चीन बार बार कर रहा हाइपरसोनिक मिसाइल का टेस्ट, जानिए भारत कब तक बना लेगा ये ब्रह्मास्त्र?
चीन ने इस साल दो बार हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया है, जिसने अमेरिका को स्तब्ध कर दिया है, जानिए भारत कब तक हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी हासिल कर लेगा।
नई दिल्ली, अक्टूबर 21: ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स ने खुलासा किया है कि चीन ने इस साल जुलाई और अगस्त महीने में एक बार नहीं, बल्कि दो बार हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया था। चीन ने इस परमाणु मिसाइल का परीक्षण अंतरिक्ष में किया था, जिसका मतलब ये हुआ, कि चीन किसी भी वक्त दुनिया के किसी भी कोने में हाइपरसोनिक परमाणु बम गिरा सकता है और इस बम को रडार पर पकड़ना या फिर मिसाइल को लॉन्च करने के स्थान के बारे में पता करना अभी तक की टेक्नोलॉजी के मुताबिक नामुमकिन है। चीन के इस टेस्ट से अमेरिका स्तब्ध है, लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर भारत इस ब्रह्मास्त्र को कब तक हासिल कर सकता है?
स्पेस में परमाणु बम का टेस्ट
फाइनेंशियल टाइम्स ने खुलासा किया है कि, बीजिंग ने 27 जुलाई को पहली बार और 13 अगस्त को दूसरी बार हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया था, जो पृथ्वी के चारों ओर एक चक्कर लगाने के बाद अपने निशाना लगाया था, हालांकि, ये मिसाइल निशाने को भेद नहीं पाया, लेकिन अखबार ने कहा है कि, चीन इस टेक्नोलॉजी को बनाने में कामयाब हो चुका है। मामले से परिचित एक वैज्ञानिक के मुताबिक, चीन का न्यूक्लियर हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन पृथ्वी की निचली कक्षा में एक चक्कर लगाने के बाद अपने टार्गेट को हिट करने के लिए आगे बढ़ा, लेकिन मिसाइल निशाने को भेद नहीं पाया। इस मामले में फाइनेंशियल टाइम्स ने पांच जानकारों के हवाले से रिपोर्ट पिछले हफ्ते पहली बार प्रकाशित की थी और दोबारा रिपोर्ट गुरुवार को प्रकाशित की गई है। जिसमें कई बड़े खुलासे किए हैं। पिछले हफ्ते जब फाइनेंशियल टाइम्स ने पहली बार रिपोर्ट दी थी, तो चीन ने कहा था कि, उसने किसी मिसाइल का परीक्षण नहीं, बल्कि स्पेसक्राफ्ट का परीक्षण किया था।
कहीं भी हमला करने में सक्षम
चीन के इस हाइपरसोनिक मिसाइल को आप आम भाषा में परमाणु बम ही समझिए, जिसकी स्पीड आवाज की स्पीड से पांच गुना ज्यादा तेज है, जिसका मतलब ये हुआ कि, चीन अब अंतरिक्ष से कभी भी, किसी भी देश पर, अपनी मर्जी से परमाणु बम से हमला कर सकता है। इस हथियार की सबसे खतरनाक बात ये है, कि इसकी रफ्तार आवाज की स्पीड से पांच गुना ज्यादा होगी, जिसका मतलब ये हुआ, कि एक बार अगर इस हथियार को दाग दिया गया, तो फिर उस निशाने पर विध्वंस फैलने से कोई नहीं रोक सकता है। इसकी स्पीड का अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं, कि अंतरिक्ष से ये हाइपरसोनिक मिसाइल अमेरिका के ऊपर सिर्फ 1 मिनट और कुछ सकेंड्स में हमला कर सकता है और वहां बर्बादी फैला सकता है।
विश्व में नये स्तर की लड़ाई का आगाज
