कोरोना: सर्बिया भारतीयों के लिए क्या 'क्वारंटीन सेंटर' बन गया है?
भारत में कोरोना के मामलों को देखते हुए यहां के यात्रियों को कई देशों में सीधे दाख़िल होने की अनुमति नहीं है. वहां पहुंचने से पहले उन्हें कुछ दिन सर्बिया जैसे देशों में ग़ुज़ारने पड़ते हैं.
नीली टी शर्ट, गाढ़े रंग की पैंट और काला चश्मा लगाए एक व्यक्ति बेलग्रेड की तपती दोपहर में सड़क के किनारे एक बेंच पर बैठा है. क़रीब 40 साल की उम्र के इस व्यक्ति का नाम बदरू शेख़ है और वो पूर्वी भारत से सर्बिया आए हैं.
वो मुस्कुताते हुए कहते हैं, "यहां गर्मी नहीं, ठंड है," वो भी एक ऐसे समय में जब सर्बिया में मौसम विभाग ने गर्मी को लेकर ऑरेंज एलर्ट जारी कर रखा है.
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रास्ते पर चल रहे दूसरे लोगों को गर्मी के कारण बहुत मुश्किलें हो रही हैं, वो सड़क के किनारे छांव तलाश रहे हैं.
बदरू शेख़ कहते हैं, "भारत में मेरे शहर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस है, बहुत उमस भी है. सऊदी, जहां मैं काम करता हूं, वहां का तापमान 50 डिग्री से भी ज़्यादा है. इसलिए यहां तो ठंड ही है."
भारत में कोरोना के मामलों को देखते हुए यहां के यात्रियों को कई देशों में सीधे दाख़िल होने की अनुमति नहीं है. लेकिन यात्री किसी तीसरे देश जैसे अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन यूरोपीय संघ के किसी और देश के रास्ते उन देशों में जा सकते हैं. उन्हें बस कुछ दिन सर्बिया जैसे देशों में क्वारंटीन पीरियड की तरह गुज़ारने होते हैं.
भारत से बेलग्रेड जाने वाले लोगों की बढ़ती संख्या से सर्बिया के सोशल मीडिया पर चर्चा हो रही है. लोगों को डर है कि इनके कारण देश में कोरोना का ख़तरा बढ़ न जाए. ख़ासतौर पर डेल्टा वेरिएंट के मामले. हालांकि कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इसका स्वागत कर रहे हैं.
https://twitter.com/AlexKocic/status/1412458960704188418
इस स्ट्रेन के पहले दो मामले सर्बिया में 1 जुलाई को दर्ज किए गए थे.
हालांकि वो दोनों सर्बिया के ही रहने वाले हैं और कुछ दिनों पहले की रूस से लौटे हैं. उन्होंने वैक्सीन नहीं ली थी.
बदरू शेख़ भारत से आने वाले कई यात्रियों में से एक हैं जो सर्बिया को एक "ट्रांज़िट" की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर कई लोग इसे "क्वारंटीन टूरिज़्म" भी कह रहे हैं.
भारत से आए एक यात्री साहिल कहते हैं, "हम 14 दिन पहले यहां आए थे क्योंकि न्यूज़ीलैंड जाने के लिए आपको कुछ दिन एक ऐसे देश में गुज़ारना ज़रूरी है, जहां महामारी का असर कम है."
भारत के लोगों को सर्बिया जाने के लिए वीज़ा की ज़रूरत नहीं होती इसलिए दूसरे देश जाने से पहले रुकने के लिए यहां आना लोगों को सही लग रहा है.
हालांकि अधिकारी "क्वारंटीन टूरिज़्म" की बात से इनकार करते हैं. उनका कहना है कि बेलग्रेड आने वाले सभी लोगों के पास आरटी-पीसीआर निगेटिव रिपोर्ट होना ज़रूरी है, उन्हें वैक्सीन दी जाती है और कुछ दिनों के बाद उनका फिर से टेस्ट किया जाता है.
सर्बिया के राष्ट्रपति एलेग्ज़ैंडर वुचिच के मुताबिक़, "किसी को देश में आने से बैन करने के लिए कारण खोजना गलत है."
