क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

नज़रिया: अपने ही हथियार का शिकार तो नहीं हो जाएंगे इमरान ख़ान?

पाकिस्तान में आम चुनाव के अधिकांश नतीजे आ गए हैं और तहरीक़-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) के नेता इमरान ख़ान का प्रधानमंत्री बनना तय हो गया है.

जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की पार्टी दूसरे नंबर पर रही है और बिलावल भुट्टो की पीपीपी तीसरी सबसे बड़ी पार्टी रही है.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
Pakistan
AFP
Pakistan

पाकिस्तान में आम चुनाव के अधिकांश नतीजे आ गए हैं और तहरीक़-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) के नेता इमरान ख़ान का प्रधानमंत्री बनना तय हो गया है.

जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की पार्टी दूसरे नंबर पर रही है और बिलावल भुट्टो की पीपीपी तीसरी सबसे बड़ी पार्टी रही है.

  • पाकिस्तान चुनाव के नतीजे पाकिस्तान के लिए क्या संदेश लेकर आए हैं?
  • नई सरकार के सामने क्या चुनौतियां होंगी?
  • शरीफ़ और भुट्टो परिवार की राजनीति का क्या होगा?
  • और भारत के लिए इमरान ख़ान का क्या रुख़ रहेगा?

इन सभी सवालों का जवाब जानने के लिए बीबीसी संवाददाता आदर्श राठौर ने बात की बीबीसी उर्दू के पूर्व संपादक और 'अ केस ऑफ़ एक्सप्लोडिंग मैंगोज़' उपन्यास के लेखक मोहम्मद हनीफ़ से. पढ़िये उनका नज़रिया:

Pakistan
AFP
Pakistan

क्या बताते हैं नतीजे

पहली बात तो ये निकलकर सामने आती है कि इमरान ख़ान 22 साल से पाकिस्तान की सियासत में थे और वज़ीर-ए-आज़म बनना चाहते थे.

बहुत अरसे तक लोग उनका मज़ाक उड़ाते थे और उनकी बात सुनने को तैयार नहीं थे. अब ये तय है कि वो प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं.

दूसरी बात ये है कि पाकिस्तान में जो राजनीतिक शक्तियां थीं, जैसे कि शरीफ़ ब्रदर्स और कराची में एमक्यूएम, वे 30 साल बाद बिल्कुल टूट गई हैं.

लगता यूँ है कि पाकिस्तान की सियासत में बिल्कुल नए युग की शुरुआत हुई है.

Pakistan
AFP
Pakistan

इमरान के सामने बड़ी चुनौतियाँ

पहली चुनौती तो वही है, जो उन्होंने पिछली हुकूमत के लिए खड़ी की थी.

पिछले चुनाव के बाद जब नवाज़ शरीफ़ प्रधानमंत्री बने थे तो इमरान ने पहले दिन से ही कहना शुरू कर दिया कि चुनाव सही नहीं था, इसमें मेरे साथ ज्यादती हुई है.

उन्होंने इस मसले पर धरने दिए. एक तरह से ऐसे समझें कि चार-पाँच साल उन्होंने हुकूमत को चलने नहीं दिया इस चुनाव को मुद्दा बनाकर.

इस बार हारने वाली ज्यादातर पार्टियाँ कह रही हैं कि चुनाव में बड़ी गड़बड़ हुई है. तो इमरान के सामने चुनौती होगी कि इस मसले से वह कैसे निपटेंगे.

हारी हुई पार्टियाँ उनके ख़िलाफ़ इकट्ठी भी हो सकती हैं. इमरान को जीतने की वैधता साबित करनी होगी कि वह असल में जीतकर आए हैं, गड़बड़ी से वज़ीर-ए-आज़म नहीं बने.

Pakistan
EPA
Pakistan

दूसरी चुनौती है- पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था. इसे लेकर अक्सर सुनने में आता है कि हालत बेहद ख़राब है.

हर रोज़ रोना रोया जाता है कि डॉलर 125 या 130 रुपये का हो गया है. टेरर फ़ाइनेंसिंग की पूरी दुनिया की लिस्ट में पाकिस्तान ग्रे में हैं और अब ब्लैक में जाने वाला है.

तो दूसरी बड़ी चुनौती उनके सामने तत्काल यह होगी कि उन्हें पाकिस्तान में आर्थिक स्थिरता लानी होगी.

मेरे विचार से तीसरी चुनौती यह होगी कि उन्होंने बहुत सारे वादे किए हैं, ख़ासकर युवाओं से. इमरान की जीत में बड़ा हिस्सा उन लोगों का है जिन्होंने पहली बार वोट दिया.

उन्होंने इमरान के वादों और विज़न को देखकर वोट दिया है, जिसमें देश से भ्रष्टाचार और टू-टियर सिस्टम को ख़त्म करना शामिल है.

