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येरूशलमः भारत ने इसराइल और अमरीका के खिलाफ किया वोट

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अमरीका के यरूशलम को इसराइल की राजधानी का दर्जा देने को रद्द करने की मांग करने वाले प्रस्ताव को पारित कर दिया है।

By BBC News हिन्दी
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न्‍यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अमरीका के यरूशलम को इसराइल की राजधानी का दर्जा देने को रद्द करने की मांग करने वाले प्रस्ताव को पारित कर दिया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि यरूशलम की स्थिति को लेकर लिया गया कोई भी निर्णय अमान्य होगा और उसे रद्द किया जाना चाहिए।

संयुक्त राष्ट्र महासभा
AFP
संयुक्त राष्ट्र महासभा

संयुक्त राष्ट्र के इस गैर बाध्यकारी प्रस्ताव के समर्थन में 128 देशों ने मतदान किया जबकि 35 देश ग़ैर हाज़िर रहे। 9 देशों ने प्रस्ताव के ख़िलाफ़ मतदान किया है। भारत ने भी इस प्रस्ताव के समर्थन में यानी अमरीकी फैसले के ख़िलाफ़ मतदान किया है। अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने प्रस्ताव के समर्थन में मतदान करने वाले देशों के लिए आर्थिक मदद को रोक देने की धमकी दी थी।

यरूशलम
EPA
यरूशलम

मतदान से पहले फ़लस्तीनी विदेश मंत्री ने 'ब्लैकमेल करने और डराने की कोशिशों' को नकारने की अपील की थी। इसराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि वो इस नतीजे को नकारते हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र को 'झूठ का घर' भी कहा है।

क्या है यरूशलम विवाद

1967 के युद्ध में विजय के बाद इसराइल ने पूर्वी यरूशलम पर क़ब्ज़ा कर लिया था। इससे पहले यह जॉर्डन के नियंत्रण में था। अब इसराइल अविभाजित यरूशलम को ही अपनी राजधानी मानता है. वहीं फ़लस्तीनी अपने प्रस्तावित राष्ट्र की राजधानी पूर्वी यरूशलम को मानते हैं।

यरूशलम को लेकर अंतिम फ़ैसला भविष्य की शांति वार्ताओं में लिया जाना है। यरूशलम पर इसराइल के दावे को कभी अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली है। दुनिया के सभी देशों के दूतावास फिलहाल तेल अवीव में ही हैं। हालांकि राष्ट्रपति ट्रंप ने अमरीकी विदेश विभाग से दूतावास को तेल अवीव से यरूशलम लाने के लिए कह दिया है।

निकी हेली
EPA
निकी हेली

अरब और मुस्लिम देशों के आग्रह पर 193 सदस्य देशों वाले संयुक्त राष्ट्र में गुरुवार को आपात विशेष बैठक बुलाई गई। अरब और मुस्लिम देशों ने दशकों से चली आ रही अमरीकी नीति को बदलने के लिए ट्रंप की सख़्त आलोचना भी की है।

क्या है अमरीका की प्रतिक्रिय

मतदान से पहले अपने भाषण में संयुक्त राष्ट्र में अमरीका की दूत निकी हेली ने कहा था कि अमरीका का फ़ैसला यरूशलम को लेकर किसी भी अंतिम फ़ैसले पर पहले से दिया गया निर्णय नहीं है और न ही ये दोनों पक्षों के दो राष्ट्र-समाधान पर सहमत होने की स्थिति में उसे नकारता है।

हेली ने कहा, "अमरीका इस दिन को याद रखेगा, जब अमरीका को एक संप्रभुत्व राष्ट्र के तौर पर फ़ैसला लेने के लिए अकेला करके संयुक्त राष्ट्र महासभा में निशाना बनाया गया।" हेली ने कहा, "अमरीका यरूशलम में अपना दूतावास स्थापित करेगा। अमरीका के लोग चाहते हैं कि हम ऐसा ही करें। और यही करना सही भी है. संयुक्त राष्ट्र में किया गया कोई मतदान हमारे इस निर्णय में बदलाव नहीं ला सकता।"

ट्रंप ने दी थी धमकी

अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र में यरूशलम को इसराइल की राजधानी न मानने वाले देशों को आर्थिक मदद रोकने की धमकी दी थी। बुधवार को व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने कहा था, "वो हमसे अरबों डॉलर की मदद लेते हैं और फिर हमारे ख़िलाफ़ मतदान भी करते हैं।" "उन्हें हमारे ख़िलाफ़ मतदान करने दो. हम बड़ी बचत करेंगे. हमें इससे फ़र्क नहीं पड़ता।"

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English summary
28 countries vote in favor of UN. call for US to withdraw decision to recognize Jerusalem as Israel's capital, 9 countries oppose.
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