75 साल के बुज़ुर्ग की उगाई ककड़ी बना सकती है विश्व रिकॉर्ड
ब्रिटेन के डर्बी में रहने वाले रघबीर सिंह संघेरा कहते हैं कि उनकी प्रार्थनाओं के कारण उनके खेत में उगी ककड़ी इतनी बड़ी हो गई है कि वो नया विश्व रिकॉर्ड बना सकती है.
साल 1991 में ब्रिटेन आने से पहले रघबीर सिंह संघेरा भारत में रहते थे और खेती किसानी का काम करते थे.
उन्होंने अपने ग्रीनहाउस में ककड़ी की खेती की है जिसमें से एक की लंबाई 51 इंच यानी 129.54 सेंटीमीटर हो गई है.
ब्रिटेन के डर्बी में रहने वाले रघबीर सिंह संघेरा कहते हैं कि उनकी प्रार्थनाओं के कारण उनके खेत में उगी ककड़ी इतनी बड़ी हो गई है कि वो नया विश्व रिकॉर्ड बना सकती है.
साल 1991 में ब्रिटेन आने से पहले रघबीर सिंह संघेरा भारत में रहते थे और खेती किसानी का काम करते थे.
उन्होंने अपने ग्रीनहाउस में ककड़ी की खेती की है जिसमें से एक की लंबाई 51 इंच यानी 129.54 सेंटीमीटर हो गई है.
इस ककड़ी की प्रजाति के बारे में फिलहाल कोई जानकारी नहीं मिली है. संघेरा का कहना है कि ककड़ी अभी भी बढ़ती जा रही है.
विश्व का सबसे लंबी ककड़ी का गिनीज़ रिकॉर्ड साल 2011 में वेल्स में उगी एक ककड़ी के नाम है जो 42.13 इंच यानी 105 सेंटीमीटर लंबी थी.
बड़ी सब्ज़ियां उगाने के मामले में जानकार पीटर ग्लेज़ब्रूक कहते हैं कि ऐसा लग रहा है कि ये अरमीनियाई ककड़ी (वैज्ञानिक नाम - कुकुमिस मेलोफ्लेक्सुसस) है और मस्कमेलन (वैज्ञानिक नाम - कुकुमिस सैटिवस) की तरह है. वैज्ञानिक तौर पर ये गोर्ड सब्ज़ी की प्रजाति से ही है.
ग्लेज़ब्रूक कहते हैं, "हमने पहले भी इस प्रजाति की ककड़ियों को प्रदर्शनी में देखा है लेकिन उन्हें सबसे लंबी ककड़ी के तौर पर स्वीकार नहीं किया गया. लेकिन ये एक उम्दा सब्ज़ी लग रही है."
गिनीज़ रिकॉर्ड में सबसे लंबी ककड़ी के रूप में दर्जा पाने के लिए ककड़ी केवल कुकुमिस सैटिवस प्रजाति की ही होनी चाहिए.
'बच्चे की तरह देखरेख करनी होती है'
गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के एक प्रवक्ता का कहना है कि अब तक अर्मिनियाई ककड़ी का लिए कोई रिकॉर्ड नहीं है. वो कहते हैं, "लेकिन हमारी वेबसाइट के ज़रिए कोई भी इसके लिए आवेदन कर सकते हैं और ज़रूरत पड़ने पर नई श्रेणी बनाई जा सकती है."
75 साल के संघेरा कहते हैं कि ककड़ी तैयार हो जाने पर वो इसे नॉटिंगम में मौजूद सिंह सभा गुरुद्वारा में ले कर जाएंगे. वो इस गुरुद्वारे में सेवा करते हैं और चाहते हैं कि सभी लोगों के साथ वो ककड़ी को बांट सकें.
वो कहते हैं, "अभी तो ये और मोटी और लंबी हो रही है. ये पूरी तरह तैयार हो जाए तो मैं अगले साल के लिए कुछ बीज रख लूंगा."
"अपने बच्चे की तरह इसकी देखभाल करनी पड़ती है."
संघेरा कहते हैं उन्होंने चार महीने पहले ककड़ी के चार पौधे लगाए थे. सभी ककड़ियां ख़त्म हो चुकी हैं और उसमें से एक अब भी बढ़ती ही जा रही है.
वो कहते हैं, "मैंने इसके पास बैठने की जगह बनाई है जहां बैठ कर मैं इसे देखता रहता हूं."
"मैं प्रार्थना करता हूं कि ये और भी बड़ी हो और सभी को खुश करे. इसे देख कर मुझे खुशी होती है."
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