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वुहान लैब से ही निकला है कोरोना वायरस, क्या अमेरिका को मिल चुका है कोई ठोस सबूत ?

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नई दिल्ली, 28 मई: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कोरोना वायरस की पैदाइश का पता लगाने के लिए अपनी इंटेलिजेंस एजेंसियों को जो हुक्म दिया है, वह काफी सोच-समझकर दिया है। उन्होंने सत्ता संभालने के चार महीने तक इस फैसले के लिए इंतजार किया और अब जाकर सच्चाई का पता लगाने के लिए उन्हें 90 दिन का वक्त दिया है। अमेरिकी इंटेलिजेंस को यह पता लगाना है कि जिस वायरस ने पूरी दुनिया को तबाह कर दिया है, क्या वो वाकई चीन के लैब से निकला है या दूसरे शब्दों में कहें कि क्या यह वायरस प्रकृति से नहीं, मानवीय सोच की विकृति से पैदा हुआ है ?

क्या सामने आया है कोई नया सबूत ?

क्या सामने आया है कोई नया सबूत ?

अमेरिकी मीडिया में लैब लीक थ्योरी के बारे में काफी कुछ लिखा जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने जब इस मामले की नए सिरे से जांच कराने की पहली बार संजीदा पहल की, उससे ठीक पहले वॉल स्ट्रीट जर्नल में एक बहुत बड़ा दावा किया गया। इस दावे के मुताबिक अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को पुख्ता सूचना मिली है कि 2019 के दिसंबर में पहली बार कोरोना वायरस का खुलासा होने से एक महीने पहले यानी नवंबर महीने में वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (डब्ल्यूआईवी) के तीन अनजाने स्टाफ कोरोना वायरस की तरह के लक्षणों के साथ इतने गंभीर तौर पर बीमार हुए थे कि उन्हें अस्पताल जाना पड़ा था। इसके बाद इस वायरस के खतरे से अपने सहयोगियों को आगाह करने वाले चाइनीज डॉक्टर ली वेनलियांग के साथ क्या हुआ, यह सबको पता है। उनके बारे में सिर्फ इतना कहा गया कि वो भी इसी बीमारी की चपेट में आकर चल बसे।

नया सबूत कितना ठोस है ?

नया सबूत कितना ठोस है ?

वॉल स्ट्रीट जर्नल से तीन स्टाफ के बीमारी वाले सबूत के बारे में एक सूत्र ने कहा है, 'यह बहुत ही ठोस था....' लेकिन, उसने यह नहीं बताया कि 'उनकी बीमारी की असल वजह क्या थी...।' न्यू यॉर्क टाइम्स के मुताबिक एक नहीं दो इंटेलिजेंस डॉक्यूमेंट बीमार वर्करों पर चर्चा के लिए पेश किए गए थे। पहला तो उन्हीं तीनों पर केंद्रित था और दूसरा कोरोना वायरस की पैदाइश को लेकर था। अमेरिकी इंटेलिजेंस के सामने इन्हीं गुत्थियों को सुलझाने की चुनौती है। क्या वे तीनों कोरोना वायरस की वजह से बीमारी थे या कोई और वजह थी। यही नहीं, जब दुनिया को वुहान में आम लोगों के बीच कोरोना वायरस फैलने की जानकारी मिली, क्या उससे पहले से ही संक्रमण फैल चुका था ? वैसे वायरस की पैदाइश को लेकर फिर से जांच लॉन्च करने की अनुमति देते हुए वाइडेन ने यह कहा कि अमेरिकी इंटेलिजेंस के पास वायरस की पैदाइश के बारे में 'पर्याप्त सूचना होने का विश्वास नहीं है ' जिससे कि इसकी असल संभावित वजह बताई जा सके। वैसे अमेरिका की कम से कम एक खुफिया एजेंसी को यह यकीन जरूर है कि यह वायरस प्रयोगशाला में ही बना हुआ है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की जांच में क्या हुआ था ?

विश्व स्वास्थ्य संगठन की जांच में क्या हुआ था ?

डब्ल्यूएचओ की एक टीम भी कोरोना वायरस की पैदाइश का पता लगाने वुहान जा चुकी है। लेकिन, उसे क्या करना है और क्या नहीं करना है, लगभग इसकी सीमा-रेखा चीन ने पहले से तय कर दी थी। इसलिए वह टीम जानवरों से इसकी उत्पत्ति के आसपास ही अपना दिमाग खपाकर लौट आई। इन्हें वुहान की लैब के ऑडिट तक का मौका नहीं मिला। मिशन के शोधकर्ताओं को लैब तक जरूर ले जाया गया, लेकिन तीन घंटे की सैर के बाद ही बाहर हो गए। वैसे, टीम ने दुनिया को यह समझाने की कोशिश जरूर की थी कि लैब लीक थ्योरी की गुंजाइश नहीं है। शायद इन्हीं शर्तों के आधार पर उन्हें लैब का दीदार करने का मौका दिया गया था। वैसे बाद में डब्ल्यूएचओ के चीफ टेड्रोस एडहानॉम ने जरूर कहा कि चीन ने वो सारी सूचनाएं उपलब्ध नहीं करवाई, जिसकी उम्मीद की जा रही थी।

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अमेरिका की नई पहल महत्वपूर्ण क्यों है ?

अमेरिका की नई पहल महत्वपूर्ण क्यों है ?

डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में लैब लीक थ्योरी का जिस तरह से अमेरिकी प्रशासन ने इस्तेमाल किया था, उससे चीन को उसपर साजिश का संदेह जताने का मौका मिल गया था। क्योंकि, ट्रंप का चीन से अदावत जगजाहिर था। लेकिन, बाइडेन प्रशासन ने अबतक चीन के प्रति उस तरह की शत्रुता नहीं दिखाई है। दूसरी बात ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के खिलाफ भी चीन के प्रति उसके संदिग्ध झुकाव को लेकर सीधा मोर्चा खोल दिया था, जिससे चीन को कथित सच्चाई पर पर्दा डालने का और बेहतर मौका मिल गया। ऐसे में अगर बाइडेन प्रशासन ने वाकई सच का पता लगाने की कोशिश शुरू की है तो कुछ नए तथ्य सामने आने की उम्मीद जरूर है। क्योंकि, हाल ही में अमेरिका के सबसे बड़े वायरोलॉजिस्ट एंथनी फाउची ने भी कह दिया है कि उन्हें इस बात पर जरा भी यकीन नहीं है कि कोरोना वायरस स्वाभाविक रूप से पैदा हुआ है। उन्होंने कहा कि हमें जांच जारी रखने की आवश्यकता है कि आखिर चीन में हुआ क्या था? उन्होंने तो यहां तक कह दिया है कि अब कदम तब तक पीछे नहीं खींचने चाहिए, जबतक यह साबित न हो जाए कि कोरोना आया कहां से ?

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English summary
Coronavirus originated from the Wuhan Institute of Virology in China, to find that the US has probably gathered some strong evidence
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