अब देखना है कि वो इन वादों पर कैसे अमल करते हैं.


Pakistan
Reuters
Pakistan

हिंदुस्तान को लेकर इमरान का रुख़

इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा कि इमरान का रवैया भारत को लेकर सकारात्मक हो या नकारात्मक.

जैसे कि नवाज़ शरीफ़ तीन बार वजीर-ए-आज़म रहे हैं. कहते थे कि वो भारत से अच्छे ताल्लुकात चाहते हैं.

आपको याद होगा वाजपेयी भारत आए थे और बड़ी-बड़ी बातें हुई थीं. शरीफ़ को उस दफ़ा भी जाना पड़ा था और इस बार भी चुनाव में उन पर इलज़ाम लगा कि यह तो 'मोदी का यार' है.

इमरान पहले भारत के बारे में अच्छी बातें किया करते थे. वैसे पाकिस्तान के चुनाव में भारत की बात नहीं होती थी मगर इस बार इमरान ने कहा कि नवाज़ शरीफ़ इंडिया के एजेंट हैं.

pakistan
Reuters
pakistan

मेरे विचार से इमरान ख़ान भी अपने सेटल होने के बाद वही महसूस करेंगे, जो पाकिस्तान का हर सिविल नेता महसूस करता है कि अपने पड़ोसियों से बनाकर रखनी चाहिए, इसके बिना मुल्क़ आगे नहीं चल सकता और न ही सुरक्षा बेहतर हो सकती है.

मगर पाकिस्तान में वजीर-ए-आज़म की शामत उसी समय आती है जब वो ये सोचता है कि वो विदेश नीति में अमल-दख़ल दे सकता है, भारत और अफ़गानिस्तान को लेकर खुलकर बात करत सकता है.

जैसे ही वजीर-ए-आज़म पाकिस्तान में इस तरह की बात शुरू करता है, अपने पर फैलाना शुरू करता है, उसके ऊपर बुरा वक़्त आ जाता है.

मुझे यकीन है कि इमरान भारत की तरफ अच्छे संकेत देंगे मगर देखना होगा कि उससे आगे बढ़ेंगे या उनके साथ वही होगा बाक़ी वज़ीर-ए-आज़मों के साथ होता रहा.


Pakistan
EPA
Pakistan

शरीफ़ ख़ानदान का क्या होगा?

जो पिछले चार साल पाकिस्तान का वज़ीर-ए-आज़म था और तीन बार वजीर-ए-आज़म रह चुका है, वह भी जेल में है और उसकी बेटी भी.

मगर ये बड़ा मसला रहेगा क्योंकि उनकी पार्टी चुनाव तो हारी है, मगर काफ़ी सीटें जीती भी हैं.

ऐसे में विपक्ष में रूप में वो मज़बूत होगी. तो ये इमरान ख़ान के लिए चुनौती रहेगी कि वो नवाज़, उनके परिवार और उनकी पार्टी से कैसे डील करेंगे.

कई लोग कहेंगे कि नवाज़ शरीफ़ का राजनीतिक करियर ख़त्म होने को था और वह अपनी बेटी को लॉन्च करने निकले थे मगर बेटी को भी जेल में डाल दिया गया है.

उनकी बेटी का जितना राजनीतिक करियर रहा है, लोगों ने देखा है कि उनमें स्पार्क है और वह अच्छे से बोलती हैं और अच्छे तरीक़े से लोगों से बात करती हैं.

वो पार्टी को चलाती हैं और ख़ुलकर बात करती हैं. तो मेरे विचार से न तो उनको नज़रअंदाज़ किया जा सकता है और न ही शरीफ़ परिवार को. उनका भविष्य किसी न किसी सूरत में रहेगा.

Pakistan
AFP
Pakistan

पीपीपी को उठा पाएंगे बिलावल?

यह बिलावल भुट्टो का पहला चुनाव प्रचार अभियान था और उन्होंने लोगों को बहुत हैरान किया है. उनकी पार्टी ने अंदाज़े से बेहतर प्रदर्शन किया है.

वह ऐसे नेता रहे हैं जिन्होंने शालीनता से अभियान चलाया, न धमकी दी और न गाली दी. वे युवा हैं और उनके पास काफ़ी समय है.

समस्या एक है कि उनके पिता के ऊपर कई इल्ज़ाम लगते हैं. ऐसा भी कहा जाता है कि पार्टी पर बिलावल का नियंत्रण नहीं है और अहम फ़ैसले उनके पिता ही लेते हैं.

तो लोग कहते हैं कि जब ये इमेज बनेगी कि वह ख़ुद स्वतंत्र फ़ैसले लेते हैं, तभी वो पार्टी को रिवाइव कर पाएंगे.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Attitude Imran Khan will not be the victim of his own weapon
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X