ऐसे यात्रियों पर कैसे नज़र रखी जा रही है और इसके लिए क्या नियम बनाए गए हैं? इससे जुड़े सवाल बीबीसी सर्बिया ने वहां के स्वास्थ्य मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, आंतरिक मंत्रालय और पर्यटन मंत्रालय को भेजे हैं लेकिन ख़बर लिखे जाने तक उनकी तरफ़ से कोई जवाब नहीं आया.
बेलग्रेड कैसे पहुंचते हैं भारतीय?
आमतौर पर भारत से लोग क़तर एयरवेज़, लूफ़तान्सा और टर्किश एयरलाइंस की फ़्लाइट से बेलग्रेड के निकोला टेस्ला एयरपोर्ट पर उतरते है. लेकिन जुलाई के पहले हफ़्ते में स्पाइस जेट ने नई दिल्ली से अर्मीनिया के येरेवान होते हुए सर्बिया के लिए पहली चार्टेड फ़लाइट शुरू की है.
स्थानीय पत्रकार ल्यूका पोपोविक ने बीबीसी सर्बिया को बताया, "सर्बिया आना उन्हें सही लगता है क्योंकि यहां उन्हें एयरपोर्ट पर वीज़ा मिल जाता है. यूरोप के दूसरे देशों की तरह किसी तरह की नौकरशाही में नहीं फंसना पड़ता."
यहां से यूरोप, गल्फ़ या मध्य पूर्व के देशों के लिए फ़्लाइट मिल जाती है.
बदरू शेख़ कहते हैं, "मैं यहां आया क्योंकि मैं यहां से सऊदी अरब, दुबई, ओमान और कतर जा सकता हूं. हमें यहां 14 दिन रहना है फिर हम आगे बढ़ जाएंगे.
एक्स-यू एविएशन न्यूज़ पोर्टल के मुताबिक़, जुलाई में इंडिगो ने भी इस्तांबुल के रास्ते बेलग्रेड की फ़्लाइट शुरू की.
वेबसाइट के मुताबिक़, भारत के टूर ऑपरेटर "क्वारंटीन पैकेज" का ऑफ़र दे रहे हैं जो 3,14 या 22 दिनों का होता है और अब एक हज़ार से अधिक भारतीय इसका इस्तेमाल कर सर्बिया आ चुके हैं.
पोपोविक के मुताबिक, "क्वारंटीन टूर पैकेज में होटल और खाने का खर्च शामिल होता है."
देश में प्रवेश करने के लिए विदेशी नागरिकों के पास अधिकतम 48 घंटे पुरानी निगेटिव आरटीपीसीआर रिपोर्ट होनी चाहिए या फिर उनका मान्यता प्राप्त टीका लेना ज़रूरी है.
बेलग्रेड में पब्लिक हेल्थ इंस्टीट्यूशन में महामारी विशेषज्ञ बिलजाना बेगोविक ने नोवोस्टी नाम के अख़बार से कहा,"कुछ दिनों पहले तक हम भारत से आ रहे यात्रियों को क्वारंटीन में नहीं भेज रहे थे. उन्हें घूमने की इजाज़त थी क्योंकि वे एक निगेटिव पीसीआर रिपोर्ट के साथ हमारे देश में आये थे,"
हालांकि उनके मुताबिक़, डेल्टा स्ट्रेन के आने के बाद भारतीयों को "सिर्फ़ होटल में रहने की हिदायत दी गई है."
"क्वारंटीन टूरिज़्म जैसा कुछ नहीं"
सर्बियाई राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वुचिच ने कहा कि वह पहली बार क्वारंटीन टूरिज़्म जैसा कुछ सुन रहे. और कहा कि देश में प्रवेश करने पर सभी को टीका लगाया जाता है.
सर्बियाई प्रधानमंत्री एना ब्रनाबिक ने कहा कि सर्बिया में "नियम, प्रक्रियाएं और मानक" हैं, उन्होंने मीडिया को ग़लत सूचना नहीं फैलाने के लिए कहा.
