चीन: दुनिया का सबसे बड़ा ‘अदृश्य पिंजरा’, जहां 140 करोड़ लोगों की हर पल निगरानी होती है
चीन में डिजिटल ट्रिपवायर्स से बचने के लिए बड़े स्तर के युद्धाभ्यास करने की जरूरत है और अतीत में 74 साल के एक बुजुर्ग व्यक्ति झांग युकियाओ ने चीन की सरकार की नजर से बचने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी थी।
बीजिंग, जून 27: चीन में रहने वाले अरब 40 करोड़ से ज्यादा लोगों पर हर पल निगरानी रखी जाती है और चीन की पुलिस ने अब देश के सभी नागरिकों के हर एक हरकतों को कैमरे में रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया है। चीन में पुलिस के कैमरे हर जगह लग चुके हैं, सड़क के कोनों में, मेट्रो स्टेशनों की छतों पर, होटल की लॉबी में, अपार्टमेंट और इमारतों में भी। चीन में हर एक नागरिक का फोन ट्रैक का जाता है। वो क्या खरीदारी करते हैं, कितना खरीदारी करते हैं, उसकी भी निगरानी की जाती है और उनके ऑनलाइन चैट को सेंसर किया जाता है। यानि, चीन अपने एक अरब 40 करोड़ से ज्यादा लोगों के लिए एक खुला जेल बन चुका है।
मुट्ठी में लोगों का भविष्य
दुनिया की नई आबादी टेक्नोलॉजी के साथ बड़ा हो रही है चीन में भी ऐसे लोगों की संख्या करोड़ों में है, लेकिन चीन दुनिया के बाकी देशों से अलग है। चीन में हर एक शख्स, जो टेक्नोलॉजी से जुड़ा है, उसके रिकॉर्ड को स्टोर करके रखा दाता है और चीन की सरकार की इसके पीछे दलील है, कि इससे संभावित अपराध और अपराधियों के बारे में भविष्यवाणी होती है। लेकिन, एक्सपर्ट मानते हैं, कि इसे चीन की सरकार अपने लिए संकटमोचक की तरह मानती है और चीन में ना केवल आपराधिक अतीत वाले लोग, बल्कि कमजोर समूह भी, जिनमें जातीय अल्पसंख्यक, प्रवासी श्रमिक और मानसिक बीमारी के इतिहास वाले लोग शामिल हैं, उनसब पर और भी ज्यादा ग हरी नजर रखी जाती है, ताकि वो सरकार के लिए संकट पैदा ना कर दें।
सरकार की क्या है दलील?
सरकार की दलील होती है, कि हर एक नागरिक पर नजर रखने से अपराध से पहले ही उसकी जानकारी मिल जाती है और पुलिस वक्त पर एक्टिव हो सकती है। जैसे कोई ड्रग तस्कर एक ही नंबर पर कई बार कॉल करता है, या को मानसिक बीमार शख्स किसी स्कूल के पास पहुंचता है, तो पुलिस को उसकी जानकारी पहले ही मिल सकती है। लेकिन, क्या हर एक नागरिक के ऊपर कैमरा बनकर मंडराना सही है? क्या किसी की निजी जीवन में तांकझांक करना सही है? चीन की सरकार को इन सवालों से कोई मतलब नहीं है!
क्या कोई डिजिटल जाल से बच सकता है?
चीन में डिजिटल ट्रिपवायर्स से बचने के लिए बड़े स्तर के युद्धाभ्यास करने की जरूरत है और अतीत में 74 साल के एक बुजुर्ग व्यक्ति झांग युकियाओ ने चीन की सरकार की नजर से बचने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी थी। वो लगातार सरकार को डिजिटल ट्रिपवायर्स से बचने के लिए याचिकाएं देता रहा। झांग युकियाओ के पिता को टॉर्चर किया गया था और सरकार से मुआवजा मांगने के लिए उसे बीजिंग तक की यात्रा करनी थी, लिहाजा उसे अधिकारियों की नजर से बचना था, जिसके लिए सबसे पहले उसे मुख्य राजमार्गों का प्रयोग करना बंद करना था। और फिर अधिकारियों से बचने के लिए उसने अपना फोन बंद कर दिया, वो लगातार नकद भुगतान करता है, कई बार झूठे गंतव्य स्थानों के लिए ट्रेन की टिकट खरीदता है, ताकि अधिकारियों से बच सके। लेकिन, उसके लिए ये सब करना कतई आसान नहीं था।
टेक्नोलॉजी से देश बन गया पिंजरा
द न्यूयॉर्क टाइम्स ने चीन की नई टेक्नोलॉजी की गहनता से विश्लेषण किया है। हालांकि, काफी हद तक ये अप्रमाणित है, लेकिन दस्तावेजों की समीक्षा में यही पता चला, कि टेक्नोलॉजी से विस्तृत, सामाजिक और राजनीतिक नियंत्रण की सीमाओं का विस्तार हो रही हैं और उन्हें लोगों के जीवन में कभी भी गहराई से एकीकृत करती हैं। हालांकि, लोग हर एक पल हो रही निगरानी को अपनी जिंदगी के लिए घुटन मानते है, लेकिन सरकार इसे सही मानती है, जबकि लोग इसे निजी जीवन में गोपनीयता का उल्लंघन मानते हैं। चीन की सरकार के लिए सामाजिक स्थिरता सर्वोपरि है और उसका मानना है, कि इसके लिए किसी भी खतरे को समाप्त किया जाना चाहिए। चीन के शीर्ष नेता के रूप में अपने एक दशक के शासन के दौरान, शी जिनपिंग ने शिनजियांग के पश्चिमी क्षेत्र में जातीय अशांति को शांत करने और दुनिया के कुछ सबसे गंभीर कोरोनावायरस लॉकडाउन को लागू करने के लिए तकनीकी-सत्तावादी नीतियों को लागू किया। उन्होंने देश में दमनकारी सुरक्षा नीतियों को लागू किया और चीन में असहमित जताने का बचा खुचा स्पेस भी खत्म हो गया।
समाज या सरकार की सुरक्षा?
