अमेरिका के पूर्व वैज्ञानिक ने ट्रंप प्रशासन पर लगाए गंभीर आरोप, कहा-कोरोना पर चेतावनियों को किया नजरअंदाज
वॉशिंगटन। एक पूर्व अमेरिकी वैज्ञानिक ने अपनी शिकायत में कहा है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने कोरोना वायरस महामारी को लेकर मिलने वाली कई चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया। इस वैज्ञानिक ने यह भी कहा है कि प्रशासन ने भारत और पाकिस्तान से खराब क्वालिटी की मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सोक्लोक्वीन ली हैं। इस वैज्ञानिक को उनकी नौकरी से निकाल दिया गया है और इन्होंने यह खुलासा तब किया है जब अमेरिका 72,271 लोगों की मौत कोरोना से हो चुकी है।
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पीपीई को लेकर दी थी वॉर्निंग
यूएस ऑफिस ऑफ स्पेशल काउंसल में ब्राइट ने मंगलवार को शिकायत दर्ज की है। यह संस्था व्हिस्लब्लोअर्स की रक्षा के लिए बनाई गई है। ब्राइट ने स्वास्थ्य विभाग के टॉप ऑफिसर्स पर आरोप लगाया है कि वे लगातार उनके और दूसरे वैज्ञानिकों के संदेशों को नजरअंदाज करते रहे जो पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट्स (पीपीई) से जुड़े थे। ब्राइट के मुताबिक मलेरिया की दवा को लेकर उन्होंने खासतौर पर प्रशासन को आगाह किया था। ब्राइट को जब निकाला गया तो उस समय वह बायोमेडिकल एडवांस्ड रिसर्च एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी के मुखिया थे। यह एक रिसर्च एजेंसी है जो हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेज (एचएचएस) के साथ मिलकर काम करती है। वह सीधे रॉबर्ट कैडलेक को रिपोर्ट करते थे जो स्वास्थ्य विभाग में सहायक मंत्री हैं।
मलेरिया की दवा को लेकर चिंतित ब्राइट
जो शिकायत उन्होंने दर्ज कराई है उसमें लिखा है, 'ब्राइट, भारत और पाकिस्तान से आने वाली मलेरिया ड्रग को लेकर खासे चिंतित थे क्योंकि इसे एफडीए की तरफ से मंजूरी नहीं दी गई थी, एफडीए ने इस दवा का परीक्षण नहीं किया था और न ही उन फैक्ट्रियों को देखा था जहां पर इस दवा का उत्पादन होता है।' इसमें आगे लिखा है कि ब्राइट के अनुभव के मुताबिक अनदेखी फैक्ट्रियों से दवाईयों को लिया जाना खतरनाक साबित हो सकता है और ऐसी दवाईयां जानलेवा साबित हो सकती हैं। ट्रंप प्रशासन ने भारत से हाइड्रोक्सोक्लोक्वीन की करीब पांच करोड़ यूनिट आयात की हैं। मार्च के माह में अमेरिका के यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) की तरफ से इसे अधिकृत किया गया था।