क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

भारत के सात पड़ोसी देशों में हिंदुओं की स्थिति कैसी है? मानवाधिकार रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे

भारत के सात पड़ोसी देशों में हिंदुओं के मानवाधिकार को लेकर सीडीपीएचआर ने अपनी रिपोर्ट जारी की है। जानिए इन देशों में हिंदू अल्पसंख्यकों की क्या स्थिति है।

Google Oneindia News

नई दिल्ली: भारत के सात पड़ोसी देशों में हिंदुओं की स्थिति कैसी है, ये सवाल आपके मन में जरूर उठते होंगे, तो इसका खुलासा सीडीपीएचआर की रिपोर्ट में हुआ है और सीडीपीएचआर यानि सेंटर फॉर डेमोक्रेसी प्लूरेलिज्म एंड ह्यूमन राइट्स की रिपोर्ट में भारत के सात अलग अलग पड़ोसी देशों में हिंदुओं की स्थिति चिंताजनक बताई गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, इन देशों में हिंदुओं को ना तो सम्मानजनक जीवन जीने का मौका मिलता है और ना ही दूसरे अधिकार। इस रिपोर्ट को नागरिक समानता, न्याय, लोकतांत्रिक अधिकार जैसे प्वाइंट्स को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। सीडीपीएचआर की इस रिपोर्ट को तैयार करने में शिक्षाविद, वकील, मीडियाकर्मी, और रिसर्च में शामिल लोगों ने तैयार किया है। ये रिसर्च भारत के सात पड़ोसी देशों में किया गया है और उसके आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई है।

पाकिस्तान में हिंदुओं की स्थिति

पाकिस्तान में हिंदुओं की स्थिति

पाकिस्तान एक मुस्लिम देश है और पाकिस्तान में हिंदुओं की स्थिति बेहद खराब है। सीडीपीएचआर की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में हिंदुओं के मानवाधिकार को लेकर काफी चिंता जताई गई है। सीडीपीएचआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में ना सिर्फ हिंदू अल्पसंख्यकों की स्थिति काफी खराब है बल्कि वहां शिया और अहमदिया मुसलमानों की स्थिति भी काफी खराब है। पाकिस्तान में कानून की एक धारा है 298-बी-2, जिसके तहत अहमदिया मुसलमान अजाम शब्द का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। उनके लिए अजान शब्द का इस्तेमाल करना कानूनन अपराध बताया गया है और इसके लिए उन्हें सजा भी हो सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में हिंदू अल्पसंख्यकों के साथ साथ सिख और ईशाई अल्पसंख्यकों को भी जबरदस्ती, धर्म परिवर्तन और अपहरण जैसे वारदातों का सामना करना पड़ता है। रिपोर्ट के अंदर पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों को लिए रहना किसी जंग लड़ने से कम नहीं है।

बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति

बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति

बांग्लादेश में भी हिंदुओं की स्थिति बेहतर नहीं है। बांग्लादेश से हिंदू समुदाय अब भी पलायन कर भारत भागने को मजबूर हैं। ढाका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अब्दुल बरकत की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 4 दशकों में बांग्लादेश से 2 लाख 30 हजार 612 लोग हर साल पलायन कर भारत भाग रहे हैं। यानि, बांग्लादेश से हर दिन 632 लोग पलायन करने को मजबूर हैं। प्रोफेसर बरकत की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश से जिस हिसाब से हिंदुओं का पलायन हो रहा है उस हिसाब से अगल 25 सालों के बाद बांग्लादेश में एक भी हिंदू नहीं बचेगा। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1975 में बांग्लादेश के संविधान को बदल दिया गया और वहां सेकुलरिज्म शब्द को हटाकर कुरान की पंक्तियों को रखा गया और फिर साल 1988 में बांग्लादेश को इस्लामिक मुल्क घोषित कर दिया गया। प्रोफेसर बरकत की रिपोर्ट में बताया गया है कि चटगांव पर्वतीय क्षेत्र के डेमोग्राफी को भी पूरी प्लानिंग के साथ बदल दिया गया। साल 1951 में चटगांव में 90 फीसदी आबादी बौद्ध थे और साल 2011 में चटगांव में सिर्फ 55 फीसदी बौद्ध हैं।

अफगानिस्तान में हिंदुओं की स्थिति

अफगानिस्तान में हिंदुओं की स्थिति

सीडीपीएचआर की रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान में हिंदू अब लुप्त होने के कगार पर हैं। अफगानिस्तान में हिंदुओं के मानवाधिकार को पूरी तरह से खत्म कर दिया है। रिपोर्ट में अफगानिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यकों की स्थिति पर चिंता जताई गई है। अफगानिस्तान का संविधान कहता है कि वहां कोई भी गैर-मुस्लिम शख्स प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति नहीं बन सकता है। सीडीपीएचआर की रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान में साल 1970 में 7 लाख हिंदू और सिख रहते थे और अब अफगानिस्तान में सिर्फ 200 हिंदू परिवार रहते हैं।

