तीसरी बार राष्ट्रपति बनते ही उपद्रव मचाना शुरू करेंगे शी जिनपिंग, परमाणु बमों में करेंगे बेतहाशा वृद्धि
पेंटागन द्वारा नवंबर में जारी एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि, चीन के पास 2027 तक 700 और 2030 तक कम से कम 1,000 परमाणु हथियार हो सकते हैं।
Xi Jinping News: चीन में कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं कांग्रेस के समापन के बाद अब रविवार को इस बात की घोषणा की जाएगी, कि शी जिनपिंग तीसरी बार चीन के राष्ट्रपति बनेंगे। वहीं, विशेषज्ञों ने आशंका जताई है, कि सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की प्रमुख कांग्रेस में पहली बार राष्ट्रपति शी जिनपिंग की टिप्पणी के बाद चीन अपने परमाणु शस्त्रागार को बढ़ावा देने की उम्मीद कर रहा है। शी जिनपिंग ने अपने भाषण के दौरान पूरी तरह से साफ संकेत दिया था, कि "हम रणनीतिक प्रतिरोध की एक मजबूत प्रणाली स्थापित करेंगे।" और विशेषज्ञों का कहना है, कि शी जिनपिंग काफी तेजी के साथ परमाणु बमों के अपने जखीरे को बढ़ाने पर ध्यान देंगे।
परमाणु बमों के जखीरे को बढ़ाएगा चीन
राष्ट्रपति शी जिनपिंग, जो चीन की सेन्ट्रल मिलिट्री कमीशन के प्रमुख भी हैं, और करीब 20 लाख सैनिक क्षमता वाले पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के कप्तान हैं, उन्होंने 63 पन्नों की एक दस्तावेज रिपोर्ट चीनी सेना को प्रदान की है, जिसमें चीन के लक्ष्यों का वर्णन किया गया है और बताया गया है, चीन असल में चाहता क्या है और उसे पूरा करने के लिए क्या किए जाने की जरूरत है। इस दस्तावेज में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को अत्यधिक मजबूत किए जाने की बात कही गई है, ताकि देश की रक्षा और सुरक्षा की आधुनिकीकरण किया जा सके। इसके साथ ही उन्होंने मानव रहित ड्रोन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस लड़ाकू क्षमताओं के त्वरित विकास, नेटवर्क सूचना प्रणाली के विकास और कॉर्डिनेशन को बढ़ावा देने का आह्वान किया है।
शी जिनपिंग ने बदली प्लानिंग
हांगकांग स्थित साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने बताया कि, साल 2017 में जब कम्युनिस्ट पार्टी की 19वीं कांग्रेस हुई थी, उस वक्त और पिछले साल जब शी जिनपिंग ने अपना ऐतिहासिक प्रस्ताव रखा था, उन दोनों में शी जिनपिंग ने स्ट्रेटजिग डेटरेंस की कोई बात नहीं की थी। लेकिन पिछले साल जारी देश की 14वीं पंचवर्षीय योजना रिपोर्ट ने "एक हाई-स्टेंडर्ट स्ट्रैटजिक डेटरेंस का निर्माण" करने की आवश्यकता पर जोर दिया। विश्लेषकों ने कहा कि, शी जिनपिंग के उल्लेख से संकेत मिलता है कि, अमेरिका के साथ अपनी बढ़ती प्रतिद्वंद्विता के बीच चीन अपनी परमाणु प्रतिरोधक क्षमता में सुधार करेगा, जो एक प्रमुख परमाणु शक्ति है।
परमाणु बमों से देश की सुरक्षा
