कोरोना से ब्राजील में हाहाकार, शव दफनाने के लिए जगह नहीं, खोदे जा रहे पुराने कब्र, सरकार पूरी तरह फेल
ब्राजील में कोरोना वायरस से इतनी ज्यादा मौतें हो रही हैं कि कब्रिस्तान में शवों को दफनाने की जगह नहीं है। ब्राजील में पुराने कब्रों को फिर से खोदा जा रहा है।
ब्रासीलिया: कोरोना वायरस को लेकर ब्राजील ने अमेरिका से भी ज्यादा लापरवाही बरती है और उसका नतीजा ब्राजील को हजारों लोगों की जिंदगी देकर चुकानी पड़ रही है। स्थिति ये बन गई है कि ब्राजील में मुर्दों को दफनाने की जगह नहीं बची है और अब मुर्दों को दफनाने के लिए पुराने कब्रों को खोदे जा रहे हैं। ब्राजील में पुराने कब्रों से कंकाल निकालकर नये शव दफनाए जा रहे हैं। ब्राजील की स्थिति का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि ब्राजील में सिर्फ मार्च महीने में 60 हजार से ज्यादा लोगों की कोरोना वायरस से मौत हुई है।
खोदे जा रहे हैं पुराने कब्र
अगर आपको लगता है कि कोरोना वायरस से आप पूरी तरह सुरक्षित हैं और कोरोना वायरस आपका कुछ नहीं कर सकता है, तो आपको ब्राजील की कहानी जरूर पढ़नी चाहिए। ब्राजील में कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन भयानक तबाही मचा रहा है और कोरोना वायरस ने ब्राजील शहर को घुटनों पर ला दिया है। साओ पाउलो, ब्राजील का एक शहर है, जहां कोरोना वायरस सबसे खूंखार बना हुआ है। साओ पाउलो शहर की स्थिति ये है कि यहां मुर्दों को दफनाने की जगह नहीं बची है। कब्रिस्तान पूरी तरह से भरे हुए हैं। जिसके बाद अब पुराने कब्रों की खुदाई की जाती है। उससे नरकंकाल हटाए जाते हैं और फिर नये शव दफनाए जा रहे हैं। ब्राजील की ये स्थिति इसलिए है, क्योंकि ब्राजील में कोरो वायरस को लेकर काफी ज्यादा लापरवाही बरती गई है और यहां की सरकार कोरोना वायरस को लेकर पूरी तरह से गैर-जिम्मेदार रही है। (तस्वीर सौजन्य- voanews.com)
मार्च में 60 हजार मौतें
ब्राजील में कोरोना वायरस की वजह से अब सबसे ज्यादा जवान लोग मारे जा रहे हैं। सिर्फ मार्च महीने में ब्राजील में कोरोना वायरस की चपेट में आने से 60 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। ब्राजील स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ मार्च महीने में ब्राजील में 66 हजार 570 लोगों की मौत कोरोना वायरस की वजह से हुई हैं। जो पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा है। वहीं, फरवरी में ब्राजील में करीब 30 हजार मौतें हुई थीं। ब्राजील की स्वास्थ्य व्यवस्था अब पूरी तरह से तहस-नहस हो चुकी है। अस्पतालों में मरीजों के लिए जगह नहीं है तो अब डॉक्टर पूरी तरह से थक चुके हैं।
सरकार पूरी तरह से फेल
ब्राजील की सरकार कोरोना वायरस को काबू में करने में पूरी तरह से फेल साबित हुई है। राष्ट्रपति जैर बोल्सनारो कोरोना को कंट्रोल करने की जगह सिर्फ स्वास्थ्य मंत्रियों को बदलते रहे। उन्होंने अपनी पूरी कैबिनेट बदल दी, लेकिन वो कोरोना वायरस को कंट्रोल नहीं कर पाए। ब्राजील में इस वक्त हर दिन 3 हजार से ज्यादा मौतें हो रही हैं और आशंका जताई जा रही है कि अप्रैल महीने में ब्राजील में एक लाख से ज्यादा लोगों की मौत कोरोना वायरस की वजह से हो जाएगी, लेकिन ब्राजील की सरकार अभी तक तय नहीं कर पाई है कि उसे किस देश से वैक्सीन लेना और देश में वैक्सीनेशन प्रोग्राम कैसे चलाना है। राष्ट्रपति जैर बोल्सनारो की जमकर आलोचना की जा रही है और उन्हें देश की इस दुर्गति के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। ब्राजील में कोरोना का भीषण प्रकोप होने के बाद भी सरकार ने लॉकडाउन को लेकर स्थानीय प्रशासन, लोकल गवर्नर और मेयर्स के माथे पर जिम्मेदारी दे दी।
वायरस और बेरोजगारी
ब्राजील सरकार ने देश में लॉकडाउन लगाने से साफ इनकार कर दिया है। बावजूद इसके कि देश में हर दिन 3 हजार से ज्यादा मौतें हो रही हैं। ब्राजील के राष्ट्रपति ने लॉकडाउन के सवाल पर कहा कि 'हमारे दो दुश्मन हैं एक कोरोना वायरस और दूसरा बेरोजगारी। ये दोनों सच्चाई हैं और घर में बैठकर इसका समाधान नहीं निकाला जा सकता है'। ब्राजील के राष्ट्रपति ने बुधवार को लॉकडाउन लगाने से इनकार किया और उस दिन भी देश में 3800 से ज्यादा लोग कोरोना की वजह से मरे हैं। ब्राजील में इस वक्त हर दिन विश्व में सबसे ज्यादा मौते हो रही हैं। (तस्वीर सौजन्य- नेचर.कॉम)
कहां दफन हो शव?
ब्राजील के साओ पाउलो की स्थिति सबसे ज्यादा विकराल है। इस शहर के उत्तरी इलाके में स्थित है विला नोवा कैकोइरिन्हा कब्रिस्तान। जहां कोरोना की वजह से इतने शव दफनाए गये हैं कि नये शवों को दफनाने के लिए जगह नहीं है। लिहाजा, इस कब्रिस्तान में पुराने कब्रों को खोदकर पुराने शवों को बाहर निकाला जा रहा है। कब्रिस्तान में दिन-रात काम चलता है और कब्रों को खोदा जाता है। साओ पाउलो म्यूनिसिपल कॉर्पेरेशन के मुताबिक इस वक्त तीन साल पुराने कब्रों को खोदा जा रहा है और उसमें से निकाले गये कंकालों को कंटेनर में रखा जा रहा है। इन कंकालों को फिलहाल अस्थायी तौर पर रखा जाएगा और फिर 15 दिनों के अंदर कंकालों को दूसरे कब्रिस्तानों में दफन कर दिया जाएगा। कई मृतकों के घरवालों ने सरकार के इस फैसले का विरोध भी किया है, लेकिन प्रशासन लोगों की बात पर ध्यान नहीं दे रहा है। कई मृतकों के परिजन कब्र की खुदाई के वक्त कब्रिस्तान पहुंच रहे हैं और वहां फूल चढ़ा रहे हैं तो कुछ लोग कंकाल को अपने साथ ले जा रहे हैं।