डिफेंस मामलों की प्रतिष्ठित वेबसाइट द ड्राइव ने चीन के हाइपरसोनिक हथियार परीक्षण को दुनिया की शांति के लिए अत्यधिक खतरनाक दिया है और कहा है कि, इस परीक्षण के साथ ही दुनिया पूरी तरह से बदल चुकी है। वेबसाइट ने लिखा है कि, जब अमेरिकी खुफिया अधिकारियों को चीन द्वारा अंतरिक्ष में किए गये हाइपरसोनिक हथियार के परीक्षण की खबर मिली, तो तमाम अधिकारियों के हाथ-पैर फूल गये हैं। चीन ने अब तक अंतरिक्ष में किए गये इस परीक्षण को दुनिया से छिपा रखा था। फाइनेंशियल टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, चीन का हाइपरसोनिक मिसाइल अपने लक्ष्य को भेदने से 32 किलोमीटर पहले गिर गया, लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है कि, निशाना भले नहीं लगा हो, लेकिन चीन के हाथ कामयाबी लग चुकी है और अब वो पीछे नहीं हटने वाला है।
एयर डिफेंस सिस्टम हो जाएंगे बर्बाद
'द ड्राइव' ने अपनी रिपोर्ट में जिंता जाहिर करते हुए लिखा है कि, चीन का हाइपरसोनिक मिसाइल हर देश के एयर डिफेंस सिस्टम को ध्वस्त कर सकता है। यानि, एस-400 मिसाइल सिस्टम, जो अभी भारत रूस से खरीद रहा है, वो चीन के इस बैलिस्टिक मिसाइल के सामने पूरी तरह से अप्रभावी साबित होगा। सिर्फ रूस का ही नहीं, बल्कि दुनिया में अभी जितने भी एयर डिफेंस सिस्टम बने हैं, वो सभी चीन के इस नये हथियार के सामने निष्प्रभावी हैं। आपको बता दें कि, अभी तक दुनिया में जो भी परंपरगात मिसाइलें मौजूद हैं, उन्हें एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम के जरिए रोका जा सकता है, लेकिन चीन ने जिस हाइपरसोनिक हथियार को अंतरिक्ष में तैयान करने की कोशिश की है, वो तमाम एयर डिफेंस सिस्टम की ताकत से बड़ी चीज होगी।
क्यों ब्रह्मास्त्र है हाइपरसोनिक मिसाइल?
दुनिया में किसी भी देश के पास ऐसी क्षमता नहीं है, कि वो हाइपरसोनिक मिसाइल को बीच रास्ते में ही ध्वस्त कर दे, या फिर अपने देश को हाइपरसोनिक मिसाइल से बचा ले, लिहाजा इस हाइपरसोनिक मिसाइल को आप चीन का ब्रह्मास्त्र कह सकते हैं। हालांकि, रूस ने दावा किया है कि, उसका नया बनाया गया एस-500 मिसाइल सिस्टम के पास हाइपरसोनिक हथियारों को मार गिराने की क्षमता है, लेकिन रूस के दावे में कितना दम है, इसकी पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है। अमेरिका, रूस और चीन सभी हाइपरसोनिक हथियार विकसित कर रहे हैं, जिसमें ग्लाइड वाहन भी शामिल हैं जो रॉकेट पर अंतरिक्ष में लॉन्च किए जाते हैं, लेकिन अपनी गति के तहत पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं। वे ध्वनि की गति से पांच गुना तेज गति से उड़ते हैं, बैलिस्टिक मिसाइल की तुलना में थोड़ी कम रफ्तार उनकी होती है। लेकिन वे बैलिस्टिक मिसाइल के रास्ते को फॉलो नहीं करती हैं, लिहाजा उन्हें ट्रैक करना काफी ज्यादा मुश्किल हो जाता है।
हाइपरसोनिक हथियारों की रेस
चीन द्वारा अंतरिक्ष में हाइपरसोनिक मिसाइलके परीक्षण करने बाद अब इस बात की पूरी संभावना है कि, कई देश अब हाइपरसोनिक हथियारों की इस रेस में शामिल हो सकते हैं। पिछले महीने अमेरिका, रूस और उत्तर कोरिया भी हाइपरसोनिक हथियार का परीक्षण कर चुके हैं, लेकिन ये हथियार अंतरिक्ष के नहीं थे। लेकिन, अब माना जा रहा है कि, कई देश काफी तेजी के साथ हाइपरसोनिक हथियारों का विकास करने की तैयारी में तेजी ला सकते हैं। यानि, चीन ने इस दुनिया में शक्ति संतुलन में भूचाल ला दिया है। इसके साथ ही चीन के इस हाइपरसोनिक मिसाइल टेस्ट पर अगर अमेरिका के बाद किसी देश की नजर होगी, तो वो भारत होगा और इस बात से इनकार करना मुश्किल है, कि आगे जाकर भारत हाइपरसोनिक हथियार बनाने की रेस में शामिल नहीं होगा।
भारत का मिसाइल कार्यक्रम
