
चीन में तियानमेन कांड दोहराने की तैयारी? दर्जनों शहरों में प्रदर्शन देख चढ़ा शी जिनपिंग का पारा, डरी दुनिया
China Protest: चीन में एक बार फिर से इतिहास खुद को दाहरा सकता है और कम्युनिस्ट पार्टी के निशाने पर एक बार फिर से हजारों लोग आ सकते हैं। अपने विरोधियों को जान से मारने के लिए कुख्यात चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं, जो राष्ट्रपती शी जिनपिंग की इस्तीफा देने की मांग कर रहे हैं और चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लाखों की संख्या में वीडियो शेयर किए जा रहे हैं, जिन्हें हटाते हटाते प्रशासन की सांस फूल रही है। वहीं, शंघाई में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच संघर्ष भी शुरू हो गई है और चीन के मामले में ये काफी दुर्लभ मामला है, क्योंकि चीन में कम्युनिस्ट शासन में लोगों को बोलने और प्रदर्शन करने का अधिकार नहीं है, लिहाजा अब दुनिया को तियानमेन कांड का डर सताने लगा है, जब कम्युनिस्ट पार्टी ने 10 हजार से ज्यादा लोगों को मार दिया था।

शंघाई में पुलिस के साथ झड़प
चीन से आ रही मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश के सबसे बड़े औद्योगिक शहर शंघाई में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई है और अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, शंघाई में सैकड़ों प्रदर्शनकारी और पुलिस आपस में भिड़ गए, जिसके बाद विरोध प्रदर्शन और उग्र हो गया है। चीन में ये विरोध प्रदर्शन शी जिनपिंग सरकार की सख्त ज़ीरो कोविड पॉलिसी की वजह से हो रहे हैं और अब ये प्रदर्शन कई शहरों में फैल चुका है। प्रदर्शन की शुरूआत उस वक्त हुई, जब शिनजियांग में एक बिल्डिंग में आग लगने के बाद भी पुलिस ने लोगों को ज़ीरो कोविड पॉलिसी की वजह से बाहर नहीं निकलने दिया, जिसकी वजह से 10 लोगों की जलकर मौत हो गई, जबकि 20 लोग गंभीर तौर पर जल गये हैं। इस घटना के बाद से ही राजधानी बीजिंग, शंघाई, शिनजियांग और वुहान में हजारों लोग सड़कों पर आकर प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसने शी जिनपिंग का पारा बढ़ा दिया है।

ज़ीरो कोविड पॉलिसी से परेशान लोग
चीन में पिछले डेढ़ साल से सख्त ज़ीरो कोविड नीति अपनाई जा रही है, जिसने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। बार बार अत्यंत सख्त लॉकडाउन ने लोगों के धैर्य की क्षमता को खत्म कर दिया है और अब फ्रस्टेशन में लोग सड़कों पर उतर आए हैं। अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदर्शनकारी शॉन जिओ ने चीन के सबसे बड़े शहर शंघाई में रॉयटर्स समाचार एजेंसी को बताया कि, "मैं प्रदर्शन में शामिल हूं, क्योंकि मैं अपने देश से प्यार करता हूं, लेकिन मैं अपनी सरकार से प्यार नहीं करता... मैं बिल्कुल स्वतंत्रता के साथ अपने घर से बाहर निकलना चाहता हूं, टहलना चाहता हूं, लेकिन हमें घर से बाहर कदम रखने की भी इजाजत नहीं है। हमारी COVID-19 नीति एक गेम है और यह विज्ञान या वास्तविकता पर आधारित नहीं है।" अलजजीरा के मुताबिक, सैकड़ों लोग शंघाई में रविवार की शाम को इकट्ठा हो गये और उन्होंने सादा कागज हाथों में लेकर सरकार के खिलाफ जुलूस निकाला और अग्निकांड में मारे गये लोगों को श्रद्धांजलि दी।
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प्रदर्शन को कुचलने की कोशिश
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट में एक चश्मदीद गवाह के हवाले से कहा गया है कि, कम्युनिस्ट शासन की पुलिस लोगों को बसों में भरकप ले जा रही है और लोगों को खदेड़ा जा रहा है। वहीं, प्रदर्शनकारियों की पिटाई के दौरान वीडियो बना रहे बीबीसी के कैमरामेन को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और बुरी तरह से पीटा गया है। बीबीसी ने अपने कैमरामेन की पिटाई की पुष्टि की है और उसके इलाज को लेकर चिंता जताई है। बीबीसी कैमरामेन को चीन की पुलिस हाथ में हथकड़ी लगाकर कई घंटों तक हिरासत में रखा। बीबीसी ने बताया कि, कैमरामेन को लात-घूंसों से पीटा गया है। वहीं, चीन से जो वीडियो निकलकर सामने आ रहे हैं, उसमें प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच भारी झड़प होते हुए देखा जा रहा है।
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चीन में लग रहे हैं आजादी के नारे
अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों ने रविवार को वुहान और चेंगदू की सड़कों पर भी प्रदर्शन किया है, जबकि दर्जनों विश्वविद्यालयों में भी भारी प्रदर्शन किए जा रहे हैं। वहीं, अलजजीरा ने बताया है कि, राजधानी बीजिंग में कम से कम एक हजार प्रदर्शनकारियों का झुंड लिआंगमा नदी के पास एकत्र हो गये और उन्होंने वापस हटने से इनकार कर दिया। प्रदर्शन में शामिल एक शख्स ने कहा कि, "हमें मास्क नहीं चाहिए, हमें आज़ादी चाहिए। हम COVID टेस्ट नहीं चाहते हैं, हम स्वतंत्रता चाहते हैं।" वहीं, सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो के अनुसार, रविवार को दक्षिण-पश्चिमी महानगर चेंगदू में भारी भीड़ जमा हुई। वहां, उन्होंने कोरे कागजों के साथ प्रदर्शन करते हुए कहा कि, हमें जीवन भर गद्दी पर बैठने वाला एक शासक नहीं चाहिए, हमें कोई सम्राट नहीं चाहिए। आपको बता दें कि, चीन में रविवार को कोविड मामलों की कुल सख्या 39 हजार 500 थी और सरकार ने अपनी ज़ीरो कोविड पॉलिसी के तहत अत्यंत सख्त लॉकडाउन की घोषणा कर रखी है।

