चीन के स्पेस स्टेशन से टकराने वाला था Elon Musk का सैटेलाइट, अंतरिक्ष में मच जाती भीषण तबाही!
चीन ने दावा किया है कि एलन मस्क की कंपनी के सैटेलाइट की उसके निर्माणाधीन स्पेस स्टेशन के साथ टक्कर होने वाली थी।
बीजिंग/वॉशिंगटन, दिसंबर 28: चीन ने विश्व के सबसे अमीर उद्योगपति और अंतरिक्ष की दुनिया में क्रांति करने वाले एलन मस्क की स्पेसएक्स कंपनी पर बहुत बड़ा आरोप लगाया है। चीन ने कहा है कि, एलन मस्क की स्पेसएक्स कंपनी की सैटेलाइट की टक्कर अंतरिक्ष में बन रहे चीनी स्पेस स्टेशन से होने वाली थी और एलन मस्क का सैटेलाइट चीन के स्पेस स्टेशन के बेहद करीब से गुजरा है। चीन ने इस घटना को लेकर अमेरिका को कटघरे में खड़ा किया है।
चीनी स्पेस स्टेशन से होती टक्कर?
चीन ने कहा है कि, अरबपति उद्यमी एलन मस्क की स्पेसएक्स एयरोस्पेस कंपनी की सैटेलाइट चीन के निर्माणाधीन स्पेस स्टेशन को टक्कर मारने वाली थी, लेकिन टक्कर होते होते बाल बाल बचा है। चीन ने इसके लिए अमेरिका को कटघरे में खड़ा किया है और कहा है कि, फायदे के लिए अमेरिका ने अंतरिक्ष की सुरक्षा के साथ समझौता किया है और अंतरिक्ष की सुरक्षा की अनदेखी की है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने टेस्ला के संस्थापक मस्क की स्पेसएक्स एयरोस्पेस कंपनी की सैटेलाइट और चीनी स्पेस स्टेशन के बीच टक्कर होने की स्थिति बनने की पुष्टि की है। (तस्वीर- इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन)
बेहद करीब से होता टक्कर
चीन ने कहा है कि, एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक इंटरनेट सर्विसेज अपने उपग्रहों की पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित कर रही है और चीन भी अपना स्पेस स्टेशन बना रहा है, और इस साल मस्क की कंपनी का सैटेलाइट चीनी स्पेस स्टेशन को टक्कर मारने वाला था। चीनी आधिकारिक मीडिया ने बताया कि दो बार अंतरिक्ष में टक्कर जैसे हालात बन गये थे। ये मुठभेड़ 1 जुलाई और 21 अक्टूबर को हुई थी। चीन ने दिसंबर की शुरुआत में बाहरी अंतरिक्ष मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय को सौंपे गए एक दस्तावेजों में इसका खुलासा किया है।
स्पेस स्टेशन में सवार थे तीन आदमी
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा कि, चीन के निर्माणाधीन अंतरिक्ष स्टेशन से जिस वक्त एलन मस्क के सैटेलाइट की टक्कर होने वाली थी, उस वक्त स्पेस स्टेशन में तीन अंतरिक्ष यात्री मौजूद थे और चीन ने कहा है कि, उस टक्कर से बचने के लिए चीन ने आक्रामक कार्रवाई करने की पूरी तैयारी कर ली थी, क्योंकि चीन टक्कर से बचने के लिए मजबूर था। झाओ ने कहा कि ''अमेरिका लगातार बाहरी अंतरिक्ष में जिम्मेदार आचरण करने का कथित दावा करता रहता है, लेकिन अमेरिका बाहरी अंतरिक्ष पर अंतरराष्ट्रीय संधि दायित्वों की अनदेखी करता है और अंतरिक्ष यात्रियों के जीवन के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करता है। इसके साथ ही चीन ने अमेरिका पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए अमेरिका से जिम्मेदारी से काम करने का आग्रह किया है।
अमेरिका पर जमकर बरसा चीन
1967 की बाहरी अंतरिक्ष संधि का हवाला देते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ ने कहा कि अंतरिक्ष यात्रियों को मानव जाति के दूत के रूप में माना जाता है और सभी देशों को उन अंतरिक्षयात्रियों की सुरक्षा का सम्मान और रक्षा करनी चाहिए और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव और अन्य अनुबंधों के लिए अंतरिक्ष यात्रियों की जीवन पर आने वाली किसी भी खतरे के लिए संयुक्त राष्ट्र को फौरन रिपोर्ट करनी चाहिए। इसके साथ ही चीनी सरकार ने संयुक्त राष्ट्र को सौंपे गए दस्तावेज में दो "मुठभेड़ों" का विवरण दिया है।
T आकार है चीनी स्पेस स्टेशन
आपको बता दें कि अंतरिक्ष में चीन जिस स्पेस स्टेशन का निर्माण कर रहा वो T आकार का है, जिसके बीच में मुख्य मॉड्यूल होगा जबकि दोनों तरफ प्रयोगशाला कैप्सूल होंगे। चीन के स्पेस स्टेशन के मॉड्यूल का वजन 20 टन के करीब है और जब यहां पर अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर यान पहुंचेंगे तो इसका वजन बढ़कर 100 टन तक पहुंच सकता है। चीनी वैज्ञानिकों के मुताबिक पृथ्वी की निचली कक्षा से इस अंतरिक्ष स्टेशन को करीब 340 से 350 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया जा रहा है। वहीं, चीन के वैज्ञानिक लेई जियान्यु ने अपने मिशन को विश्वस्तरीय क्वालिटी का बताया है।
स्पेस स्टेशन का हिस्सा नहीं है चीन
आपको बता दें कि इंटरनेशनल स्पेस एजेंसी का हिस्सा चीन नहीं है और इसकी बड़ी वजह अमेरिका की आपत्ति को माना जाता है। अमेरिका का मानना है कि चीन के स्पेस मिशन पारदर्शी नहीं होते हैं और चीन अपने स्पेस मिशन को लेकर क्या क्या करता है, ये किसी को पता नहीं होता है। जबकि हर स्पेस मिशन दुनिया के लिए पारदर्शी होना चाहिए। क्योंकि अगर कुछ गड़बड़ी होती है तो इसका असर किसी एक देश पर नहीं बल्कि पूरी दुनिया पर होगी। लेकिन, चीन को इससे मतलब नहीं है। वहीं, चीन के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि यह स्पेस स्टेशन इसी साल से काम करना शुरू कर देगा और 15 सालों तक इस स्पेस स्टेशन से चीन काम ले सकेगा।
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