कलयुग का 'श्रवण कुमार'... पिता को वैक्सीन लगवाने पीठ पर बिठाकर 12 किलोमीटर पैदल चला बेटा
ब्राजील दुनिया के उन देशों में से एक है, जो कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा लोग प्रभावित रहे हैं और ब्राजील में तीन लाख से ज्यादा लोगों को मौत कोरोना की वजह से हुई है।
ब्रासीलिया, जनवरी 16: कोरोना महामारी से बचने के लिए इंसानों के पास सिर्फ वैक्सीन का ही विकल्प है और पूरी दुनिया में वैक्सीनेशन कार्यक्रम काफी तेजी के साथ चल रहा है। हालांकि, वैक्सीनेशन कार्यक्रम के रास्ते में कई तरह की चुनौतियां भी हैं, जिनसे पार पाने की कोशिश लगातार अलग अलग देश कर रहे हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर इन दिनों ब्राजील की एक तस्वीर जमकर वायरल हो रही है, जिसमें एक बेटा अपने पिता को कंधे पर बिठाकर वैक्सीन दिलवाने ले जा रहा है।
ब्राजील की है घटना
ब्राजील में रहने वाले एक पिता-पुत्र की तस्वीर इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है और भारत में इस बेटे को लोग कलयुग का श्रवण कुमार कह रहे हैं। ये तस्वीर 24 साल के तावी और उनके 67 साल के पिका की है, जिसमें तावी को अपने पिता को कोरोना वैक्सीन का टीका लगवाने के लिए वैक्सीनेशन सेंटर लेते हुए देखा जा रहा है। ब्राजील के अमेजॉन में सबसे दूरस्थ क्षेत्रों में से एक में रहने वाले आदिवासी समुदाय के पिता-पुत्र की जोड़ी की तस्वीर को सबसे पहले इंस्टाग्राम पर साझा किया गया था। बेटे का नाम तावी और पिता का नाम वाहू है।
6 घंटे चलता रहा पैदल
ब्राजील दुनिया के उन देशों में से एक है, जो कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा लोग प्रभावित रहे हैं और ब्राजील में तीन लाख से ज्यादा लोगों को मौत कोरोना की वजह से हुई है। वहीं, ब्राजील में वैक्सीनेशन भी काफी देर से शुरू हुआ था और अभी भी ब्राजील की एक बड़ी आबादी को वैक्सीन लगवाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। बाप-बेटे की ये तस्वीर इस बात का प्रमुख उदाहरण है। ब्राजील में पिछड़े इलाकों में अभी भी वैक्सीन की भारी समस्या है और इस समस्या पर प्रकाश डालते हुए डॉ. सिमोस ने लिखा है कि, 'पिता को वैक्सीन की खुरक दिलाने के लिए उन्हें अपने पीठ पर बिठाकर तावी लगातार 6 घंटों तक चलता रहा'
पिता को देता है कम दिखाई
इस तस्वीर को लेने वाले ब्राजील के डॉक्टर डॉ. एरिक जेनिंग्स सिमोस ने कहा कि, 'ये रास्ता काफी खराब है और नदी नालों और पहाड़ों से होते हुए गुजरता है और इस रास्ते पर चलना आसान नहीं है।' डॉ. सिमोस ने कहा कि, 'तावी की दिक्कत सिर्फ वैक्सीनेशन सेंटर पर ही पहुंचने से खत्म नहीं हुआ, बल्कि पिता को वैक्सीन की खुराक दिलवाने के बाद उसे वापस अपने गांव भी लौटना था।' डॉ. सिमोस ने कहा कि, 'तावी के बुजुर्ग पिता को काफी कम दिखाई देता है और ऐसे रास्ते पर चलना उनके लिए संभव नहीं था'।
बाप-बेटे के बीच प्यारा रिश्ता
बीबीसी से बात करते हुए डॉ. सिमोस ने कहा कि, 'तावी के पिता मूत्र संबंधी बीमारी से पीड़ित हैं और उनके लिए वैक्सीन की खुराक लेने इतनी दूर जाना संभव नहीं था, लेकिन तावी ने वो कर दिखाया है, जो ज्यादातर लोगों के लिए संभव नहीं है'। डॉ. सिमोस ने कहा कि, 'ये तस्वीर बाप-बेटे के प्यारे रिश्ते को दिखाता है'।
वैक्सीनेशन में काफी दिक्कतें
बीबीसी न्यूज ब्राजील की रिपोर्ट के मुताबिक, आदिवासियों का ये परिवार ब्राजील के उत्तरी पारा राज्य में एक करीब एक फुटबॉल के मैदान जितने इलाके में रहता है। डॉ. सिमोस ने कहा कि, अगर बेटा अपने पिता को पीठ पर लादकर वैक्सीनेशन सेंटर पर नहीं जाता, तो उन्हें वैक्सीन की खुराक कभी नहीं दी जाती। हालांकि ये तस्वीर पिछले साल ब्राजील के टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत में ली गई थी और इस साल इसे पॉजिटिव संदेश देने के लिए जारी किया गया है।
स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए भी परेशानी
डॉ. सिमोस ने कहा कि, ऐसा नहीं है कि, स्वास्थ्य कार्यकर्ता गांवों तक नहीं पहुंचना चाहते हैं, स्वास्थ्य कार्यकर्ता चाहते हैं कि वो हर गांव में पहुंचे और सभी लोगों को वैक्सीन की खुराक दें, लेकिन आदिवासी समुदाय के लोग कितने बड़े क्षेत्र में फैले हुए हैं, इसका पता लगाना काफी मुश्किल है और उनके पास संसाधनों का भी अभाव है। लिहाजा अलग अलग वन क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग ने वैक्सीनेशन सेंटर्स बनाए हैं और आदिवासी समुदाय के लोगों को उनकी मान्यताओं और उनकी संस्कृति के हिसाब से उन्हें वैक्सीन लेने के लिए प्रेरित किया जाता है।
बुजुर्ग पिता का हो गया निधन
हालांकि, अब इस बाप-बेटे की तस्वीर पूरी दुनिया में सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है और लोग इस तस्वीर की काफी तारीफ कर रहे हैं, लेकिन अफसोस की बात ये है कि, अज्ञात कारणों से पिता वाहू की मौत पिछले साल सितंबर में हो चुकी है। हालांकि, उनके बेटे ने वैक्सीन की दोनों खुराक ले ली है। ब्राजील सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वायरस की वजह से इन समुदायों के कम से कम 853 लोगों की मौत हुई है।