कोरोना नियंत्रित करने के लिए चीन ने उइगरों के साथ किया घिनौना बर्ताव, महिला ने सुनाई आपबीती
बीजिंग। चीन में उइगर मुस्लिमों के साथ कैसा बर्ताव किया जाता है, ये किसी से छिपा नहीं है। अब ऐसी ही एक महिला ने अपनी आपबीती सुनाई है। इस महिला ने बताया है कि चीन में जब कोरोना वायरस (कोविड-19) के मामले तेजी से बढ़ रहे थे, तब उसे गिरफ्तार करके डिटेंशन सेंटर के एक सेल में डाल दिया गया। जहां उसी की जैसी दर्जनों महिलाएं बंद थीं। उसे जबरन एक दवा पिलाई जाती थी, जिसका सेवन करने के बाद उसे कमजोरी महसूस होती और उल्टी भी आने लगती। वहां मौजूद गार्ड्स ये देखते थे कि दवा पूरी पी जा रही है या फिर नहीं।
महिलाओं पर कीटनाशक छिड़का गया
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इन महिलाओं को हफ्ते में एक बार नग्न किया जाता और इनके चेहरों को ढंक दिया जाता। जिसके बाद यहां गार्ड्स आते और सेल में कीटनाशक का छिड़काव करके जाते। शिंजियांग से इस महिला ने फोन पर अपनी आपबीती सुनाई और डर के कारण अपने नाम का खुलासा नहीं किया। ये महिला कहती है कि इसके हाथों को काफी नुकसान पहुंच गया है, उनपर से खाल उतरने लगी है। चीन के सुदूर उत्तर-पश्चिमी शिंजियांग क्षेत्र में वायरस को नियंत्रित करने के लिए ऐसे तरीके अपनाए गए जैसा कोई सोच भी नहीं सकता।
जबरन पिलाई जाती पारंपरिक दवा
यहां लोगों के घरों पर ताले लगाए गए, 40 से अधिक दिन का क्वारंटाइन लागू किया गया और जो इन नियमों को नहीं मान रहे थे, उन्हें गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा सरकारी नोटिसों, सोशल मीडिया पोस्ट और शिंजियांग में क्वारंटाइन किए गए लोगों से पता चलता है कि कुछ लोगों को पारंपरिक चीनी दवा निगलने के लिए मजबूर किया गया। ऐसा डाटा ना के बराबर है, जो ये साबित कर सके कि इस दवा से वायरस ठीक होता है। इनमें से एक हर्बल उपचार तो ऐसा भी है, जिसमें उन पदार्थों का इस्तेमाल होता है, जिन्हें विषाक्तता के उच्च स्तर और अन्य कारणों से जर्मनी, अमेरिका और स्विटजरलैंड जैसे देशों में प्रतिबंधित किया गया है।
घर से नहीं निकल पा रहे लोग
ताजा जानकारी के अनुसार, जुलाई के मध्य में शिंजियांग में 826 मामले मिलने के बाद कड़े लॉकडाउन को 45 दिनों तक के लिए बढ़ा दिया गया है। इस लॉकडाउन नियम को इसलिए भी ठीक नहीं ठहराया जा रहा है क्योंकि यहां बीते एक हफ्ते से लोकल ट्रांसमिशन का एक भी नया मामला सामने नहीं आया है। इसके अलावा वुहान में भी लॉकडाउन लगाया गया, लेकिन वहां लोगों को इस तरह की पारंपरिक दवा पीने के लिए मजबूर नहीं किया गया। इन लोगों को राशन का सामान लेने और अन्य जरूरी कार्यों के लिए घर से बाहर जाने की मंजूरी भी दी गई है। लेकिन शिंजियांग में ऐसा नहीं हो रहा है।
उइगरों पर होता अत्याचार
शिंजियांग लोगों की आधी से ज्यादा आबादी अब भी लॉकडाउन में रहने को मजबूर है। जबकि वुहान और चीन के बाकी हिस्सों में जीवन पहले की तरह ही जिया जाने लगा है। उइगर लोगों को तीन से भी अधिक वर्षों से नजरबंद करके रखा जा रहा है। इनका ब्रेन वॉश तक किया जाता है। जिसकी कई कहानियां आप सोशल मीडिया और न्यूज मीडिया में पढ़ सकते हैं। लेकिन ऐसा किए जाने के पीछे का कारण चीन इनकी बेहतरी किया जाना ही बताता है। उइगर लोगों का कहना है कि इनके घरों के गेट को इस तरह बंद किया जाता है कि ये लोग खोल ना सकें। इन्हें जबरन बिना किसी बीमारी के लक्षण के दवा पिलाई जाती है।
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