तिब्बत में हिंदुओं की स्थिति

तिब्बत में हिंदुओं की स्थिति

रिपोर्ट के मुताबिक तिब्बत में हिंदुओं की स्थिति पहले सी कम थी लेकिन चीन ने यहां पर धार्मिक आधार पर कई प्रतिबंध लगा रखे है। हालांकि, चीन तिब्बत में अल्पसंख्यकों की मानवाधिकार स्थिति पर पर्दा डालने की कोशिश करता रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान में सामाजिक, भाषाई, धार्मिक, सांस्कृतिक और तिब्बत की मूल पहचान को खत्म करने की बड़ी तेजी से कोशिश कर रहा है।

मलेशिया में हिंदुओं की स्थिति

मलेशिया में हिंदुओं की स्थिति

मलेशिया भी इस्लामिक देश है और यहां 6.4 प्रतिशत आबादी हिंदुओं की है। लेकिन, हिंदुओं को यहां मुस्लिमों के बराबर अधिकार हासिल नहीं है। वहीं, देश में धार्मिक आधार पर भी कई पाबंदियां हैं। 2000 की जनगणना के मुताबिक मलेशिया में करीब 14 लाख हिंदू थे और मलेशिका का संविधान धर्म की आजादी की गारंटी नहीं देता है। मलेशिया के कानून के मुताबिक वहां के मुस्लिम अपना धर्मपरिवर्तन नहीं कर सकते हैं जबकि गैर-धर्म के लोग धर्म-परिवर्तन कर सकते हैं।

श्रीलंका में हिंदुओं की स्थिति

श्रीलंका में हिंदुओं की स्थिति

सीडीपीएचआर की रिपोर्ट में श्रीलंका में भी हिंदुओं की स्थिति को लेकर चिंता जताई गई है। श्रीलंका में भी अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर चिंता जताई गई है और रिपोर्ट में कहा गया है कि श्रीलंका में 26 सालों तक चले गृहयुद्ध का नतीजा ये है कि एक लाख से ज्यादा लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी और 20 हजार से ज्यादा तमिल श्रीलंका से गायब हो गये।

इंडोनेशिया में हिंदुओं की स्थिति

इंडोनेशिया में हिंदुओं की स्थिति

सीडीपीएचआर की रिपोर्ट में इंडोनेशिया के बारे में हालात चिंतापूर्ण ही बताए गये हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इंडोनेशिया में पिछले कुछ सालों में मजहब के आधार पर कट्टरता काफी बढ़ गई है और अब अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने लगा है। बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी काफी ज्यादा कट्टर होती जा रही है और असहिष्णुता भी अब काफी बढ़ने लगी है। 2002 में इंडोनेशिया के बाली में धमाका किया गया था जिसमें एक इस्लामिक नेता का नाम आया था। वहीं 2012 में बालीनुर्गा में हिंदुओं पर हमला किया गया था। वहीं, पिछले कुछ सालों में इंडोनेशिया में हिंदू समुदाय को निशाना बनाया जाने लगा है।

मुस्लिम देश के अल्पसंख्यक

मुस्लिम देश के अल्पसंख्यक

सीडीपीएचआर की रिपोर्ट में बताया गया है कि इस्लामिक देशों में अल्पसंख्यकों के लिए रहना हर दिन जंग लड़ने जैसा है। सीडीपीएचआर की रिपोर्ट में की प्रेसिडेंट प्रेरणा मल्होत्रा के मुताबिक पाकिस्तान में सिर्फ हिंदू अल्पसंख्यकों की ही स्थिति खराब नहीं है, बल्कि वहां शिया अल्पसंख्यकों और अहमदिया मुस्लिमों की भी मानवाधिकारों को कुचला जाता है। पाकिस्तान में रहने वाले बलोच या अहमदिया जैसे अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार से पाकिस्तान को कोई मतलब नहीं है। वहीं, अब बांग्लादेश भी हिंदुओं को लेकर नया पाकिस्तान बन गया है। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

महिलाओं को मर्दों के बराबर आने में लगेंगे 135 साल, भारत में महिलाओं की स्थिति रवांडा से भी खराबमहिलाओं को मर्दों के बराबर आने में लगेंगे 135 साल, भारत में महिलाओं की स्थिति रवांडा से भी खराब

Comments
English summary
CDPHR has released its report on the human rights of Hindus in seven neighboring countries of India. Know what is the status of Hindu minorities in these countries.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X