कनाडा चुनाव: जस्टिन ट्रूडो का फिर प्रधानमंत्री बनना करीब-करीब तय, कांटे की टक्कर में मिली बढ़त
संसद में पूर्ण बहुमत हासिल करने के लिए जस्टिन ट्रूडो ने मध्यावधि चुनाव करवाया था। लेकिन, उनकी पार्टी को फिर से अधूरी जीत ही मिलने का अनुमान है।
ओटावा, सितंबर 21: कनाडा में आज शाम तक चुनावी परिणाम जारी हो जाएंगे और पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी कि देश का अगला प्रधानंमत्री कौन बनेगा। लेकिन, शुरआती पोल में कांटे की टक्कर होने का अंदाजा लगाया गया है। लेफ्टिस्ट-उदारवादी चेहरा जस्टिन ट्रू़डो को चुनाव में कांटे की टक्कर में फिर से जीत मिलती दिखाई दे रही है, लेकिन सीबीसी न्यूज ने अनुमान लगाया है कि यह कहना जल्दबाजी होगी कि वे कितनी मजबूत सरकार बनाएंगे, लेकिन सीबीसी न्यूज ने कहा है कि जीत जस्टिन ट्रूडो की ही होती दिखाई दे रही है।
जस्टिन ट्रूडो बनाएंगे सरकार!
जस्टिन ट्रूडो की पार्टी अभी तक अल्पमत में चल रही थी, लिहाजा पूर्ण बहुमत पाने के लिए उन्होंने तय समय से 2 साल पहले ही देश में चुनाव करा दिया, लेकिन तमाम अनुमानों में कहा गया है कि जस्टिन ट्रूडो को 2019 में हुए लोकसभा चुनाव से भी कम वोट मिल सकते हैं। दरअसल, जस्टिन ट्रूडो को कनाडा की संसद के नीचले सदन, जिसे हाउस ऑफ कॉमंस कहा जाता है, वहां किसी भी बिल को पास कराने के लिए दूसरे दलों पर निर्भर रहना पड़ता था, लिहाजा उन्होंने मध्यावधि चुनाव कराने का फैसला ले लिया। ट्रूडो के एक पूर्व सलाहकार और करीबी दोस्त गेराल्ड बट्स ने सीबीसी टीवी को बताया, "अगर लिबरल खेमे के भीतर लिबरल बहुमत वाली सरकार होती तो लोगों को बहुत सुखद आश्चर्य होता, लेकिन मुझे लगता है कि यह अभी भी बहुत जल्द है।"
क्या कहता है चुनावी अनुमान
कनाडा चुनाव में ट्रूडो की लिबरल पार्टी को 146 चुनावी जिलों में आगे बढ़ते हुए दिखाया, जिसमें वोटों का केवल एक छोटा अंश गिना गया। हाउस ऑफ कॉमन्स के पास 338 सीटें हैं और एक पार्टी को बहुमत हासिल करने के लिए 170 जीत की जरूरत होती है। पोल ने सामान्य से बहुत अधिक धीरे-धीरे परिणाम की सूचना दी है। कुछ स्टेशनों को COVID-19 प्रतिबंधों के कारण वोटों की गिनती में दिक्कतें आ रही हैं। वहीं, वोटिंग के वक्त भी दक्षिणी ओंटारियो में मतदान के लिए घंटों इंतजार करने के लिए मजबूर किया। ओंटारिया और क्यूबेक, इन दो जगहों पर लोकसभा के कुल 199 सीटें हैं, जिनमें से अभी तक ट्रूडो की पार्टी 113 सीटों पर आगे चल रही थी। वगीं, अटलांटिक राज्य की 32 सीटों में से लिबरल पार्टी 23 पर आगे चल रही है, जबकि पिछली बार यहां पर लिबरल पार्टी ने 27 सीटें जीती थी। वहीं एरिन ओ'टोल, जो विपत्र के पीएम पद के उम्मीदवार हैं, उनकी पार्टी को भी कई जिलों में अच्छी बढ़त मिल रही है।
कांटे की टक्कर का अनुमान
कनाडाई मीडिया के मुताबिक इस बार के हाउस ऑफ कॉमन्स के चुनाव में जस्टिन ड्रूडो के भाग्य का फैसला कई मुद्दे कर रहे हैं। खासकर अफगानिस्तान से रिफ्यूजी को देश में लाना उनके खिलाफ जा रहा है, तो कोरोना वायरस संक्रमण को सही तरीके से हैंडल नहीं करने और उसी दौरान मध्यावधि चुनाव कराने का ऐलान करना भी उनके खिलाफ जाता दिखाई दे रहा है। माना जा रहा है कि, जो लोग कोरोना वायरस की चौथी लहर के बीच चुनाव कराए जाने के खिलाफ हैं, वो जस्टिन ट्रूडो की पार्टी के खिलाफ वोट डालकर अपनी नाराजगी का इजहार कर सकते हैं और यही फैक्टर उनके खिलाफ जाता दिखाई दे रहा है।
कौन जीतेगा कनाडा चुनाव?
कनाडा के चुनावी विशेषज्ञों के अनुसार, यदि ट्रूडो चुनाव जीत जाते हैं, तो सबसे ज्यादा संभावना इस बात की होगी कि उनकी सरकार अल्पमत सरकार होगी, जो उन्हें शासन करने के लिए अन्य दलों पर फिर से निर्भर कर देगी। ट्रूडो और ओ'टोल के अलावा, छोटे गुटों के अन्य नेताओं में वामपंथी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के जगमीत सिंह, अलगाववादी ब्लॉक क्यूबेकॉइस के यवेस-फ्रांकोइस ब्लैंचेट और ग्रीन के एनामी पॉल शामिल हैं। अंतिम परिणाम में देरी होने की उम्मीद है क्योंकि मेल-इन मतपत्रों की संख्या हजारों की संख्या में होने की उम्मीद है, जिनकी गणना की जाएगी। सैंतालीस वर्षीय ओ'टोल एक सैन्य दिग्गज और पूर्व वकील हैं। उन्होंने नौ साल तक संसद सदस्य के रूप में कार्य किया।
जस्टिन ट्रूडो ने जुआ खेला?
कनाडा के चुनावी दिग्गजों का मानना है कि समय से 2 साल पहले ही चुनाव कराने का ऐलान कर प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपनी राजनीतिक जीवन का सबसे बड़ा जुआ खेला है। ट्रूडो का सोचना था कि उन्होंने कनाडा के लोग महामारी से निपटने और वैक्सीन को सुचारू रूप से चलाने के लिए उन्हें एक मजबूत बहुमत के साथ ओटावा लौटाकर पुरस्कृत करेंगे, जो उन्हें विपक्षी समर्थन के बिना अपना एजेंडा पारित करने की अनुमति देगा। लेकिन, परिणाम जो भी हो, चुनाव लगभग निश्चित रूप से ट्रूडो के लिए एक विफलता माना जाएगा, क्योंकि ये चुनाव उनकी राजनीतिक स्थिति को काफी कमजोर करने वाला है।
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