Covid 19 Vaccine:बच्चों को कबतक लगेगी कोरोना की वैक्सीन? जानिए
वॉशिंगटन डीसी: दुनियाभर में माता-पिता और टीचर के मन में यही सवाल घूम रहा है कि एक साल तो ऑनलाइन क्लासेज में निकाल दिए, क्या अभी भी बच्चों को कोविड-19 का टीका लग पाने की कोई उम्मीद जगी है या नहीं ? क्योंकि, विश्वभर में हजारों बच्चे इससे संक्रमित हो चुके हैं। भारत में भी कई शहरों में स्कूल खुलने के बाद उनके तेजी से संक्रमित होने की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। यही वजह है कि धीरे-धीरे जो स्कूल खुल भी गए थे, कोरोना की दूसरी लहर की आहट देखते ही फटाफट फिर से बंद करने पड़ रहे हैं। राहत की बात ये है कि बच्चों की वैक्सीन पर काम चल रहा है। कई दवा कंपनियां इसपर ट्रायल शुरू कर चुकी हैं। लेकिन, जबतक यह उपलब्ध नहीं हो जाती माता-पिता और टीचर की जिम्मेदारी बहुत बढ़ गई है, क्योंकि व्यस्कों को तो कुछ महीने में टीका लग जाएगा। लेकिन, जबतक बच्चों के लिए टीका आ नहीं जाता, उन्हें इस जानलेवा बीमारी से सुरक्षित रखना है।
क्या बच्चों को कोविड 19 वैक्सीन लगाने की जरूरत है?
एक विदेशी न्यूज एजेंसी ने अमेरिका के एक बाल रोग विशेषज्ञ की इसके बारे में दी गई सूचना पर विस्तार से जानकारी साझा की है। अमेरिका में पीडियाट्रिशियन एंड असिस्टेंट प्रोफेसर ऑफ पीडियाट्रिक इंफेक्शियस डिजीजेज डॉक्टर जेम्स वूड ने बताया है कि बच्चों में इसके फैलने का कितना खतरा है, वो कितनी तेजी से इसे फैला सकते हैं और उनके लिए कबतक वैक्सीन उपलब्ध होने की संभावना है। लोगों और डॉक्टरों के मन में भी सबसे पहला सवाल ये है कि क्या बच्चों को कोविड-19 के टीके की जरूरत है ? इसपर उन्होंने कहा है कि हां, इसकी आवश्यकता है। उनके मुताबिक कई सारे शोध कहते हैं कि खासकर छोटे बच्चों को ज्यादा गंभीर संक्रमण नहीं होता, लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि वो संक्रमित नहीं हो सकते और दूसरों को संक्रमित नहीं कर सकते। हालांकि, 12 साल से छोटे बच्चों की बीमारी हल्की हो सकती है या एसिम्टोमेटिक हो सकते हैं, लेकिन किशोरों को व्यस्कों की तरह ही ज्यादा संक्रमण हो सकता है। उनके मुताबिक इस तथ्य को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए कि छोटे बच्चों में हल्के लक्षणों के बावजूद उनका जोखिम कम नहीं है और सिर्फ अमेरिका में ही अबतक कम से कम 226 बच्चों की कोविड से मौत हो चुकी है और हजारों को अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा है। बच्चों को इस जोखिम से उबारने के लिए उन्हें भी वैक्सीन लगाने की जरूरत है, सोशल डिस्टेंसिंग की आवश्यकता है और मास्क पहनाकर रखना भी जरूरी है।
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क्या बच्चे भी फैला सकते हैं कोरोना ?
मान लीजिए बच्चे स्कूल में हैं, उन्हें मास्क पहनाया गया है, सोशल डिस्टेंसिंग की गाइडलाइंस पूरी की गई है, बाकी सारे एहतियात बरते गए हैं तो ऐसे में उनके बीच कोरोना फैलने की आशंका बहुत कम है। अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने पाया है कि अगर सावधानियां नहीं बरती गई हैं तो बच्चे भी कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं और उनसे बड़ों के बीच भी यह संक्रमण फैला है। हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं हुआ है कि यह खतरा कितना बड़ा है। किशोरों में यह सावधानियां और ज्यादा बरतने की जरूरत है। वह समाज में एक-दूसरे से ज्याद घुलते-मिलते हैं। इसलिए उन्हें व्यस्कों की तरह सभी तरह की सावधानियों के कड़ाई से पालन करने की आवश्यकता है।
12 साल से बड़े किशोरों को कबतक लगेगी वैक्सीन ?
अमेरिका में अभी तक सिर्फ 16 साल तक के किशोरों को फाइजर कंपनी की वैक्सीन लगाने की इजाजत मिली है। 16 साल से कम के बच्चों में इसे लगाने के लिए हजारों किशोर वॉलेंटियर पर अभी क्लीनिकल ट्रायल पूरा की जरूरत है, ताकि यह कितनी सुरक्षित और प्रभावी है उसका अंदाजा लग सके। इसपर दो विदेशी दवा कंपनियों की ट्रायल अभी चल रही है और उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों में इसके आंकड़े जुटा लिए जाएंगे। अगर ये वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावी पाई जाती है तो 12 साल के ऊपर के बच्चों को इस साल सितंबर से पहले टीका लगाने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
12 साल के कम के बच्चों को कबतक लगेगी वैक्सीन ?
12 साल से कम के बच्चों के लिए अभी इंतजार लंबा है और यह साल के अंत तक या अगले साल की शुरुआत तक भी तैयार होने की संभावना है। अमेरिकी दवा कंपनी मॉडर्ना ने पिछले 16 मार्च को ही ऐलान किया है कि उसने 6 महीने से 11 साल तक बच्चों में इसका परीक्षण शुरू कर दिया है। फाइजर को तो इस स्थिति तक पहुंचने में भी अभी लंबा समय लग सकता है। डॉक्टर जेम्स ने ये भी बताया है कि बच्चों की कोविड-19 वैक्सीन और व्यस्कों की कोविड-19 वैक्सीन की संरचना में कोई अंतर नहीं होगी, सिर्फ उनकी खुराक अलग होगी। वैक्सीन ट्रायल का पहला कदम यही है कि बच्चों के लिए सही डोज क्या है? कंपनियां कम से कम डोज तलाशने में जुटी हैं, जो सुरक्षित भी हों और जिससे बच्चों में जरूरी स्तर का एंटबॉडीज हासिल किया जा सके। जैसे ही सही मात्रा का पता चल जाएगा, यह कितना असरदार है, उसके लिए ट्रायल शुरू हो जाएगा।
बच्चों को बाहर खेलने दें, लेकिन सुरक्षा से समझौता ना करें
वैसे उन्होंने उम्मीद जताई है कि आने वाले दिनों में निश्चित तौर पर बच्चों के लिए भी सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन जरूर उपलब्ध होगी। इसके साथ ही उन्होंने माता-पिता को सलाह दी है कि जबतक वैक्सीन नहीं आती है, बच्चों को घरों के अंदर बिल्कुल ना रोकें। उन्हें प्ले ग्राउंड में खेलने का मौका दें। क्योंकि, अगर बच्चे को घरों से बाहर खेलने का मौका नहीं मिला तो अलग ही समस्याएं शुरू हो सकती हैं और दुनियाभर के बाल रोग विशेषज्ञ इससे पैदा होने वाली परेशानियों से पहले ही चिंतित हो रहे हैं। लेकिन, इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि बच्चों की सुरक्षा से कोई समझौता भी ना किया जाए और कोविड से बचाव के लिए सारे उपाय अपनाते रहें।