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के पूर्व ट्रेनर सोंग झोंगपिंग ने कहा कि, इस बयान का मतलब है कि चीन अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा के लिए "रणनीतिक परमाणु बलों के विकास को मजबूत करेगा"। सोंग ने कहा कि, पीएलए को अपने "न्यूक्लियर ट्रायड" फोर्स को मजबूत करना चाहिए। उन्होंने कहा कि, इसका मतलब ये हुआ कि, चीन अब अपनी जमीन पर आधारित इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों (आईसीबीएम), पनडुब्बी से लॉन्च की गई मिसाइलों और हवा से लॉन्च किए गए हथियारों के कॉर्डिनेशन के साथ-साथ परमाणु हमलों का जवाब देने के लिए सेकंड न्यूक्लियर स्ट्राइक कैपेबिलिटी में भी विकास करेगा। उन्होंने कहा कि, "इन सभी के लिए पीएलए के पास एक आधुनिक परमाणु-सशस्त्र बल होना आवश्यक है ... और परमाणु शस्त्रागार को भी बढ़ाए जाने की जरूरत होगी।"
चीन के परमाणु फोर्स पर चेतावनी
रिपोर्ट में कहा गया है कि, अमेरिका ने अतीत में चीन के परमाणु हथियारों के विस्तार की चेतावनी दी है। पेंटागन द्वारा नवंबर में जारी एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि, चीन के पास 2027 तक 700 और 2030 तक कम से कम 1,000 परमाणु हथियार हो सकते हैं। वहीं, सोंग ने कहा कि, मजबूत स्ट्रैटजिक डेटरेंस की आवश्यकता पैदा हो गई है, क्योंकि अमेरिका ने ताइवान मुद्दे और यूक्रेन युद्ध पर चीन और रूस दोनों को चेतावनी दी है और "केवल जब चीन के पास एक मजबूत परमाणु क्षमता होगी, तभी वह हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावी ढंग से सुरक्षित कर सकता है।" हाल के वर्षों में चीन में अपने परमाणु शस्त्रागार का निर्माण करने के लिए आह्वान किया गया है। चीन का दावा है कि, उसके पास परमाणु शस्त्रागार बनाने के लिए सबसे कम परमाणु हथियार हैं।
चीन की परमाणु नीति में बदलाव
बीजिंग में कार्नेगी-सिंघुआ सेंटर फॉर ग्लोबल पॉलिसी के एक वरिष्ठ साथी झाओ टोंग ने साउथ चायना मॉर्निंग पोस्ट को बताया कि, शी जिनपिंग ने जिन नये शब्दों का प्रयोग किया है, वो चीन की परमाणु नीति में चल रहे महत्वपूर्ण बदलाव की ओर इशारा करता है। साल 2021 में चीन ने अपने 'छोटे मगर प्रभावी' परमाणु हथियारों के निर्माण की पॉलिसी छोड़ दी और अब अपनी पारंपरिक नीति से "उच्च-मानक स्ट्रैटजिक डेटरेंस" के निर्माण की तरफ बढ़ निकला। फिर इस साल "मजबूत स्ट्रैटजिक डेटरेंस क्षमता" बनाने की घोषणा की गई। उन्होंने कहा कि, ये काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि सालों से चीन ने कमजोर परमाणु बमों के निर्माण किए और परमाणु हथियारों को लेकर चीन लगातार विनम्र और संयमित बना रहा। लेकिन, ऐसी बातें अब इतिहास बन गई हैं और आखिरकार चीन ने विनाशक परमाणु हथियार बनाने की पॉलिसी बनाई है, जिससे अमेरिका और दूसरे देशों को परेशानी हो रही है। वहीं, शी की रिपोर्ट का विश्लेषण करते हुए, कुह्न फाउंडेशन के अध्यक्ष और चीन पर बीजिंग स्थित अमेरिकी विशेषज्ञ रॉबर्ट लॉरेंस कुह्न ने कहा कि, शी जिनपिंग की रिपोर्ट में राष्ट्रीय सुरक्षा पहले की तुलना में अधिक व्यापक है, और इसमें चीनी समाज के हर पहलू को शामिल किया गया है। कुह्न ने कहा कि रिपोर्ट में "सुरक्षा" और "सुरक्षा" पर अधिक जोर दिया गया है। उन्होंने ये भी कहा कि, अब चीन को बड़ी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
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