भारतीय मीडिया पर बुरी तरह भड़क गया चीन, कहा- दुनिया में सिर्फ एक ही चीन है...
नई दिल्ली, 04 जुलाईः चीन ने भारतीय मीडिया पर निशाना साधा है। अमेरिका के निचले सदन की स्पीकर नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा से उपजे तनाव की रिपोर्टिंग को लेकर चीन ने भारतीय मीडिया से जिम्मेदार रवैया अपनाने की अपील की है। चीन का कहना है कि आशा है कि भारतीय मीडिया ताइवान से संबंधित रिपोर्टों में जिम्मेदार रवैया अपनाएगा।
दुनिया में बस एक ही चीन
नई दिल्ली में मौजूद चीनी दूतावास के प्रवक्ता वांग जिओजियान ने संयुक्त राष्ट्र के बयान को रिट्वीट करते हुए कहा है कि दुनिया में सिर्फ एक ही चीन है और ताइवान उसी चीन का अविभाज्य हिस्सा है। आशा है कि भारतीय मीडिया ताइवान से संबंधित रिपोर्टों में जिम्मेदार रवैया अपनाएगा। ताइवान के सवाल के ऐतिहासिक पहलुओं का सम्मान करेगा और इस तथ्य औऱ यथा स्थिति का सम्मान करेगा कि ताइवान स्ट्रीट के दोनों पक्ष एक ही चीन के हैं।
भारत की संप्रभुता का ख्याल नहीं करता चीन
गौरलतब है कि चीन है हमेशा भारत के अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख पर अपना दावा जताता नजर आता है। इस दौरान ड्रैगन को भारत की संप्रभुता का ख्याल नहीं आता। लेकिन अब वह यूएन के बयान का हवाला देकर चीन पूरी दुनिया से एक चीन सिद्धांत का पालन करने की अपील कर रहा है। इससे पहले मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र ने एक-चीन सिद्धांत के लिए अपना समर्थन दोहराया था।
खुद को रिपबल्कि ऑफ चाइना बताता है ताइवान
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा कि यूएन 1971 के संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के प्रस्ताव 2758 का पालन करता है। 1971 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने ताइवान की मान्यता रद्द करके कम्युनिस्ट चीन को चीन के रूप में मान्यता दे दी थी। लेकिन ताइवान खुद को रिपबल्कि ऑफ चाइना (PRC) के नाम से संबोधित करता है। वह खुद एक स्वतंत्र देश के रूप में पेश करता है। ताइवान में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था है, लेकिन ताइवान ने खुद को कभी आधिकारिक रूप से स्वतंत्र राष्ट्र घोषित नहीं किया है।
चीन से 120 किलोमीटर दूर है ताइवान
ताइवान चीन की मुख्य भूमि के दक्षिण पूर्व तट से करीब 120 किलोमीटर दूर स्थित है। इस पर 17वीं शतीब्दी में चीन ने नियंत्रण स्थापित किया था। लेकिन साल 1985 में जापान ने चीन को हराकर इस द्वीप पर कब्जा कर लिया। इसके बाद लगभग 50 वर्षों तक यहां जापान का ही शासन रहा। लेकिन साल 1945 में द्वितीय युद्ध में जापान के हारने के बाद एक बार फिर से चीन ने यहां कब्जा कर लिया। ठीक इसी दौर में चीन पर शासन करने के दावे के बीच कम्युनिस्ट पार्टी और नेशनलिस्ट पार्टी के बीच युद्ध भी छिड़ गया था।
इतिहास के आधार पर चीन जताता है दावा
गृहयुद्ध में मोओत्से तुंग के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट पार्टी से हारने के बाद 1949 में नेशनलिस्ट पार्टी के माओत्से तुंग अपने 20 लाख सैनिकों, सहयोगियों और नागरिक शरणार्थियों के साथ चीन से भागकर ताइवान चले गए। इसी द्वीप पर उन्होंने रिपब्लिक ऑफ चाइना सरकार का गठन किया। समुद्र में बहुत मजबूत न होने के चलते उस समय कम्युनिस्ट पार्टी समुद्र पार कर इस द्वीप पर हमला नहीं किया। लेकिन चीन अपने इतिहास को लेकर दावा करता है कि ताइवान मूल रूप से उसका ही प्रांत रहा है और उसपर चीन का अधिकार है।
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