Coronavirus की मार से कच्चे तेल की कीमत में रिकॉर्ड गिरावट, इतिहास में पहली बार 0 डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे पहुंचा
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के चलते कच्चे तेल उत्पादकों के लिए चुनौती खड़ी हो गई है। इस जानलेवा महामारी के असर से कच्चे तेल का अंतरराष्ट्रीय बाजार गंहरे संकट में पहुंच गया है। आर्थिक गतिविधियों के ठप होने से लगातर कम होती मांग का असर कच्चे तेल के दाम पर पड़ रहा है। अमेरिकी बेंचमार्क क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) ने सोमवार को अब तक के इतिहास में अपना सबसे बुरा दिन देखा। अंतरराष्ट्रीय बजार में अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट कच्चा तेल का भाव सोमवार को गिरकर 0 डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे पहुंच गया।
इससे पहले दिन में बाजार खुलने पर भाव यह 10.34 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया था जो 1986 के बाद इसका सबसे निचला स्तर था।कोरोना वायरस संकट की वजह से दुनियाभर में घटी तेल की मांग के चलते इसकी कीमतें लगातार गिर रही हैं। व्यापारियों ने कहा कि कीमत में यह गिरावट चिंताजनक है क्योंकि मई डिलीवरी के अनुबंधों का निस्तारण सोमवार शाम तक कर दिया जाना है लेकिन कोई निवेशक तेल की वास्तविक डिलीवरी लेना नहीं चाह रहा है।
United States benchmark West Texas Intermediate (WTI) #Oil price closes at -.63/barrel: AFP news agency
— ANI (@ANI) April 20, 2020
जानकारों का कहना है कि दुनिया के पास फिलहाल इस्तेमाल की जरूरत से ज्यादा कच्चा तेल है और आर्थिक गिरावट की वजह से दुनियाभर में तेल की मांग में कमी आई है। तेल के सबसे बड़े निर्यातक ओपेक और इसके सहयोगी जैसे रूस, पहले ही तेल के उत्पादन में रिकॉर्ड कमी लाने पर राजी हो चुके थे। अमरीका और बाकी देशों में भी तेल उत्पादन में कमी लाने का फैसला लिया गया था। लेकिन तेल उत्पादन में कमी लाने के बावजूद दुनिया के पास इस्तेमाल की जरूरत से अधिक कच्चा तेल उपलब्ध है। उनका मानना है कि सवाल सिर्फ इस्तेमाल का नहीं है, सवाल यह भी है कि क्या लॉकडाउन खुलने और हालात सामान्य होने के इंतजार में तेल उत्पादन जारी रखकर इसे स्टोर करते रहना सही है?
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