"अगर किसी को टीका नहीं लगाया गया है या हम उन टीकों को मान्यता नहीं देते तो उनके पास 48 घंटे पुरानी पीसीआर रिपोर्ट होनी चाहिए. हमने उन लोगों के लिए अलग नियम बनाए हैं जो ख़तरे वाले देशों से आते हैं, इसलिए लैंडिंग के बाद उनका पीसीआर टेस्ट होता है."
"ये सभी भारत के यात्रियों पर लागू होता है."
नेशनल एसोसिएशन ऑफ़ ट्रैवल एजेंसीज़ ऑफ़ सर्बिया के अलेक्जेंडर सेनिसिक को उम्मीद है कि आने वाले समय में भारतीय पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी और उनका दावा है कि होटलों को फ़ायदा होगा.
साहिल न्यूजीलैंड में रहते हैं, उसके पास भारतीय नागरिकता है. वह सात दिन पहले सर्बिया आये थे और सात दिन और रहने की सोच रहे हैं.
"क्या हम वहां छाया में खड़े होकर बात कर सकते हैं," उन्होंने द रिपब्लिक स्क्वायर में बीबीसी के रिपोर्टर से कहा क्योंकि सूरज बहुत तेज़ चमक रहा था.
वो मुस्कुरा रहे थे और उनके चेहरे पर किसी तरह का तनाव नहीं था.
उन्होंने कहा,"सर्बिया बहुत सुंदर है, हम बेलग्रेड में घूम रहे हैं, खरीदारी कर रहे हैं ... यहां हर कोई अच्छा है, यह सुंदर है. हमारी एकमात्र समस्या यह है कि हमें भारतीय भोजन नहीं मिल रहा है."
उन्हें सर्बिया से दुबई और वहां से न्यूजीलैंड जाना है.
बदरू शेख़ 11 जुलाई तक यहां रुकेंगे फिर सऊदी अरब जाएंगे. वो भी बेलग्रेड में भारतीय भोजन की कमी की शिकायत करते हैं. वह अपना समय खरीदारी और पर्यटक स्थल घूमने में बिताते हैं. वो किसी एक पहाड़ पर भी जाना चाहते हैं.
वो कहते हैं,"मुझे नदी के किनारे बसा "केज" और सेंट सावा मंदिर बहुत पसंद आया. यह बहुत सुंदर है, मैंने पहले ऐसा कुछ कभी नहीं देखा."
कुछ किलोमीटर दूर, एक पार्क में कई भारतीय सैर का आनंद लेते दिखे.
उनमें से एक नदीम ने कहा कि वो सिर्फ़ कुछ दिन रुकने के मक़सद से बेलग्रेड नहीं आए. वो कहते हैं, "हम यहां दो सप्ताह रहेंगे, हम इस शहर को देखना चाहते हैं. यह अच्छा, शांत, स्वच्छ, हराभरा है और यहां भारत के मुकाबले गर्मी नहीं है."
"मुझे विशेष रूप से निकोला टेस्ला संग्रहालय पसंद आया - मैं एक इंजीनियर हूं, इसलिए मैं टेस्ला का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं,"
बेलग्रेड के आसपास पर्यटन
कुछ भारतीय बेलग्रेड में अपने प्रवास के दौरान सर्बियाई इतिहास और संस्कृति से जुड़ी जगहों पर जाना पसंद कर रहे हैं.
टूरिस्ट गाइड को इससे बहुत फ़ायदा हुआ.
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स्टैंकोविक नाम की गाइड ने एक भारतीय परिवार के बारे में बात करते हुए कहा, "चूंकि हाउस ऑफ़ फ्लावर्स (यूगोस्लाविया के पूर्व राष्ट्रपति जोसिप ब्रोज़ टीटो का मकबरा) उन्हें बहुत पसंद नहीं आया तो मैं उन्हें गुटनिरपेक्ष आंदोलन के बारे में कुछ बताने के लिए संग्रहालय के सामने पार्किंग स्थल पर ले गई, उन्हें इसमें दिलचस्पी थी - टीटो और नेहरू के बारे में जानने में."
वह बताती हैं कि कोविड -19 महामारी से पहले भी भारत से यात्री आते थे.
"मेरे लिए ये बेहद सुखद अनुभव हैं,"
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