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चक्रवात मोकाः कॉक्स बाज़ार शरणार्थी कैंप में ख़ौफ़, राहत कैंपों में लोगों की भीड़

बांग्लादेश में चक्रवात मोका की दस्तक से पहले पांच लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाया गया है. ये तूफ़ान ख़तरनाक़ साबित हो सकता है.

By BBC News हिन्दी
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लोगों को चेतावनी देने के लिए जगह-जगह लाल झंडे लगाए गए हैं
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लोगों को चेतावनी देने के लिए जगह-जगह लाल झंडे लगाए गए हैं

बांग्लादेश में चक्रवात मोका की दस्तक से पहले पांच लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाया गया है. ये तूफ़ान ख़तरनाक़ साबित हो सकता है.

अनुमान के मुताबिक़ मोका तूफ़ान दोपहर के क़रीब तट से टकराएगा. इसकी रफ़्तार 170 किलोमीटर प्रति घंटा तक हो सकती है और इस दौरान समंदर में 3.6 मीटर ऊंची तक लहरें उठ सकती हैं.

बंगाल की खाड़ी में उठे इस तूफ़ान के दुनिया के सबसे बड़े शरणार्थी शिविर कॉक्स बाज़ार से टकराने की भी आशंका है. कॉक्स बाज़ार में क़रीब दस लाख शरणार्थी झुग्गी-झोपड़ियों में रहते हैं.

तूफ़ान की वजह से कैंप में बारिश हो रही है और चेतावनी के लिए जगह-जगह लाल झंडे लगाए गए हैं.

मोका तूफ़ान बीते दो दशकों में बांग्लादेश से टकराने वाला सबसे शक्तिशाली तूफ़ान साबित हो सकता है.

तूफ़ान के बांग्लादेश और म्यांमार की तरफ़ बढ़ने की आशंका के बीच आसपास के हवाई अड्डे बंद कर दिए गए हैं. मछुआरों से काम छोड़कर वापस लौटने को कहा गया है और क़रीब 1500 राहत ठिकाने बनाए गए हैं.

तूफ़ान से प्रभावित हो सकने वाले इलाक़ों से लोगों को सुरक्षित ठिकानों की तरफ़ पहुंचाया जा रहा है.

कॉक्स बाज़ार के एडिशनल डिप्टी कमिश्नर विभूषण कांति दास ने बीबीसी से कहा, "हम किसी भी ख़तरे से निपटने के लिए तैयार हैं…. हम एक जान भी गंवाना नहीं चाहते हैं."

बांग्लादेश में बनें सुरक्षित ठिकानों पर पूरा दिन परिवार आते रहे. कॉक्स बाज़ार के स्कूलों के कमरों में सैकड़ों लोग रह रहे हैं.

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तूफ़ान के टकराने से पहले लोगों को राहत कैंपों में रखा गया है
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तूफ़ान के टकराने से पहले लोगों को राहत कैंपों में रखा गया है

कुछ लोग प्लास्टिक बैग में अपनी ज़रूरतों का सामान लादे आ रहे हैं. कुछ अपनी मुर्गियों और बकरियों को भी साथ लाए हैं.

17 साल की जन्नत ने अपने दो महीने के बच्चे के साथ स्कूल की एक बैंच पर अपने लिए जगह बनाई है. वो अपने साथ बैग में कुछ कपड़े लेकर आई हैं, इसके अलावा उनके पास कुछ नहीं है.

उनके पति अभी भी तट के पास स्थित घर पर ही हैं और कैंप में आने से पहले वहां चीज़ों को सुरक्षित रखने की कोशिश कर रहे हैं.

जन्नत कहती हैं कि वो तूफ़ान को लेकर बहुत डरी हुई हैं क्योंकि पिछले साल आए सितरंग तूफ़ान में भी उनका घर टूट गया था.

जन्नत कहती हैं, "आगे क्या होगा ये सोच कर मैं डरी हुई हैं. मुझे डर है कि कहीं हमारा घर इस तूफ़ान में फिर से ना डूब जाए."

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इस तूफ़ान की वजह से म्यांमार से जान बचाकर भागे और कई सालों से बांग्लादेश के कॉक्स बाज़ार के कैंपों में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों पर ख़तरा पैदा हो गया है. यहां क़रीब दस लाख लोग रहते हैं.

