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अचानक बहुत ही तेजी से घूमने लगी है पृथ्वी, 29 जुलाई को सारा रिकॉर्ड टूटा,वैज्ञानिक बता रहे हैं ये संभावित कारण

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नई दिल्ली, 31 जुलाई: पृथ्वी ने अपनी रफ्तार बढ़ा दी है। 29 जुलाई को इसने 24 घंटे की साइकिल को भी पूरा नहीं किया और अपनी धुरी पर उससे पहले ही पूरी घूम गई। वैज्ञानिकों के लिए यह शोध का विषय है कि आखिर पृथ्वी की गति बढ़ने की वजह क्या है। इसके साथ वैज्ञानिक इसके होने वाले प्रभावों पर भी माथापच्ची करना शुरू कर चुके हैं। सुनने में यह जरूर रोचक घटना लग रही है, लेकिन, यह कई तरह की चिंताओं की वजह भी बन सकता है और वैज्ञानिक उसका समाधान निकालने में भी जुट गए हैं।

29 जुलाई को 24 घंटे से पहले अपनी धुरी पर घूम गई पृथ्वी

29 जुलाई को 24 घंटे से पहले अपनी धुरी पर घूम गई पृथ्वी

29 जुलाई यानी शुक्रवार को पृथ्वी ने अपने अक्ष पर घूमने का सारा रिकॉर्ड तोड़ दिया। पृथ्वी के घूर्णन की गति का मानक समय 24 घंटे है। यानी पूरे 24 घंटे में पृथ्वी अपनी धुरी पर पूरा एक चक्कर काटती है। लेकिन, उस दिन इसने यह चक्कर 1.59 मिली सेकंड पहले ही पूरा कर लिया। दि इंडिपेंडेंट के मुताबिक हाल के समय में जीवन से भरे इस ग्रह ने अपनी रफ्तार बढ़ा दी है। इंडिपेंडेंट के अनुसार अगर पृथ्वी के घूर्णन की दर बढ़ती रही तो इससे निगेटिव लीप सेकंड की शुरुआत होगी, जिससे पृथ्वी जितने समय में सूर्य का चक्कर लगाती है, उसके दर को अटॉमिक क्लॉक से सुसंगत बनाए रखने में चुनौती खड़ी हो सकती है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक संभावित कारण क्या हैं ?

वैज्ञानिकों के मुताबिक संभावित कारण क्या हैं ?

वैसे तो पृथ्वी ने इतनी तेजी से चक्कर काटना किस वजह से शुरू किया है, इसका पुख्ता कारण अभी तक अज्ञात है। लेकिन, वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह इसके कोर की आंतरिक या बाहरी परतों, महासागरों, ज्वार या यहां तक कि जलवायु में परिवर्तन से जुड़ी प्रक्रियाओं की वजह से हो सकता है। लेकिन, यह सिर्फ अनुमान है। हालांकि, कई शोधकर्ता वैज्ञानिकों के इस नजरिए से भी आगे बढ़कर सोचने को मजबूर हुए हैं।

'चैंडलर वोबेल' भी हो सकता है कारण

'चैंडलर वोबेल' भी हो सकता है कारण

कुछ शोधकर्ताओं को लगता है कि इसका कारण पृथ्वी के भौगोलिक ध्रुवों की सतह की गति से जुड़ा हो सकता है, जिसे 'चैंडलर वोबेल' के नाम से जाना जाता है। लिओनिड जोटोव, क्रिश्चियन बिजओउआर्ड और निकोले सिदोरेंकोव जैसे वैज्ञानिकों के मुताबिक सामान्य शब्दों में यह ऐसा ही लगता है, जैसे एक इंसान किसी लट्टू की गति को तेज होते या कम होते देखता है। 'चैंडलर वोबेल' के कारणों का अभी तक पता नहीं लग सका है, जो कि 14 महीने की अवधि के साथ पृथ्वी के घूर्णन के अक्ष के अंडाकार दोलन को कहा जाता है।

50 साल के छोटे दिनों के चरण की शुरुआत ?

50 साल के छोटे दिनों के चरण की शुरुआत ?

1960 से जबसे इसे रिकॉर्ड किया जा रहा है, 2020 में पृथ्वी ने सबसे छोटा महीना देखा था। उस साल 19 जुलाई को सबसे छोटी अवधि का घूर्णन दर्ज किया गया था। यह 24 घंटे के मानक समय से 1.47 मिली सेकंड छोटा था। लेकिन, अगले साल यानी 2021 में पृथ्वी की तेज गति से घूमने की स्पीड जारी रही, लेकिन इसने कोई भी रिकॉर्ड नहीं तोड़ा। हालांकि, इंटरेस्टिंग इंजीनियरिंग (आईई) के अनुसार, 50 साल के छोटे दिनों का चरण अभी शुरू हो रहा हो सकता है।

विशेषज्ञों की बढ़ी चिंता

विशेषज्ञों की बढ़ी चिंता

हालांकि, एक्सपर्ट की चिंता ये भी है कि निगेटिव लीप सेकंड से स्मार्टफोन, कंप्यूटर और बाकी कम्युनिकेशन सिस्टम के लिए संभावित तौर पर भ्रमित करने वाली स्थिति पैदा हो सकती है। हालांकि, रिपोर्ट में एक मेटा ब्लॉग के हवाले से यह भी कहा गया है कि लीप सेकंड 'खास करके वैज्ञानिकों और खगोलविदों को लाभ दे सकता है' लेकिन, यह एक 'जोखिम भरा तरीका है जो अच्छे से ज्यादा नुकसान करता है।' यह इसलिए कि घड़ी 00:00:00 . पर रीसेट होने से पहले 23:59:59 से 23:59:60 तक बढ़ती है। इस तरह के टाइम जंप से प्रोग्राम क्रैश हो सकते हैं और डेटा करप्ट हो सकता है।

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दुनिया की घड़ियों को कौन करता है कंट्रोल ?

दुनिया की घड़ियों को कौन करता है कंट्रोल ?

मेटा ने यह भी कहा है कि अगर निगेटिव लीप सेकंड किया जाता है, तो घड़ी 23:59:58 से 00:00:00 पर बदल जाएगी और इसका टाइमर और शेड्यूलर पर निर्भर सॉफ्टवेयर पर 'विध्वंसकारी प्रभाव' हो सकता है। इंटरेस्टिंग इंजीनियरिंग के मुताबिक इसके समाधान के लिए इंटरनेशनल टाइम कीपर्स को एक निगेटिव लीप सेकंड जोड़ने की आवश्यकता पड़ सकती है- एक 'ड्रॉप सेकंड' की। गौरतलब है कि कोऑर्डिनेटेड यूनिवर्सल टाइम (UTC),वह प्राथमिक समय मानक है, जिसके आधार पर दुनिया घड़ियों और समय को नियंत्रित करती है, उसे पहले ही 27 बार एक लीप सेकंड के साथ अपडेट किया जा चुका है।

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English summary
The earth has increased its speed. On 29 July, it did not even complete the 24-hour cycle and had turned on its axis before that. Scientists are giving many possible reasons for this
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