चीन पर ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका ने लगाया साउथ चाइना सी की यथास्थिति बदलने का आरोप
कैनबरा। ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका ने अब चीन पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। इन तीनों देशों के रक्षा मंत्रियों की मीटिंग के बाद जो बयान जारी किया गया है उसमें चीन पर कई तरह के आरोप लगाए गए हैं। इस संयुक्त बयान में कहा गया है कि चीन, साउथ चाइना सी की यथास्थिति में बदलाव करने की कोशिशें कर रहा है। इन कोशिशों में उसे कभी सफल नहीं होने दिया जाएगा। इसके अलावा हांगकांग में लाए गए नए सुरक्षा कानून को लेकर भी चीन पर हमला बोला गया है। इन तीनों मंत्रियों की मीटिंग में चीन के रवैये पर चिंता जताई गई है।
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शुरू हुई चीन की घेराबंदी
पिछले दिनों साउथ चाइना सी पर अमेरिका ने अब चीन की घेराबंदी शुरू कर दी है। यूएस नेवी की तरफ से यहां पर अपने दो एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस निमित्ज और यूएसएस रोनाल्ड रीगन को तैनात कर दिया है। इसके साथ ही कई और वॉरशिप्स को भेजा गया है। चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच ही इसे एक बड़ा घटनाक्रम करार दिया जा रहा है। लेफ्टिनेंट कमांडर सीन ब्रोफी की तरफ से इस खबर की पुष्टि भी की गई। यहां पर अमेरिकी नेवी की तरफ से ड्रिल को अंजाम दिया जा रहा है और यह ड्रिल उस जगह से बस कुछ ही दूरी पर हो रही है जहां पर यूएस नेवी मौजूद है। आपको बता दें कि जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के साथ भारत भी उस क्वाड ग्रुप का सदस्य है जिसका निर्माण चीन की आक्रामक नीतियों का जवाब देने के मकसद से हुआ था।
जापान और ऑस्ट्रेलिया का रुख सख्त
इसके अलावा हांगकांग में आए नए सुरक्षा कानून की वजह से जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे, राष्ट्रपति शी जिनपिंग का दौरा कैंसिल कर सकते हैं। आबे को यह कदम उनकी ही पार्टी लिबरल डेमोक्रेटिक के अंदर जारी विरोध की वजह से उठाना पड़ सकता है। साल 2008 के बाद से कोई चीनी राष्ट्रपति, जापान के दौरे पर जाने वाला था। अब लगता है कि ऐसा संभव नहीं है। इन दोनों से अलग ऑस्ट्रेलिया ने भी अब चीन के खिलाफ आक्रामक रुख अपना लिया है। प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने अब अपनी नेवी को हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में घेरने की तैयारी शुरू कर दी है। मॉरिसन ने देश की सेनाओं को 270 बिलियन डॉलर देने का ऐलान किया है। उन्होंने रक्षा बजट का ऐलान करते हुए कहा कि अब ऑस्ट्रेलिया को और खतरनाक दुनिया के लिए तैयार रहना होगा। पीएम मॉरिसन ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया अपने सुपर हॉर्नेट फाइटर जेट्स की स्क्वाड्रन को मजबूती देने के लिए एंटी-शिप मिसाइलों की खरीद और देश की रक्षा रणनीति में बदलाव करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।