कॉक्स बाज़ार में अधिकतर परिवार बांस और तिरपाल से बनी झुग्गियों में रहते हैं. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि वो यहां मदद पहुंचाने की हर संभव कोशिश कर रहा है.

बांग्लादेश की सरकार रोहिंग्या शरणार्थियों को कैंप से बाहर निकलने की अनुमति नहीं देती है. यहां रहने वाले लोगों में डर है कि अगर तूफ़ान कैंप से टकराया तो क्या होगा.

40 साल के मोहम्मद रफीक़ का परिवार भी शरणार्थियों के लिए बांस से बनाई गई एक झुग्गी में रहता है.

बांस और तिरपाल से बनी ऐसी झुग्गियां तूफ़ान के टकराने पर लोगों को बहुत सुरक्षा नहीं दे पाएंगी.

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रफ़ीक़ का कहना है कि उनके पास दुआ करने के अलावा कोई रास्ता नहीं है.
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रफ़ीक़ का कहना है कि उनके पास दुआ करने के अलावा कोई रास्ता नहीं है.

रफ़ीक़ कहते हैं, "हम सिर्फ़ अल्लाह से अपनी जान की हिफ़ाज़त करने की दुआ ही कर सकते हैं. हमारे पास जाने के लिए कोई सुरक्षित ठिकाना नहीं है. ना ही कोई है जिससे हम मदद मांग सकें."

वो कहते हैं, "हमने अतीत में कई मुश्किलें देखी हैं और हमारे घर टूटते रहे हैं. हम उम्मीद करते हैं कि इस बार ऐसा ना हो."

आशंका है कि तूफ़ान की वजह से भारी बारिश होगी और इससे भूस्खलन भी हो सकता है.

कॉक्स बाज़ार में पहाड़ियों के पास जहां ये कैंप स्थित है, भूस्खलन आम बात है और इसे लेकर भी लोगों में डर का माहौल है.

शरणार्थियों और कैंप की निगरानी करने वाले दफ़्तर में काम करने वाले बांग्लादेश के सरकारी अधिकारी मोहम्मद शमशुल दूज़ा ने बीबीसी से कहा है कि उनका विभाग गैर सरकारी संगठनों के साथ मिलकर सुनिश्चित कर रहा है कि कैंप हर स्थिति के लिए तैयार रहें.

लेकिन उनका कहना था कि शरणार्थियों को कैंप से बाहर निकालना कोई आसान काम नहीं है.

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अपने जानवरों को सुरक्षित ठिकाने की तरफ़ ले जाता एक व्यक्ति
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अपने जानवरों को सुरक्षित ठिकाने की तरफ़ ले जाता एक व्यक्ति

शमशुल दूज़ा कहते हैं, "दस लाख शरणार्थियों को सुरक्षित निकालना बहुत मुश्किल है. हमें व्यावहारिक होना होगा."

वो कहते हैं, "हमारी योजना ज़िंदगियां बचाने की है. हम तूफ़ान के बाद के दिनों के लिए भी तैयारी कर रहे हैं. भारी बारिश हो सकती है जिसकी वजह से बाढ़ आ सकती है और भूस्खलन हो सकता है. इससे बड़ा ख़तरा पैदा हो सकता है."

जलवायु परिवर्तन का तूफ़ानों के बार-बार आने से क्या संबंध है ये अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन हम ये जानते हैं कि अगर समंदर का तापमान बढ़ता है तो ऊपर हवा भी गर्म हो जाती है और चक्रवात और तूफ़ान पैदा होने के लिए अधिक ऊर्जा उपलब्ध होती है.

इसकी वजह से तूफ़ान अधिक ताक़तवर हो जाते हैं और भारी बारिश होती है.

औद्योगिक युग की शुरुआत के बाद से धरती का तापमान 1.1 डिग्री बढ़ चुका है. जब तक दुनियाभर की सरकारें कार्बन उत्सर्जन कम करने की दिशा में ठोस क़दम नहीं उठाएंगी तापमान ऐसे ही बढ़ता रहेगा.

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English summary
Cyclone Moka: Panic in Cox's Bazar refugee camp
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