राष्ट्रपति शासन पर यशवंत सिन्हा का बड़ा बयान, शिवसेना-NCP-कांग्रेस को दी ये सलाह
पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के फैसले को लेकर राज्यपाल पर बड़ा बयान दिया है...
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर चली लंबी खींचतान के बाद आखिरकार राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मंगलवार को राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी। राज्यपाल की सिफारिश पर केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी और राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद महाराष्ट्र में अब राष्ट्रपति शासन लागू हो चुका है। राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के बाद शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर राज्यपाल के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें उन्हें सरकार गठन के लिए दिया गया समय नहीं बढ़ाया गया। वहीं, अब पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने भी महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के फैसले को लेकर राज्यपाल पर सवाल उठाए हैं।
'मतभेद भुलाकर सरकार बनाएं तीनों दल'
यशवंत सिन्हा ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के फैसले पर ट्वीट करते हुए कहा, 'महाराष्ट्र के राज्यपाल ने राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर, वास्तव में केंद्र के 'एजेंट' के रूप में काम किया है। तीन दलों के अध्यक्षों को अब सख्ती से सामने आना चाहिए और अपने मतभेदों को सुलझाते हुए सरकार बनानी चाहिए।' आपको बता दें कि वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा इससे पहले भी कई मौकों पर केंद्र की मोदी सरकार पर तीखा हमला बोल चुके हैं।
राज्यपाल ने क्यों लगाया राष्ट्रपति शासन
गौरतलब है कि मंगलवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की। इसके बाद केंद्रीय कैबिनेट ने भी राष्ट्रपति शासन की सिफारिश को मंजूरी दे दी। राजभवन की तरफ से बयान जारी करते हुए कहा गया कि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी इस बात से संतुष्ट हैं कि संविधान के अनुसार अब महाराष्ट्र में सरकार का गठन नहीं किया जा सकता है। इसलिए, राज्यपाल ने संविधान के अनुच्छेद 356 (राष्ट्रपति शासन) के प्रावधानों के तहत एक रिपोर्ट भेज दी है। शाम में राज्यपाल की सिफारिश पर राष्ट्रपति ने भी मुहर लगा दी और प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया।
फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची शिवसेना
राष्ट्रपति शासन की सिफारिश के बाद शिवसेना ने मंगलवार को ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए महाराष्ट्र के राज्यपाल के फैसले को चुनौती दे दी। शिवसेना ने अपनी याचिका में कहा कि राज्यपाल ने उन्हें सरकार बनाने के लिए अपनी क्षमता साबित करने को दिया गया समय नहीं बढ़ाया। शिवसेना की तरफ से एडवोकेट सुनील फर्नांडीज ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया कि सरकार बनाने के लिए भाजपा को 48 घंटे और शिवसेना को केवल 24 घंटे ही दिए गए। वहीं, शिवसेना की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने भी सवाल उठाते हुए ट्वीट कर कहा, 'माननीय राज्यपाल सरकार बनाने के लिए एनसीपी को दिए गए समय के बीतने तक राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कैसे कर सकते हैं?'
अहमद पटेल से मिले उद्धव ठाकरे
राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के बाद मंगलवार देर रात शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और कांग्रेस नेता अहमद पटेल के बीच बातचीत हुई। सूत्रों की मानें तो दोनों नेताओं के बीच महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर मौजूदा हालात पर चर्चा हुई। वहीं बुधवार को एनसीपी नेता अजीत पवार ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि एनसीपी ने राज्यपाल को एक पत्र देकर तीन दिनों की मोहलत मांगी थी, क्योंकि कांग्रेस के नेता यहां नहीं थे और सुबह स्थिति अलग थी। हम पूरी प्रक्रिया के लिए अधिक समय चाहते थे।
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