क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

बाइडन बोले- 75 हज़ार तालिबानी लड़ाके तीन लाख अफ़ग़ान सैनिकों पर भारी नहीं पड़ेंगे

अमेरिकी सेना अफ़ग़ानिस्तान 20 साल बाद छोड़ रही है. तालिबान ख़ुश है लेकिन अमेरिका को लेकर कहा जा रहा है कि उसने एक लड़ाई को बीच में ही छोड़ दिया.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
अफ़ग़ानिस्तान
AFP
अफ़ग़ानिस्तान

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने अफ़ग़ानिस्तान से सेना वापस बुलाने के निर्णय का बचाव करते हुए कहा है कि वहां अमेरिकी अभियान 31 अगस्त को ख़त्म हो जाएगा.

अफ़ग़ानिस्तान से जिस रफ़्तार से अमेरिकी सैनिक वापस बुलाए जा रहे हैं, उसका बचाव करते हुए जो बाइडन ने कहा कि इससे ज़िंदगियाँ बचाई जा रही हैं.

जो बाइडन का ये बयान ऐसे समय में आया है जब चरमपंथी गुट तालिबान अफ़ग़ानिस्तान के नए इलाक़ों को लगातार अपने नियंत्रण में ले रहा है. 11 सितंबर, 2001 को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले के बाद अमेरिकी सेना अफ़ग़ानिस्तान में तकरीबन 20 सालों तक लड़ी.

लेकिन इस साल की शुरुआत जो बाइडन ने अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के लिए 11 सितंबर, 2021 की तारीख़ तय कर दी.

जो बाइडन से पहले ट्रंप प्रशासन ने भी तालिबान के साथ बातचीत में मई, 2021 तक अमेरिकी सैनिकों की वापसी को लेकर सहमति जताई थी. ट्रंप के बाद जब इस जनवरी में बाइडन सत्ता में आए तो उन्होंने ये तारीख़ बढ़ा दी थी.

अफ़ग़ानिस्तान: बगराम एयरबेस रातोरात छोड़ने पर बोला अमेरिका

तालिबान पर भारत में रह रहे अफ़ग़ान क्या सोचते हैं?

जो बाइडन
Getty Images
जो बाइडन

बाइडन ने क्या कहा

व्हाइट हाउस में अपने भाषण में अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, "अफ़ग़ानिस्तान में एक और साल की लड़ाई कोई हल नहीं है. बल्कि वहाँ अनंत काल तक लड़ते रहने का एक बहाना है."

उन्होंने इस बात से भी इनकार किया अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर तालिबान का कब्ज़ा कोई ऐसी बात नहीं है जिसे टाला नहीं जा सकता है. उन्होंने कहा कि तीन लाख अफ़ग़ान सुरक्षा बलों के सामने 75 हज़ार तालिबान लड़ाके कहीं से नहीं टिक सकेंगे.

हालांकि अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की पूरी तरह से वापसी हो जाने के बाद भी माना जा रहा है कि वहाँ 650 से 1000 सैनिक तैनात रहेंगे. अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी दूतावास, काबुल एयरपोर्ट और अन्य प्रमुख सरकारी प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए ये तैनाती रहेगी.

अमेरिका में हाल में हुए सर्वेक्षणों में अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी को लेकर व्यापक समर्थन देखा गया है.

हालांकि सैनिक वापस बुलाने के फ़ैसले को लेकर रिपब्लिकन मतदाताओं के बीच संदेह की भावना अधिक है.

बाइडन ने ये भी कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी सेना के लिए काम करने वाले अनुवादकों, दुभाषियों और दूसरे अफ़ग़ानों को देश से बाहर निकालने की कोशिश की जा रही है.

उन्होंने बताया कि इन लोगों के अमेरिका आने के लिए 2500 स्पेशल माइग्रेट वीज़ा जारी किया गया है लेकिन इनमें से आधे लोग ही अभी तक आ सके हैं.

अफ़ग़ानिस्तान के पश्चिमी प्रांत में संघर्ष के बाद तालिबान को खदेड़ने का दावा

तालिबान का मज़बूत होना पाकिस्तानियों के लिए कैसा रहेगा?

