उत्तर कोरिया की गुपचुप मदद कर रहे चीन को अमेरिका ने दी 'तगड़ी सजा'
बीजिंग। उत्तर कोरिया और अमेरिका की टक्कर में चीन का उत्तर कोरिया को समर्थन करना उसे महंगा पड़ गया है। अमेरिका ने चीन पर उत्तर कोरिया के परमाणु एवं बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम में उसकी गुपचुप तरीके से मदद करने को लेकर प्रतिबंध लगा दिया है। अमेरिका ने दस चीनी कंपनियों और कुछ नागरिकों पर बैन लगाया है। इस प्रतिबंध की घोषणा के बाद चीन भड़क गया है और इस पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए नाराजगी जाहिर की है। चीन का कहना है कि इससे अमेरिका चीन संबंधों के बीच बड़ा तनाव पैदा होगा। बता दें कि डोकलाम सेक्टर को लेकर पिछले कई दिनों से भारत और चीन के बीच तनातनी का माहौल बना हुआ है। इस बीच अमेरिका का चीन पर प्रतिबंध लगाना चीन को मायूस कर सकता है।
चीन की दस कंपनियों पर लगाया बैन
अमेरिका के ट्रेजरी विभाग ने मंगलवार को घोषणा की कि उसने उत्तर कोरिया के हथियार कार्यक्रमों में प्रसार को लेकर चीनी सहायता के मद्देनजर वहां की दस कंपनियों और छह नागरिकों पर बैन लगाया है। अमेरिका का आरोप है कि चीन की ये दस कंपनियां और प्रतिबंधित किए गए छह नागरिक अप्रत्यक्ष रूप में उत्तर कोरिया की मदद कर रहे हैं।
चीन ने की प्रतिबंधों को हटाने की मांग
चीन
ने
अमेरिका
द्वारा
लगाए
गए
इस
एकतरफा
प्रतिबंध
पर
संयुक्त
राष्ट्र
सुरक्षा
परिषद
में
विरोध
जताया
है।
बुधवार
को
चीन
के
विदेश
मंत्रालय
की
प्रवक्ता
हुआ
चुनयिंग
ने
इस
बात
की
जनकारी
दी।
उन्होंने
कहा
कि
अमेरिका
की
यह
कार्रवाई
किसी
भी
तरह
से
समस्या
का
समाधान
नहीं
करेगी
बल्कि
इससे
हमारे
आपसी
विश्वास
और
सहयोग
पर
आंच
आएगी।
हालांकि
चीन
ने
अमेरिका
से
इन
प्रतिबंधों
को
हटाने
की
भी
मांग
की
है।
प्रतिबंध लगाना समस्या का समाधान नहीं
इस मामले में चीनी विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका का चीनी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाना सीधे तौर पर यह दर्शाता है कि अमेरिका यह मानता है कि उत्तर कोरिया द्वारा किया जा रहा परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण कार्यक्रम में चीन सहायता कर रहा है, जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। उनका कहना है कि इससे समस्या का समाधान तो नहीं निकलेगा बल्कि आपसी संबंध में एक गहरी दरार आ जाएगी।
उत्तर कोरिया ने भी किया विरोध
वहीं इस मामले में उत्तर कोरिया के एक शोधकर्ता लू चाओ का मानना है कि चीन पर अमेरिकी प्रतिबंध पूरी तरह से अनुचित है और चीन की संप्रभुता का उल्लंघन करता है। चाओ का कहना है कि उत्तर कोरिया पर चीन का प्रतिबंध सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के अनुकूल है। लेकिन अगर चीनी कंपनियों या उनके नागरिकों ने किसी भी तरह से इन प्रतिबंधों का उल्लंघन किया है, तो यह पूरी तरह से चीन की जिम्मेदारी है कि वह उन पर कर्रवाई करे ना कि अमेरिका को इस पर हस्तक्षेप करना चाहिए।