अस्पताल ने नहीं लिया 500 का नोट, बेटे के शव के साथ घंटों अस्पताल की गेट पर बैठे रहे बूढ़े माँ-बाप
नोटबंदी का असर: घंटों तक अप ने जवान बेटे के शव के साथ भटकते रहे बूढ़े मां-बाप, किसी ने नहीं की मदद।
इंदौर। 500-1000 के नोट बंद किए जाने के बाद से लोगों को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। अस्पतालों और दवाई की दुकानों पर पुराने 500-1000 के नोट के इस्तेमाल की छूट दी गई है, लेकिन फिर भी अस्पताल प्रशासन उसे लेने में आनाकानी करते है। इस का एक सबूत इंदौर के एमवाईएच अस्पताल में देखने को मिला, जहां एक बूढ़े मां-बाप के 500 के नोट की वजह से घंटों तक अपने जवान बेटे की लाश के साथ बैठे रहना पड़ा। इंदौर-पटना एक्सप्रेस हादसा: रेलवे ने घायलों को बांट दिए 500 के पुराने नोट
500 रुपए का पुराना नोट नहीं चलने की वजह से बूढ़े मां-बाप को अपने जवान बेटे का शव लेकर चार घंटे तक अस्पताल के गेट पर बैठे रहना पड़ा। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 32 साल के अशोक की किडनी फेल होने की वजह से मौत हो गई। अस्पताल ने बेटे का शव ले जाने को कहा। लेकिन शव ले जाने के लिए एम्बुलेंस पुराना 500 का नोट लेने को तैयार नहीं था। अस्पताल में स्वास्थ्य मंत्री का दौरा होने के वजह से गार्ड और नर्सों ने उन्हें बेटे के शव के साथ गेट से बाहर कर दिया। पटना-इंदौर एक्सप्रेस हादसे की शिकार लेकिन रेलवे के रनिंग स्टेटस में 9 मिनट लेट
पिता ने अस्पाताल प्रबंधन ने मदद भी मांगी, लेकिन किसी से उनकी न सुनी। बूढ़ा पिता अपने जवान बेटे की लाश को घर ले जाने के लिए प्राइवेट गाड़ियों का इंतजाम करने के लिए भी भटका, लेकिन 500 का पुराना नोट होने की वजह से कोई तैयार नहीं हो रहा था।
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4 घंटे तक दोनों मां-बाप बेटे के शव को लेकर इधर से उधर भटकते रहे, लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की। बाद में जब उनके रिश्तेदार अस्पताल पहुंचें तब जाकर गाड़ी का इंतजाम हुआ और फिर वो अपने बेटे के शव को घर ले जा सके।
घटना प्रकाश में आने के अस्पातल प्रबंधन ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है। न ही परिजन ने कोई शिकायत की और ना ही किसी रिश्तेदार ने। आपको बता दें कि नोटबंदी के बाद ये कोई पहला मामला नहीं है। अस्पतालों द्वारा पुराने नोट नहीं लिए जाने की वजह से कई मासूमों की जानें जा चुकी है।