अमेरिकी दबाव का असर! रूस से कारोबार समेटने में लगीं लेनेवो, श्याओमी जैसी चीनी कंपनियां
चीनी सरकार ने कंपनियों से अमेरिका और अन्य देशों के दबाव का विरोध करने का आह्वान किया। हालांकि फिर भी कई प्रमुख चीनी कंपनियां चुपचाप रूस में शिपमेंट में कटौती कर रही हैं।
बीजिंग, 10 मईः यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद अमेरिका, यूरोप और अन्य देशों ने इस देश पर कई आर्थिक व अन्य प्रतिबंध लगाए हैं। हालांकि चीन ने रूस के खिलाफ इन प्रतिबंधों को एकतरफा और गैरकानूनी बताते हुए इसका विरोध किया और कहा कि वह रूस के साथ पहले की तरह ही व्यापार करता रहेगा। लेकिन चीन के इस कदम के बावजूद कई चीनी टेक कंपनियों ने रूस में व्यापार करने से पीछे हटना शुरू कर दिया है।
चुपचाप शिपमेंट में कर रही कटौती
वॉल स्ट्रीट जर्नल की शुक्रवार की रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी सरकार ने कंपनियों से अमेरिका और अन्य देशों के दबाव का विरोध करने का आह्वान किया। हालांकि फिर भी कई प्रमुख चीनी कंपनियां चुपचाप रूस में शिपमेंट में कटौती कर रही हैं। दीगर बात ये है कि इन कंपनियों के उत्पादों ने रूसी बाजार पर अपना दबदबा बनाए रखा है। सूत्रों के मुताबिक इन कंपनियों में प्रमुख रूप से कंप्यूटर निर्माता लेनोवो ग्रुप लिमिटेड और स्मार्टफोन और गैजेट फर्म श्याओमी कॉर्प शामिल हैं। हालांकि पश्चिमी कंपनियों के विपरीत, इन कंपनियों ने यूक्रेन में रूस के युद्ध की आलोचना करते हुए सार्वजनिक बयान नहीं दिया है।
पश्चिम देशों की नीतियों का विरोध
इससे पहले मार्च में, चीन के बैंकिंग और बीमा नियामक के प्रमुख ने कहा था कि चीन, रूस के खिलाफ वित्तीय प्रतिबंधों का विरोध करता है और उन्हें लागू करने में पश्चिमी देशों में शामिल नहीं होगा। गुओ शुकिंग ने उस समय एक ब्रीफिंग में कहा था कि उनका देश, ऐसे प्रतिबंधों में भाग नहीं लेगा और हम संबंधित पक्षों के साथ सामान्य आर्थिक, व्यापार और वित्तीय आदान-प्रदान जारी रखेंगे। उन्होंने तर्क दिया कि एकतरफा वित्तीय प्रतिबंध आमतौर पर सकारात्मक परिणाम नहीं देते हैं और कानूनी आधार की कमी लिए होते हैं।
एक महीने में गिरा 27 प्रतिशत निर्यात
चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने पिछले महीने स्वीकार किया था कि प्रतिबंधों ने रूस के साथ देश के व्यापार को बाधित कर दिया है। हालांकि मंत्रालय ने कंपनियों से बाहरी दबाव के बीच न झुकने और अनुचित बयान न देने का आग्रह किया। इस बीच व्यापार के आंकड़ों से पता चला है कि रूस को चीन का कुल निर्यात फरवरी से मार्च तक 27% गिर गया है। रूस को तकनीकी निर्यात में भारी गिरावट इस बात को रेखांकित करती है कि पश्चिम के प्रतिबंध कितने प्रभावशाली रहे हैं और दूर स्थित कंपनियों के व्यवहार को प्रभावित करने में वे कितने प्रभावी रहे हैं, यहां तक कि उन देशों में भी जहां सरकार प्रतिबंधों का विरोध करती है।