दलाई लामा के अरुणाचल दौरे से चिढ़ा चीन बनेगा कश्मीर मुद्दे का मध्यस्थ!
चीन ने कहा भारत पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए मध्यस्थता करने को तैयार। चीन का कहना 50 बिलियन डॉलर वाला चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर का पीओके से गुजरना इसकी अहम वजह।
बीजिंग। दलाई लामा की अरुणाचल प्रदेश यात्रा से चिढ़े चीन ने अब कश्मीर मुद्दे पर हस्तक्षेप के संकेत दे दिए हैं। चीन का कहना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए वह मध्यस्थता करने को तैयार है। चीन की मानें तो करीब 50 बिलियन डॉलर वाला चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) पीओके से होकर गुजरता है और यही बात उसे मध्यस्थता के लिए विचार करने पर मजबूर कर रही है।
अपने निवेश के लिए कुछ भी करेगा चीन
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में छपे एक आर्टिकल में कहा गया है कि चीन को यह बात पता चल गई है कि वह इस क्षेत्र में एक बड़ा रोल अदा करता है। ग्लोबल टाइम्स का दावा है कि चीन ने रोहिंग्या मुसलमान शरणार्थी विवाद पर म्यांमार और बांग्लादेश के बीच मध्यस्थता की है। इस आर्टिकल के मुताबिक, 'चीन हमेशा से ही दूसरे देशो के आतंरिक मसलों में हस्तक्षेप करने से बचने के सिद्धांत से बचता आया है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि वह विदेशों मे जारी अपने निवेश की मांग पर भी इससे मुंह फेर लेगा।' आर्टिकल में आगे लिखा है, 'चीन ने वन बेल्ट वन रोड के साथ दूसरे देशों में एक बड़ा निवेश किया है, अब चीन के इस क्षेत्र में अपने हित हैं और वह भारत और पाकिस्तान के बीच जारी कश्मीर विवाद जैसे दूसरे विवादों को सुलझाने में मदद कर सकता है।'
कश्मीर चीन के लिए भी चुनौती
आर्टिकल में दावा किया गया है कि चीन ने हाल ही में म्यांमार और बांग्लादेश के बीच रोहिंग्या मुद्दे पर मध्यस्थता की थी। यह मध्यस्थता यह बताने के लिए काफी है कि सीमा से आगे जाकर भी चीन विवादों और संघर्षों को सुलझाने की क्षमता रखता है। ग्लोबल टाइम्स में लिखा है कि चीन हमेशा से ही क्षेत्रीय सत्ता परिवर्तन का केंद्र बिंदु रहा है और ऐसे में अब इस देश को सीखना होगा कि वह कैसे इस क्षेत्र में संघर्षों को सुलझाने वाली ताकत के तौर पर काम कर सकता है। आर्टिकल की मानें तो अगर चीन, कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच हस्तक्षेप करता है तो यह चीन का क्षेत्रीय मुद्दों को सुलझाने की सबसे बड़ी चुनौती होगी। कहा जा रहा है कि यह पहला मौका है जब चीन की आधिकारिक मीडिया की ओर से पहली बार कश्मीर मुद्दे पर चीन की मध्यस्थता की बात कही गई है। अभी तक चीन हमेशा यही कहता आया था कि कश्मीर का मुद्दा चीन और पाकिस्तान का आपसी मुद्दा है और इसे उसी तरह से सुलझाया जाना चाहिए। चीन ने इस बात से भी इंकार कर दिया है कि पीओक में उसकी सेना मौजूद है।