भारत, ऑस्ट्रेलिया और US... चीनी 'साइलेंट किलर' के रडार पर तीनों, जानें कितना खतरनाक है JL-3
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की न्युक्लियर सबमरीन में बैलिस्टिक मिसाइलों को लैस करने की ये रिपोर्ट किसी ओपन सोर्स से नहीं आई है, बल्कि इसकी पुष्टि पहली बार अमेरिका की तरफ से आधिकारिक तौर पर की गई है।
China JL-3 Ballistic Missiles: तीसरी बार चीन के राष्ट्रपति बनने के बाद शी जिनपिंग ने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चायना की सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को युद्ध के लिए तैयार रहने के आदेश दिए थे और ऐसा लग रहा है, कि पीएलए पहले से ही इसकी तैयारी में लगी हुई है। पनडुब्बियां, जिन्हें अकसर सैन्य भाषा में "साइलेंट किलर" कहा जाता है, वो किसी भी स्वाभिमानी नौसेना के लिए गुप्त, लेकिन महत्वपूर्ण संपत्ति हैं। लेकिन, चीन इसका काफी तेजी के साथ विस्तार करता जा रहा है और अब चीन ने अपने पनडुब्बी बेड़े में ऐसी मिसाइलों की तैनाती की है, जो पीएलए नौसेना को और खतरनाक बनाती है।
और खतरनाक बनी चीनी पनडुब्बियां
चीन के ज्यादातर झगड़े समुद्री हैं, लिहाजा चीन लगातार अपनी नौसेना को अत्याधुनिक और आक्रामक बनाने की तैयारी कर रहा है। पिछले साल आई एक अमेरिकन रिपोर्ट में चीन की नौसेना को दुनिया में सबसे अव्वल बताया गया है, यानि, चीन की नौसेना विश्व की नंबर वन नेवी बन गई है। बावजूद इसके चीन लगातार अपनी नेवी को और भी ज्यादा शक्तिशाली बना रहा है। वहीं अब हाल के दिनों में खुलासा हुआ है, कि चीन ने अपनी पनडुब्बियों को खतरनाक मिसाइल से लैस करना शुरू कर दिया है। अमेरिकी नौसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने घोषणा की है, कि चीन ने अपनी पनडुब्बियों को बैलिस्टिक मिसाइलों (सबमरीन लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइल यानि एसएलबीएम) से लैस करना शुरू कर दिया है। इन बैलिस्टिक मिसाइलों को खास तौर पर पनडुब्बियों से ही फायर करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिन्हें चीन अपनी परमाणु संचालित पनडुब्बियों में लगाना शुरू कर दिया है।
पनडुब्बियों में जेएल-3 मिसाइल
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की नेवी ने अपनी परमाणु संचालित जिन-छह क्लास पनडुब्बियों में लंबी दूरी तक मार करने वाली जेएल-3 इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस करना शुरू कर दिया है। वहीं, रिपोर्ट में कहा गया है, कि चीन ने फिलहाल अपनी इन पनडुब्बियों को हैनान द्वीप के पास रखा हुआ है, जहां पर चीन ने पनडुब्बी इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया हुआ है और चीन अपनी पनडुब्बियों के बेड़े का यहीं से संचालन करता है। यूएस पैसिफिक फ्लीट के प्रमुख एडमिरल सैम पापारो ने पिछले हफ्ते वाशिंगटन डीसी में एक कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि, पीएलएएन की छह-जिन श्रेणी की सबमरीन अब "जेएल -3 इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस हैं"।
अमेरिका ने की आधिकारिक पुष्टि
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की न्युक्लियर सबमरीन में बैलिस्टिक मिसाइलों को लैस करने की ये रिपोर्ट किसी ओपन सोर्स से नहीं आई है, बल्कि इसकी पुष्टि पहली बार अमेरिका की तरफ से आधिकारिक तौर पर की गई है। संयुक्त राज्य अमेरिका की ओर से यह पहली आधिकारिक पुष्टि है, कि JL-3 मिसाइल का संचालन किया गया है। इसके अलावा, अमेरिका की तरफ से पहले यह आशंका जताई गई थी, कि नया एसएलबीएम का इस्तेमाल चीन अभी नहीं करेगा, बल्कि जब चीन अपने परमाणु संचालित पनडुब्बी टाइप 096 को पानी में उतारेगा, उसनें वो इस मिसाइल को लगाएगा, लेकिन चीन ने पहले ही इसे अपनी सबमरीन में लॉन्च कर दिया है। अमेरिका की पहले की रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी पनडुब्बियां पहले जेएल-2 बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस थी, जिनकी मारक क्षमता 7200 किलोमीटर के आसपसा थी, जिसके जरिए चीन अपने तट से अलास्का तक हमला कर सकता था, लेकिन जेएल-3 की क्षमता इससे भी काफी ज्यादा है। कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है, कि जेएल-3 बैलिस्टिक मिसाइल की मारक क्षमता करीब 10 हजार किलोमीटर तक हो सकती है, यानि इस मिसाइल के जरिए चीन एक साथ भारत, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका को निशाने पर ले सकता है।
टाइप 094 पनडुब्बियों में तैनाती
हालांकि, अमेरिका का अनुमान है कि, फिलहाल इस बात की संभावना काफी कम है, कि चीन ने अपने सभी टाइप 094 पनडुब्बियों में जेएल-3 बैलिस्टिक मिसाइलों की तैनाती कर दी होगी, क्योंकि चीन अभी तक उतनी संख्या में इस मिसाइल का निर्माण नहीं कर पाया होगा। अमेरिकी अधिकारी पापारो ने कहा कि, JL-3 "संयुक्त राज्य अमेरिका को धमकाने के लिए बनाए गए थे", लेकिन उन्होंने कहा, "हम उन पनडुब्बियों पर कड़ी नज़र रखते हैं।" मार्च 2022 में अमेरिकी सामरिक कमान के प्रमुख एडमिरल चार्ल्स रिचर्ड ने सीनेट की सशस्त्र सेवा समिति को बताया था कि, JL-3 बैलिस्टिक मिसाइल के जरिए चीन अपने गढ़ साउथ चायन सी से अमेरिका की मुख्य भूमि पर परमाणु हमला कर सकता है। वहीं, ये पनडुब्बियां भारत के लिए भी चिंताजनक है, क्योंकि चीन लगातार हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी में पैर जमाने की प्लानिंग कर रहा है, लिहाजा भारत को भी वक्त रहते मजबूत कदम उठाने होंगे।
काफी खतरनाक हो गई चीनी नौसेना
अमेरिकी अधिकारियों के आधिकारिक खुलासे से पहले पिछले साल पेंटागन भी इस तरह के खतरों को लेकर आगाह कर चुका है। पिछले साल पेंटागन ने कहा था, कि चीन 'जेएल-3' मिसाइलों का निर्माण तेजी के साथ कर रहा है और उसे वो अपनी पनडुब्बियों में लैस कर सकता है। पेंटागन ने कहा था, कि इस मिसाइल के जरिए पेंटागन चीन अमेरिका के खिलाफ जलीय ऑपरेशन को काफी आसानी से अंजाम दे सकता है और करीब 10 हजार किलोमीटर के दायरे में मार करने वाली ये मिसाइल अपने साथ एक बार में कई वारहेड्स ले जाने में सक्षम है। हालांकि, अमेरिका का अभी भी मानना है, कि दक्षिण चीन सागर से अगर चीन इस मिसाइल को लॉन्च करता है, तो ये पूरे अमेरिका को एक बार में कवर नहीं कर पाएगा, बल्कि ये अमेरिकी महाद्वीप के महज एक हिस्से को ही अपना निशाना बना पाएगा। अमेरिकी अधिकारी क्रिस्टेंसन का मानना है, कि, 10 हजार किलोमीटर तक मार करने की क्षमता होने के बाद भी चीन अपने इस मिसाइल से मुख्य अमेरिका को निशाना नहीं बना पाएगा।
परमाणु हमला करने की क्षमता
अमेरिकी वायु सेना के नेशनल एयर एंड स्पेस इंटेलिजेंस सेंटर ने अपनी बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइल थ्रेट रिपोर्ट में कहा है कि, "नवंबर 2018 के अंत में चीन ने बोहाई सागर में जेएल-3 बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया था।" हालांकि, चीन ने आधिकारिक तौर पर यह स्वीकार नहीं किया है, कि JL-3 मौजूद भी है, लेकिन चीन की सेना को घेरने वाले व्यामोह को देखते हुए यह आश्चर्यजनक नहीं है। JL-3 की मारक क्षमता को खतरनाक स्तर तक बढ़ाने के लिए इसमें कई वारहेड होने की संभावना है और ये किसी भी तरह की परमाणु हमला करने की क्षमता रखते हैं। रिचर्ड ने यह भी बताया कि, "वे अब अपनी जिन-श्रेणी की पनडुब्बियों के साथ निरंतर समुद्र में निर्धारित गश्त करने में सक्षम हैं और चीन के पास एक वास्तविक परमाणु कमांड और कंट्रोल पैनल है।" वहीं, उन्होंने ये भी कहा कि, इस बात के और सबूत हैं कि चीन की नई प्रकार की परमाणु शक्ति वाली पनडुब्बियों का निर्माण पहले से ही अच्छी तरह से चल रहा है।