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चमगादड़ खाने का अंजाम भुगतकर भी नहीं सीखा चीन, डॉग मीट फेस्टिवल में उमड़ रही है भीड़

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नई दिल्ली- एक पुरानी कहावत है कि चोर चोरी से जाय, हेरा-फेरी से न जाय। चीन की भी स्थिति लगभग इसी कहावत जैसी हो चुकी है। कोरोना वायरस को लेकर उसपर लग रहे तमाम आरोपों और तथ्यों को एक मिनट के लिए दरकिनार भी कर दें तो खुद वही मान चुका है कि उसके यहां लोगों की खाने-पीने की गलत आदतों के चलते ही नोवल कोरोना वायरस आज पूरी दुनिया पर मौत बनकर मंडरा रहा है। चीन की सरकार ही दावा कर रही है कि कोरोना वायरस चमगादड़ों के जरिए ही वेट मार्केट से गुजरते हुए इंसानों तक पहुंचा है। ऐसा भी नहीं है कि चीन खुद का इस वायरस से आसानी से पीछा छुड़ा चुका है। वुहान में भले ही वह नियंत्रित हो चुका है, लेकिन अब वह वहां की राजधानी बीजिंग तक पहुंच चुका है। लेकिन, इसके बावजूद चीन में आजकल डॉग मीट फेस्टिवल मनाया जा रहा है। कुत्ते के मांस खाए जा रहे हैं। उन्हें जिंदा ही पका दिया है। लेकिन, न तो चीन को लोग संभलने के लिए तैयार हैं न तो दुनिया की नाक में दम करने में लगे चीन के हुक्कमरानों को ही इसकी कोई परवाह है।

चमगादड़ खाने का अंजाम भुगतकर भी नहीं सीखा चीन

चमगादड़ खाने का अंजाम भुगतकर भी नहीं सीखा चीन

चमगादड़ों का मीट खा-खा कर चीन ने आज दुनिया का बेड़ा गर्क कर दिया है। बावजूद इसके वहां के यूलिन शहर में विवादास्पद डॉग मीट फेस्टिवल शुरू हो चुका है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट के भारी विरोध-प्रदर्शनों के बावजूद यह फेस्टिवल नहीं रुका है। यूलिन शहर चीन के दक्षिण-पश्चिम इलाके में है, जहां 10 दिनों तक चलने वाले डॉग मीट फेस्टिवल में हजारों की भीड़ उमड़ रही है। यहां आकर लोग तंग पिंजरों में कैद कुत्ते खरीदते हैं, उसकी जबर्दस्त पिटाई करते हैं और जब वह मर जाता है तो उसके मांस से बने तरह-तरह के डिश खाते हैं। कई बार कुत्ते को जिंदा ही पका दिया जाता है। कोई यह नहीं सोचता कि कुत्ता रेबीज जैसी बीमारी का भी बहुत बड़ा कारण होता है। लेकिन, उन्हें तो कुत्ते का मीट खाना है। परंपरा के नाम जानवरों से भी बदतर व्यवहार करना है।

भारी विरोध के बावजूद भी चल रहा है फेस्टिवल

भारी विरोध के बावजूद भी चल रहा है फेस्टिवल

जबकि, डॉग मीट फेस्टिवल शुरू होने से कई हफ्ते पहले से ही इसको लेकर चीन सरकार को सचेत करने की कोशिशें शुरू हो गई थीं। लोग सोशल मीडिया के जरिए बता रहे थे कि इस हफ्ते के अंत से फिर से धरती के सबसे भयानक उत्सव का आगाज होने जा रहा है। लोगों की दलील थी कि यह किसी की संस्कृति पर सवाल नहीं उठाया जा रहा है, बल्कि कुत्तों को जिंदा पका देने जैसी घृणित प्रथा पर सवाल उठाया जा रहा है, जिसे हर हाल में रोकना ही जाहिए। लेकिन, फेस्टिवल अपने तय समय पर शुरू हुआ और उसे शी जिनपिंग की तानाशाही सरकार भी नहीं रोक पाई।

चीन के तमाम दावों की निकली हवा

चीन के तमाम दावों की निकली हवा

चीन लगातार दावा करता रहा है कि वुहान कांड के बाद उसने इस तरह के वेट मार्केट पर पाबंदी लगा रखी है। सोशल मीडिया पर लोग लगातार सवाल पूछ रहे हैं कि अगर वुहान से लेकर बीजिंग तक नोवल कोरोना वायरस के बाद वेट मार्केट पर सख्त निगरानी रखी जा रही है तो यूलिन डॉग मीट फेस्टिवल को क्यों नहीं रोका जा रहा है। यह फेस्टिवल 21 जून से चल रहा है और 30 तारीख तक चलेगा। आरोप लग रहे हैं कि चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारियों ने इस फेस्टिवल के आयोजकों से मोटी रकम लेकर जेब भर लिए हैं, इसलिए किसी को नहीं रोका जा रहा है। वहां कुत्ते को बेरहमी के साथ मारा जा रहा है और उसके मीट खाने की इजाजत देकर इंसानों की जान लेने के लिए किसी नई बीमारी को बुलावा दिया जा रहा है।

खाने की आदतें नहीं सुधार पा रहे चाइनीज

खाने की आदतें नहीं सुधार पा रहे चाइनीज

वैसे जीवों के लिए काम करने वाली एक संस्था ह्यूमेन सोसाइटी इंटरनेशनल के पीटर ली को भरोसा है कि भविष्य में यूलीन में भी बदलाव आएगा और इस तरह के खौफनाक उत्सवों पर लगाम लग सकेगा। हालांकि, ली ने यह भी कहा है कि कोरोना वायरस के खतरे की वजह से यूलीन में जो भीड़ जुट रही है, वह एक नया जोखिम पैदा कर रही है। गौरतलब है कि वुहान की घटना के बाद से चीन ने इंसानों और जीव-जंतुओं के बीच फासला बढ़ाने का दावा किया था। जीवों के मारने पर भी सख्ती लगाने के दावे किए गए थे और उसके व्यापार को भी प्रतिबंधित कर दिया गया था। सबसे पहले चीन के शेंझेन शहर में कुत्तों का मीट खाने और बेचने पर रोक लगाई गई थी, लेकिन यूलीन की घटना को देखकर ऐसा लगता है कि अभी भी चीन के सारे लोग सच्चाई को समझने के लिए तैयार नहीं हैं और न ही अपनी खाने-पीने की आदतों में बदलाव करने के लिए तैयार हैं।

जिनपिंग सरकार की मौन सहमति से डॉग मीट फेस्टिवल

वैसे बता दें कि शुरू में कुछ लोगों ने डॉग मीट फेस्टिवल रोकने की पूरी कोशिश की थी। कई छोटे-छोटे कुत्तों को छुड़ा भी लिया गया था। लेकिन, वाइल्डलाइफ ट्रेड के खिलाफ चीन सरकार के मुहिम के बावजूद आखिरकार ये फेस्टिवल कैसे शुरू हुआ, इसपर सवाल भी उठ रहे हैं। क्योंकि, तानाशाही साम्यवादी व्यवस्था वाले चीन में चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के लोगों की मौन सहमति के बिना ये संभव नहीं है।
(तस्वीरें सौजन्य- सोशल मीडिया)

इसे भी पढ़ें- जब चीन ने अक्साई चिन और PoK को असलियत में मान लिया था भारत का हिस्सा

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English summary
China has not learned the consequences of eating bats,crowds are gathering in Dog Meat Festival
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