पृथ्वी का 4 अरब वर्ष पुराना 'टुकड़ा' मिला, इस दुर्लभ खोज के बारे में क्या कह रहे हैं वैज्ञानिक ? जानिए
कैनबरा (ऑस्ट्रेलिया), 22 अगस्त: ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों को धरती की ऊपरी परत का 4 अरब साल पुराना एक विशाल टुकड़ा मिला है, जो आयरलैंड जितना बड़ा है। यह पृथ्वी के उस परत का हिस्सा है, जो इन अरबों वर्षों में तमाम उल्का पिंडों के वार से भी सुरक्षित रहे हैं और इनपर पर्वत निर्माण प्रक्रियाओं का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। यानी यह परत लगभग धरती के मूल स्थिति के रूप में ही बरकरार हैं और यही वजह है कि वैज्ञानिकों को इसमें मानव-जीवन के लिए कई तरह के संसाधन मिलने की संभावनाएं नजर आ रही हैं।
पृथ्वी की भू-पर्पटी का 4 अरब वर्ष पुराना टुकड़ा मिला
पृथ्वी मूल रूप से तीन परतों में बंटी है- क्रस्ट (भू-पर्पटी), मैंटल (बीच का हिस्सा) और कोर (सबसे भीतर का हिस्सा)। कर्टिन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं को पश्चिम ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण-पश्चिम में करीब 4 अरब साल पुराने क्रस्ट (भू-पर्पटी) के टुकड़े का प्रमाण मिला है। इसके लिए समुद्र के किनारों की रेत से खनीज की खोज करने वाले इंसान के बाल से भी सूक्ष्म लेजर का इस्तेमाल किया गया है। यह शोध कर्टिन स्कूल ऑफ अर्थ एंड प्लैनेटरी साइंसेज के शोधकर्ताओं ने किया है। इस शोध से जुड़े एक शोधार्थी मैक्समिलियन ड्रॉल्नर के मुताबिक इस नई खोज से यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि धरती एक निर्जन भूमि से कैसे जीवन के लायक बनी।
आयरलैंड जितना विशाल टुकड़ा
वैज्ञानिक भू-पर्पटी या पृथ्वी की ऊपरी परत की जिस 4 अरब साल पुराने टुकड़े की बात कर रहे हैं, उसका आकार आयरलैंड के बराबर बताया जा रहा है। ड्रॉल्नर ने कहा, 'इस बात के साक्ष्य हैं कि आयरलैंड के आकार के चार अरब साल पुराने टुकड़े ने पिछले कुछ अरब वर्षों में पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के भूवैज्ञानिक विकास को प्रभावित किया है और वाशिंगटन में बने चट्टानों में भी यह कालखंड एक प्रमुख घटक है।'
सतह से दसों किलोमीटर नीचे की गई है दुर्लभ खोज
वैज्ञानिकों के मुताबिक पृथ्वी की ऊपरी परत का यह टुकड़ा ऑस्ट्रेलिया, भारत और अंटार्कटिका के बीच पहाड़ों के निर्माण होने की प्रक्रियाओं से भी बचा रहा है और अभी भी पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण-पश्चिमी कोने के नीचे दसों किलोमीटर की गहराई में मौजूद है। शोधकर्ताओं का कहना है कि जब वह अपनी पड़तालों की तुलना पहले से मौजूद डेटा से करते हैं तो ऐसा लगता है कि पूरी दुनिया के कई इलाकों में भू-पर्पटी के निर्माण और संरक्षण का कालखंड एक समान ही लगता है। उनके मुताबिक, 'लगभग चार अरब साल पहले पृथ्वी के विकास में यह एक महत्वपूर्ण बदलाव की ओर इशारा करता है। क्योंकि, उल्कापिंडों की बमबारी कम हो गई, जमीन की ऊपरी परत जम गयी और जीवन की शुरुआत होनी शुरू हो गई।'
खनिजों की खोज करने के लिए महत्वपूर्ण है यह शोध
कर्टिन स्कूल ऑफ अर्थ एंड प्लैनेटरी साइंसेज में मिनरल सिस्टम ग्रुप के टाइम्सस्केल्स के शोध पर्यवेक्षक डॉ मिलो परहम ने कहा है कि इस क्षेत्र का पहले कोई बड़े पैमाने पर अध्ययन नहीं किया गया था; और जब मौजूदा डेटा की तुलना की गई तो परिणाम दिलचस्प दिखे। काफी नई जानकारी सामने आई। परहम का कहना है, 'क्रस्ट के पुराने टुकड़े का किनारा महत्वपूर्ण क्रस्टल सीमाओं का संकेत करता है, जो यह बताता है कि आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण खनिजों की खोज कहां की जाए।'
बाकी ग्रहों पर शोध करने में भी मिलेगी मदद
डॉक्टर परहम के मुताबिक प्राचीन परत के अवशेष भविष्य में संसाधनों की खोज की दिशा में काफी अहम साबित होने वाले हैं। उनका कहना है, 'बहुत ज्यादा समय गुजर जाने के कारण प्रारंभिक पृथ्वी का अध्ययन करना चुनौतीपूर्ण है, लेकिन धरती पर जीवन के महत्व और अन्य ग्रहों पर इसका पता लगाने की हमारी कोशिशों को समझना बहुत महत्वपूर्ण है।'
इन शोधकर्ताओं को मिली है यह कामयाबी
मैक्समिलियन
ड्रॉल्नर,
डॉक्टर
परहम
और
इस
रिसर्च
के
को-ऑथर
प्रोफेसर
क्रिस
किर्कलैंड
इंस्टीट्यूट
फॉर
जीओसाइंसेज
रिसर्च
से
जुड़े
हैं।
कर्टिन
के
फ्लैगशिप
अर्थ
साइंस
रिसर्च
इंस्टीट्यूट
को
वेस्टर्न
ऑस्ट्रेलियन
इंस्टीट्यूट
ऑफ
मिनरल
रिसर्च
की
ओर
से
फंडिंड
की
गई
थी।
इस
शोध
के
बारे
में
विस्तार
से
जानकारी,
'
स्टीजफास्ट
प्लांटेशन
इन
वेस्ट
येगार्न
क्रैटन,
वेसटर्न
ऑस्ट्रेलिया'
के
नाम
से
टेरा
नोवा
पर
पर
उपलब्ध
है।
(तस्वीरें-
सांकेतिक)
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