जिन टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर एक लोकतांत्रिक देशों में भूचाल मच जाता है और सरकारें तक गिर जाती हैं, चीन में उन टेक्नोलॉजी को तुरही बजाकर लागू किया जाता है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने साल 2019 में एक 'राष्ट्रीय सार्वजनिक सुरक्षा कार्य' बैठक में कहा था, कि 'बिग डेटा का उपयोग सार्वजनिक सुरक्षा कार्य के अभिनव विकास और लड़ाकू क्षमताओं के पोषण के लिए एक नए विकास बिंदु को शक्ति देने के लिए एक इंजन के रूप में किया जाना चाहिए'। शी जिनपिंह के इस बयान के बाद में चीन में तूफानी रफ्तार से लोगों की निगरानी रखी जाने लगी। साल 2020 में स्थानीय पुलिस ने बताया कि, एक महिला अपने पति के साथ रहने के लिए हांगकांग जाना चाह रही थी, लेकिन उसके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया, क्योंकि सॉफ्टवेयर से उसकी शादी संदिग्ध होने की जानकारी मिल रही थी। पुलिस ने कहा कि, आगे की जांच में खुलासा हुआ कि, दोनों एक समय में अलग अलग स्थान पर रहते हैं और उन्होंने स्प्रिंग फेस्टिवल भी एक साथ नहीं मनाया था। पुलिस ने निष्कर्ष निकाला कि माइग्रेशन परमिट प्राप्त करने के लिए शादी को नकली बनाया गया था।
चीन में छिपने के लिए कोई जगह नहीं
साल 2017 में चीन के प्रसिद्ध उद्यमियों ने भविष्य को लेकर एक ऐसे कंप्यूटर सिस्टम बनाने की भविष्यवाणी की थी, जो अपराधों की भविष्यवाणी कर सकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्टार्टअप मेगवी की स्थापना करने वाले उद्यमी यिन क्यूई ने चीनी राज्य मीडिया को बताया, कि सर्विलांस सिस्टम पुलिस को अपराध के लिए एक सर्च इंजन दे सकती है, जिसमें बड़ी मात्रा में वीडियो फुटेज का विश्लेषण पैटर्न को समझने और अधिकारियों को संदिग्ध व्यवहार वाले लोगों के बारे में चेतावनी देने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने समझाया कि अगर कैमरों को पता चलता है, कि कोई व्यक्ति ट्रेन स्टेशन पर बहुत अधिक समय बिता रहा है, तो सिस्टम संभावित तौर पर उसे जेबकतरे के तौर पर चिन्हित कर सकता है। उद्योगपति ने कहा कि, इस सिस्टम के जरिए 'बुरे व्यक्तियों' को फौरन पकड़ा जा सकता है। फिलहाल, चीन में गांव से लेकर शहर, हर सड़क, हर गली में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, जो कंप्युटर सिस्टम से जुड़े हैं और हर एक नागरिक की 24 घंटे निगरानी की जाती है।
सर्विलांस के नये तरीके
चीन की सरकार ने अपनी टेक्नोलॉजी के जरिए उन लोगों की भी निगरानी शुरू कर दी है, जो राजनीतिक तौर पर कम्युनिस्ट पार्टी से सहमत नहीं हैं। चीन में अब कई ऐसे सॉफ्टवेयर बन चुके हैं, जो सर्विलांस के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। ऐसे ही एक सॉफ्टवेयर ऐसे नेताओं के मोबाइल से पुलिस कनेक्ट कर लेती है और जैसे ही ऐसे वक्ति अपना फोन बंद करते हैं, पुलिस उनके घर के पास पहुंच जाती है। यानि, टेक्नोलॉजी के सहारे पूरे चीन को एक पिंजरा बना दिया गया है, जहां लोग सरकारी सर्विलांस में विचरण करते रहते हैं।
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