चीन को तालिबान का संदेश

उधर, अफ़ग़ानिस्तान के बदाख़्शान प्रांत पर तालिबान के नियंत्रण स्थापित होने के साथ ही इसके कब्ज़े वाले इलाक़ों की सीमा चीन के शिनजियांग प्रांत की सरहद तक पहुंच गई है.

अमेरिकी अख़बार द वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ अतीत में अल-क़ायदा से जुड़े चीन के वीगर विद्रोही गुटों के साथ तालिबान के ऐतिहासिक संबंध रहे हैं और ये बात चीन की परेशानी का सबब रही है.

लेकिन अब तस्वीर बदल गई है और तालिबान चीन की चिंताओं को शांत करने की कोशिश कर रहा है. उसका मक़सद है उनकी सरकार को चीन की मान्यता मिल जाए.

चीन के सरकारी अख़बार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक़ तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा है कि उनका संगठन चीन को अफ़ग़ानिस्तान के 'दोस्त' के रूप में देखता है और उसे उम्मीद है कि पुनर्निमाण के काम में चीन के निवेश के मुद्दे पर जल्द से जल्द उनकी बातचीत हो सकेगी.

तालिबान के प्रवक्ता ने ये दावा किया है कि देश के 85 फ़ीसदी हिस्से पर उनका नियंत्रण स्थापित हो गया है और चीन के निवेशकों और कामगारों को वे सुरक्षा की गारंटी देंगे.

तालिबान के प्रवक्ता ने कहा, "हम उनका स्वागत करते हैं. अगर वे निवेश लेकर आते हैं तो हम बेशक उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे. उनकी सुरक्षा हमारे लिए बेहद अहम है."

अफ़ग़ानिस्तान की ख़ूबसूरत वादियों में चीन क्यों बना रहा है सड़क?

अफ़ग़ानिस्तान, अमेरिका और तालिबान: दो दशकों के युद्ध की 10 अहम बातें

बीबीसी की प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संवाददाता लिस डुसेट का विश्लेषण

सीनेटर बाइडन और उपराष्ट्रपति बाइडन को इस बात पर यक़ीन था कि अमेरिका को अफ़ग़ानिस्तान से बाहर निकल जाना चाहिए. अब राष्ट्रपति देश के कमांडर-इन-चीफ़ हैं.

उन्होंने ये बात ज़ोर देकर कही कि अफ़ग़ानिस्तान को मिलने वाली मदद रोकी नहीं जाएगी लेकिन साथ ही ये भी लगा कि उन्होंने मान लिया है कि अफ़ग़ान राजनेताओं और सुरक्षा बलों में तालिबान को बढ़ने से रोकने का माद्दा है. उन्होंने पूछा, "क्या वे ऐसा करेंगे?"

काबुल में बढ़ती अव्यवस्था और तालिबान के कब्ज़े वाले इलाकों के लगातार बढ़ते रहने के बीच यही सवाल अफ़ग़ानों से भी पूछा जा रहा है. राष्ट्रपति बाइडन जब महिलाओं और लड़कियों के पक्ष में बोल रहे थे तो ये बात तालिबान के दख़ल वाले ज़िलों में नहीं पहुंच पा रही थी, जहां वे लड़कियां स्कूल नहीं जाती हैं.

बाइडन ऐसे राष्ट्रपति के रूप में जाने जाते हैं जो सभी पहलुओं पर ग़ौर करते हैं. उन्होंने ये बात साफ़ तौर पर कही है कि अफ़ग़ानिस्तान में राष्ट्रीय एकता की सरकार के गठन की संभावना बहुत कम है. अगर काबुल बिखर गया तो अमेरिका ज़्यादा कुछ नहीं कर सकता है या शायद उसे नहीं करना चाहिए. ये अफ़ग़ान लोगों और अफ़ग़ानिस्तान के पड़ोसी मुल्कों पर निर्भर करता है.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

BBC Hindi
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
75 thousand Taliban fighters not to overpower on three lakh Afghan soldiers said Joe Biden
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X