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क्या कर्नाटक को अपना अलग झंडा रखने देगी सरकार?

जम्मू कश्मीर के बाद कर्नाटक देश का ऐसा पहला प्रदेश बन गया है जिसने केंद्र सरकार से अपना अलग झंडा अपनाने के लिए अनुमति मांगी है.

कर्नाटक में जल्द विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और चुनाव आयोग अगले एक-डेढ़ महीने में चुनावों के कार्यक्रम का ऐलान कर सकता है.

ऐसे में चुनावों से ठीक पहले इस मुद्दे को उठाए जाने को चुनावों के मद्देनज़र देखा जा रहा है. 

By BBC News हिन्दी
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सिद्धारमैया
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सिद्धारमैया

जम्मू कश्मीर के बाद कर्नाटक देश का ऐसा पहला प्रदेश बन गया है जिसने केंद्र सरकार से अपना अलग झंडा अपनाने के लिए अनुमति मांगी है.

कर्नाटक में जल्द विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और चुनाव आयोग अगले एक-डेढ़ महीने में चुनावों के कार्यक्रम का ऐलान कर सकता है.

ऐसे में चुनावों से ठीक पहले इस मुद्दे को उठाए जाने को चुनावों के मद्देनज़र देखा जा रहा है. माना जाता है कि कर्नाटक क अलग झंडा यहां पर कन्नड़ सम्मान से जुड़ा मुद्दा है.

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कर्नाटक का नया झंडा

कर्नाटक के तीन रंगों वाले झंडे में पीली, सफेद और लाल क्षैतिज पट्टियां हैं जो सिंदूर और हल्दी को दर्शाती हैं. कन्नड़ संगठन पिछले छह दशकों से ऐसे ही प्रतीकों वाले झंडे इस्तेमाल करते रहे हैं.

प्रदेश के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मीडिया से बातचीत में कहा, "हमने झंडे के मध्य में एक सफेद पट्टी जोड़ी है जो शांति को दर्शाती है और इसके बीचोंबीच में प्रांतीय प्रतीक गंडाबेरूंडा (एक पौराणिक चिड़िया) है."

प्रतीक चिह्न गंडाबेरूंडा एक पौराणिक चिड़िया है जिसके दो मुंह हैं. ये चिन्ह मैसूर सम्राज्य के वडियार शाही परिवार से लिया गया है.

भारत में विशेष राज्य का दर्जा रखने वाले जम्मू और कश्मीर के अलावा किसी भी प्रदेश का अपना अलग झंडा नहीं है.

कर्नाटक सरकार की कैबिनेट ने कन्नड़ संस्थाओं, कार्यकर्ताओं और लेखकों से सुझाव लेने के बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को इस विषय में फ़ैसला लेने के लिए अधिकृत किया है.

सिद्धारमैया ने इसकी घोषणा मीडिया के सामने करने से पहले सभी औपचारिकताएं पूरी की हैं और कहा है कि "इस सुझाव को केंद्र सरकार के पास भेजने में रुकावटें नहीं आई हैं."

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भारत का फ्लैग कोड

राज्य सरकार केंद्र सरकार से फ्लैग कोड 1952 के तहत प्रदेश का अपना अलग झंडा अपनाने की अनुमति मांग रही है.

केंद्र सरकार से अनुमति मांगने का उद्देश्य झंडा फहराने को लेकर नियम निर्धारित करना है. हालांकि राज्यों के अपने अलग झंडों को लेकर क़ानून के जानकारों के मत अलग-अलग हैं.

पूर्व एडवोकेट जनरल रवि वर्मा कुमार ने बताया, "ना ही फ्लैग कोड और ना ही झंडों को लेकर लागू दो अन्य क़ानून किसी प्रांत को अपना अलग झंडा अपनाने से रोकते हैं. वास्तव में फ्लैग कोड अन्य झंडों को फ़हराने की अनुमति देता है लेकिन कुछ शर्तों और पाबंदियों के साथ."

कुमार कहते हैं "इन पाबंदियों में शामिल है कि कोई झंडा भारत के राष्ट्रीय झंडे के आगे नहीं फहराया जा सकता है और न ही वो भारत के राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान या महत्व को कम कर सकता है और उसे सिर्फ़ भारतीय झंडे से नीचे ही फहराया जा सकता है."

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सिद्धारमैया
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सिद्धारमैया

क्या इसे अदालत में चुनौती मिल सकती है?

वहीं एक और पूर्व एडवोकेट जनरल और लॉ कमीशन के पूर्व सदस्य बीव्ही आचार्य मानते हैं कि संविधान प्रांतों को अपना अलग झंडा अपनाने की अनुमति नहीं देता है.

तो क्या कर्नाटक सरकार का केंद्र सरकार को भेजे गए प्रस्ताव को अदालत में चुनौती मिल सकती है?

आचार्य कहते हैं, "हमें इसे अदालत में चुनौती देनी चाहिए क्योंकि संघीय ढांचे में किसी राज्य को अपना अलग झंडा अपनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. एक अलग झंडा विभाजन दिखाता है और किसी राज्य के अलग झंडे से राष्ट्रीय एकता को नुक़सान ज़रूर पहुंचेगा."

दूसरी ओर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का कहना है कि संविधान में कहीं अलग से नहीं लिखा है कि राज्यों का अपना झंडा नहीं हो सकता है. सिद्धारमैया कहते हैं, "कोई भी किसी राज्य को अपना झंडा अपनाने के लिए विरोध नहीं कर सकता."

उन्होंने कहा, "मेरा मानना है कि राज्य के बीजेपी नेताओं को भी झंडे की अनुमति देने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाना चाहिए."

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हालांकि बीजेपी नेता इस मुद्दे को लेकर फिलहाल उलझन में हैं. शुरुआत में भाजपा ने इस मुद्दे का विरोध किया था लेकिन अब वो इस पर शांत हैं.

चुनावों के मद्देनज़र शायद बीजेपी अपने अगले क़दम के बारे में विचार कर रही है. कर्नाटक में फिलहाल कांग्रेस सरकार है और बीजेपी यहां पांव पसारने के लिए पूरी कोशिश कर कर रही है.

BBC Hindi
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English summary
Will the government give Karnataka a separate flag
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