था कि,रूसी तेल पर नकेल कसना जरूरी है।

कच्चे तेल के दाम बढ़ेंगे

कच्चे तेल के दाम बढ़ेंगे

दुनिया में कच्चे तेल के दाम बढ़ने के आसार दिख रहे हैं। रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग के कारण वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दाम तो बढ़े ही हैं लेकिन एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस के एक कदम से ये दाम फिर से बढ़ जाएंगे। वैश्विक एनालिस्ट फर्म जेपी मॉर्गन चेस एंड कंपनी के एनालिस्ट ने दुनिया को चेतावनी दी है कि वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दाम 380 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकते हैं।

रूस को लेकर रिपोर्ट क्या कहती है, जानें

रूस को लेकर रिपोर्ट क्या कहती है, जानें

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, जेपी मॉर्गन के एनालिस्ट का कहना है कि अमेरिका और यूरोपीय देशों के जुर्माने की वजह से रूस कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती कर सकता है। इससे वैश्विक स्तर पर तेल की कीमत 380 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है। G-7 देशों ने हाल ही में रूस से कच्चे तेल के आयात को लेकर एक नई नीति पर बात की थी, जिसे लेकर फैसला किया गया था कि वे रूस के तेल के आयात को सशर्त मंजूरी देंगे।

पुतिन की आर्थिक स्थिति पर चोट करने की चाल

पुतिन की आर्थिक स्थिति पर चोट करने की चाल

जेपी मॉर्गन के एनालिस्ट का कहना है कि G-7 देशों का यह फैसला यूक्रेन युद्ध को लेकर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की आर्थिक स्थिति पर चोट करने का था लेकिन रूस की माली हालत फिलहाल मजबूत स्थिति है। रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि, बाकी दुनिया के लिए रूस के इस फैसले के नतीजे खलबली मचाने वाले हो सकते हैं। कच्चे तेल के उत्पादन में प्रतिदिन की दर से 30 लाख बैरल की कमी से लंदन बेंचमार्क पर तेल की कीमत 190 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है. कच्चे तेल का उत्पादन प्रतिदिन पचास लाख बैरल घटने से इसकी कीमत 380 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती हैं।

चुप नहीं बैठेगा रूस

चुप नहीं बैठेगा रूस

रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका और यूरोपीय देशों के रूस पर दबिश बढ़ाने से पूरी संभावना है कि रूस चुप नहीं बैठेगा और तेल का निर्यात घटाकर बदला ले सकता है। अगर रूस तेल का निर्यात घटाने के लिए उत्पादन ही कम कर देता है तो इससे तहलका मचने की पूरी संभावना है।

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English summary
G7 leaders agreed last week to explore feasibility of introducing temporary import price caps on Russian fossil fuels, including oil, in an attempt to limit Russian resources to finance its military campaign in Ukraine.
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