वुहान में भी जारी है भारी प्रदर्शन
वहीं, वुहान से आई एक वीडियो में सैकड़ों निवासियों को सड़कों पर निकलते हुए और पुलिस के बैरिकेट्स को तोड़ते हुए आगे बढ़ते हुए देखा जा रहा है। इस दौरान प्रदर्शनकारी COVID परीक्षण टेंटों को भी तोड़ रहे हैं और फौरन लॉकडाउन को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं। सार्वजनिक असंतोष को देखने वाले अन्य शहरों में उत्तर पश्चिम में लान्चो शहर भी शामिल है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि, शहर में एक भी कोविड केस नहीं मिलने के बाद भी वो कई हफ्ते से लॉकडाउन में हैं और अब उनके सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। वहीं, एमनेस्टी इंटरनेशनल के उप क्षेत्रीय निदेशक हाना यंग ने एक बयान में कहा कि, "लॉकडाउन के दौरान लोग अविश्वसनीय तौर पर धैर्यवान रहे हैं, लेकिन अधिकारियों को आपातकालीन नीतियों का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए।" उन्होंने कहा कि, "इन अभूतपूर्व विरोध प्रदर्शनों से पता चलता है, कि अब लॉकडाउन में रहने और कोविड-19 सलाहों को मानने का लोगों का धैर्य खत्म होने के करीब पहुंच चुका है।

बेहद खतरनाक है ज़ीरो कोविड पॉलिसी
अब जब दुनिया में कोविड को लेकर करीब करीब सभी गाइडलाइंस को हटा लिया गया, फिर भी चीन ज़ीरो कोविड पॉलिसी के साथ अटका हुआ है। चीन में किसी शहर में कोविड का एक मामला मिलने के बाद भी पूरे शहर में एक महीने के लॉकडाउन लगा दिया जाता है और इस दौरान मास्ट टेस्टिंग की जाती है। वहीं, अगर टेस्टिंग के दौरान कोई और कोविड मरीज मिल गया, तो फिर लॉकडाउन एक महीने के लिए और बढ़ जाता है। चीन में पिछले डेढ़ साल से ऐसा किया जा रहा है, जब महज 8 या 10 कोविड मरीज मिलते थे, लेकिन अब कोविड के हजारों मरीज हर दिन मिलने लगे हैं और रविवार को करीब 40 हजार नये मरीज मिले हैं, लिहाजा लोगों को डर सता रहा है, कि ऐसी स्थिति में तो उन्हें अनिश्चितकाल तक के लिए लॉकडाउन में रहना पड़ सकता है। जबकि, कम्युनिस्ट पार्टी ने ज़ीरो कोविड नीति को जीवन रक्षक और स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर पड़ने वाले भार से बचाने के लिए जरूरी बताया है। लेकिन इस साल की शुरुआत में शंघाई में लंबे समय तक तालाबंदी के बाद शहर के 2.5 करोड़ निवासियों में गुस्सा और निराशा फैल गई।

दुनिया को तियानमेन का डर
आपको बता दें कि, भारी प्रदर्शन के बीच दुनिया को डर है, कि कहीं शी जिनपिंग बेरहमी के साथ इस प्रदर्शन को भी कुचलने के लिए शहर में टैंक ना बुला लें। चीन में साल 1989 में ऐसा हो चुका है, अधिकारों की मांग करना वाले करीब 10 हजार लोगों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाते हुए उनपर टैंक चढ़ा दिया गया था। ब्रिटिश सरकार को भेजे गये अपने डिप्लोमेटिक केबल में तत्कालीन ब्रिटिश राजदूत ने घटना का विवरण देते हुए इसे क्रूरतम करार दिया था और कहा था, कि बीजिंग में तियानमेन पर जुटे लोगों पर चीन की आर्मी अंधाधुंध गोलियां बरसा रही थी और फिर दर्जनों टैंकों से लोगों को कुचला जाने लगा। ब्रिटिश राजदूत ने लिखा कि, टैंक से बार बार लोगों को कुचला जा रहा था और फिर रास्तों पर पिस चुके उनके शरीर को एक ढेर बनाकर आग लगा दिया जा रहा था। हालांकि, कम्युनिस्ट पार्टी ने प्रदर्शन में सिर्फ 200 लोगों के मारे जाने की बात कही, जिसमें सैनिकों के मारे जाने की भी बात थी। हालांकि, तमाम स्वतंत्र संस्थाओं ने इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया।