Zomato, Swiggy से खाना ऑर्डर करना होगा महंगा ? जानिए कितना लगेगा टैक्स
नई दिल्ली, सितंबर 18: जोमैटो और स्वीगी जैसे ऑनलाइन ऐप-आधारित फूड डिलीवरी प्लेटफार्मों को अब पांच प्रतिशत माल और सेवा कर (जीएसटी) देना होगा। जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक में शुक्रवार को यह फैसला लिया गया। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स इस फैसले से परेशान नजर आ रहे हैं। यह सोचकर कि उन्हें नए जीएसटी नियम के तहत डिलीवरी के लिए अधिक भुगतान करना होगा। हालांकि सरकार का कहना है कि इसका असर ग्राहकों पर नहीं पड़ेगा क्योंकि यह कोई नया टैक्स नहीं है। पहले इसे रेस्तरां भरते थे और अब ग्राहक सीधे भर दिया करेगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि रेस्टोरेंट के स्थान पर अब फूड डिलीवरी ऐप जीएसटी वसूल करेंगे। मतलब जिस रेस्टोरेंट से खाना ऑर्डर किया जाएगा अब वहां रेस्टोरेंट के स्थान पर फूड डिलीवरी ऐप जोमैटो, और स्वीगी 5 फीसदी जीएसटी देगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि Zomato और Swiggy जैसे फूड डिलीवरी ऐप TCS या स्रोत पर कर संग्रहकर्ता के रूप में पंजीकृत हैं।
इसलिए, काउंसिल के फैसले से फूड डिलीवरी ऐप पर असर पड़ने की संभावना है, न कि उन ग्राहकों पर जो पहले से ही रेस्तरां में फूड डिलीवरी के लिए इस टैक्स का भुगतान कर रहे थे। 1 जनवरी से फूड डिलीवरी ऐप और क्लाउड किचन को 5 फीसदी लेवी जमा करने के लिए कहा गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि मौजूदा ढांचे के तहत होने वाले राजस्व हानि को रोकने के लिए नियम बदले गए हैं क्योंकि कई रेस्तरां खाद्य वितरण पर जीएसटी भुगतान से बच रहे हैं।
सीतारमण ने कहा कि बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई और यह निर्णय लिया गया कि "वितरण की जगह" पर टैक्स गाया जाएगा, न कि इसके उत्पादन के स्थान पर। वह स्थान जहां भोजन पहुंचाया जाता है, वह बिंदु होगा जहां स्विगी और ज़ोमैटो जैसी सेवाओं द्वारा टैक्स एकत्र किया जाएगा। तकनीकी रूप से इसका मतलब यह हुआ कि जो उपभोक्ता रेस्तरां में भोजन की डिलीवरी पर 5 प्रतिशत टैक्स का भुगतान कर रहे थे, वे अब इसका भुगतान जोमैटो और स्विगी को करेंगे।
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राजस्व सचिव तरुण बजाज ने स्पष्ट किया कि इस कदम से अंतिम ग्राहकों पर कोई असर नहीं पड़ेगा और उन्हें अधिक भुगतान नहीं करना पड़ेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने काउंसिल के बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ किया कि पेट्रोल-जीजल को जीएसटी के अंदर लाने के लिए इस परिषद में बातचीत हुई। इसपर चर्चा का कारण बस केरल हाईकोर्ट के एक आदेश के पूर्ति के लिए किया गया इसलिए इसे एजेंडा में शामिल किया गया, लेकिन जीएसटी काउंसिल ने अभी इसे जीएसी के दायरे में शामिल नहीं करने का फैसला किया है।