अब भारत पाकिस्तान को नहीं, बल्कि चीन को अपने लिए सबसे बड़ा खतरा मानता है और लद्दाख में जिस तरह से चीन के सैनिक लगातार भारत को आंख दिखाने की कोशिश करते हैं, उसे भारत चिंता के नजरिए से देख रह है। वहीं, अब जबक पता चल गया है कि, चीन के हाथ में विनाशकारी ब्रह्मास्त्र लग चुका है, तो फिर इस बात की पूरी संभावना है कि, भारत तेजी से अपना मिसाइल कार्यरक्रम आगे बढ़ाएगा और ऐसा नहीं है कि, भारत हाइपरसोनिक हथियारों की रेस में बहुत पीछे है। आपको बता दें कि, हाइपरपसोनिक हथियार बनाने के लिए भारत में काफी लंबे वक्त से काम कर रहा है। भारत पहले ही सुपरसोनिक हथियारों का निर्माण कर चुका है और चीन, रूस, अमेरिका के बाद भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जो हाइपरसोनिक हथियारों का विकास कर रहा है। भारत पहले ही सुपरसोनिक टेक्नोलॉजी का सफल परीक्षण कर चुका है।
भारत में भी हाइपरसोनिक हथियार का निर्माण
भारत में हथियारों के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था डीआरडीओ ने भारत में हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी का सफल परीक्षण किया था। ओडिशा के बालासोर में डीआरडीओ ने एचएसटीडीवी यानि हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेट वीइकल टेस्ट को कामयाबी के साथ अंजाम दिया था। भारत के वैज्ञानिकों ने हाइपरसोनिक हथियारों की स्पीड को लेकर चीन और अमेरिका के वैज्ञानिकों को भी पीछे छोड़ दिया है। अमेरिका और चीन के हाइपरसोनिक हथियार जहां हवा की रफ्तार से पांच गुना तेज रफ्तार से वार करने में सक्षम हैं, वहीं भारतीय वैज्ञानिकों ने जो टेस्ट किया था, उसमें हथियार की रफ्तार हवा की रफ्तार से 6 गुना ज्यादा तेज था। यानि, चीन के हाइपरसोनिक हथियार से भी ज्यादा तेज भारत में जिस हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी का विकास किया जा रहा है, उसकी रफ्तार होगी।
बगैर मदद विकसित हो रहा हथियार
बात अगर भारत की करें, तो भारत ने बिना किसी दूसरे देश की मदद के सुपरसोनिक मिसाइलों का निर्माण किया था और भारत बिना किसी दूसरे देश की सहायता से, अपने देश के अंदर ही हाइपरसोनिक परमाणु बम का निर्माण कर रहा है। भारत के मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का कर्जदार भारत के एक एक नागरिक जिंदगी भर रहेंगे, क्योंकि उनकी वजह से ही भारत भी हाइपरसोनिक हथियार का निर्माण कुछ सालों में कर लेगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, डीआरडीओ अगले पांच सालों में स्क्रैमजेट इंजन के साथ हाइपरसोनिक मिसाइल का निर्माण कर सकता है और भारत में जिस हथियार का निर्माण किया जाएगा, उसकी रफ्तार अमेरिकी और चायनीज हाइपरसोनिक हथियार से 2 किलोमीटर प्रति सेकंड ज्यादा होगी।
भारत की अविश्वसनीय टेक्नोलॉजी
भारत ने अपनी टेक्नोलॉजी और महान वैज्ञानिकों की बदौलत काफी कम पैसों में मंगलयान मिशन को अंजाम दिया था और अभी हाइपरसोनिक हथियार के लिए भारत जिस रॉकेट का निर्माण कर रहा है, उस रॉकेट से काफी कम लागत में सैटेलाइट भी लॉंच किया जा सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत की एचएसटीडीवी टेक्नोलॉजी के सफल परीक्षण के बाद भारत के पास अपना, अपने देश में बनाया हुआ हाइपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस-2 होगा। आपको बता दें कि, ब्रह्मोस-1 एक सुपरसोनिक हथियार है, जो आवाज की रफ्तार से वार करने में सक्षम है और इस हथियार ने चीन के नाक में दम कर रखा है। लिहाजा भारत इस वक्त भले ही चीन के इस नये हथियार से थोड़ी टेंशन में हो सकता है, लेकिन भारत का ये टेंशन कुछ ही सालों के लिए ही है।
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