क्या लालू परिवार से बदला लेने के लिए ऐश्वर्या राय लड़ेंगी विधानसभा का चुनाव?
पटना।
क्या
क्या
लालू
परिवार
को
हराने
के
लिए
बहू
ऐश्वर्या
राय
विधानसभा
चुनाव
लड़ेंगी
?
तेजप्रताप
यादव
का
पत्नी
से
ऐश्वर्या
से
तलाक
का
विवाद
एक
निजी
मामला
है,
लेकिन
इससे
पैदा
हुई
कड़वहाट
अब
राजनीतिक
रंग
दिखाने
लगी
है।
ऐश्वर्या
के
पिता
और
लालू
के
समधी
चंद्रिका
राय
ने
विद्रोह
का
बिगुल
फूंक
दिया
है।
अगर
ऐश्वर्या
ने
भी
लालू
परिवार
के
खिलाफ
चुनावी
शंखनाद
कर
दिया
तो
राजद
की
बड़ी
कीमत
चुकानी
पड़
सकती
है।
पहले
से
मुश्किलों
में
घिरे
तेजस्वी
तब
और
बेबस
हो
जाएंगे।
चंद्रिका
राय
ने
ऐश्वर्या
के
चुनाव
लड़ने
पर
फिलहाल
पत्ते
नहीं
खोले
हैं
लेकिन
ये
संकेत
जरूर
दिया
है
कि
बिहार
की
राजनीति
में
कुछ
बड़ा
होने
वाला
है।
उनके
मन
में
लालू
परिवार
के
लिए
इतना
गुस्सा
है
कि
वे
राजद
को
हराने
की
कोई
रणनीति
बना
सकते
हैं।
उन्होंने
सार्वजनिक
रूप
से
कहा
है
कि
लालू
परिवार
से
मिली
पीड़ा
वे
कभी
नहीं
भूल
सकते।
अब
चंद्रिका
राय
ने
लालू
परिवार
को
चुनावी
रण
में
हराने
के
लिए
कमर
कस
ली
है।
ऐश्वर्या-तेजप्रताप
का
मामला
अभी
अदालत
में
विचाराधीन
है।
इसलिए
चंद्रिका
राय
ने
कुछ
स्पष्ट
नहीं
कहा
है।
जब
मुनासिब
वक्त
आएगा
तब
ये
पत्ता
चला
जाएगा।
चंद्रिका राय भी हैं प्रभावशाली नेता
चंद्रिका राय ने मौखिक रूप से राजद छोड़ दी है। हालांकि वे तकनीकी रूप से अभी भी राजद के विधायक हैं। 26 फरवरी से बिहार विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो रहा है। उस समय बड़े राजनीतिक उलटफेर की संभावना जतायी जा रही है। चर्चा है कि चंद्रिका राय के साथ कई विधायक राजद को अलविदा कह देंगे। बेटी के भविष्य को अधर में देख चंद्रिका राय लालू परिवार पर आगबबूला हैं। अब वे राजद को हराने और नीतीश कुमार को जिताने की बात करने लगे हैं। चंद्रिका राय बिहार के 10वें मुख्यमंत्री दारोगा प्रसाद राये के पुत्र हैं। बी पी मंडल के बाद दारोगा प्रसाद राय बिहार के दूसरे यादव मुख्यमंत्री थे। उनका यादव समेत अन्य पिछड़ी जातियों में गहरा जनाधार था। दारोगा राय की विरासत संभाल रहे चंद्रिका राय भी सारण इलाके के लोकप्रिय नेता हैं। उन्होंने जेएनयू से पढ़ाई की है। अगर चंद्रिका राय ने विरोध किया तो राजद को सारण, गोपालगंज और सीवान जिले में नुकसान उठाना पड़ सकता है।
लालू से अलग राजनीति
दारोगा प्रसाद राय सारण (छपरा) के परसा विधानसभा क्षेत्र से सात बार विधायक चुने गये। कांग्रेस के बड़े नेता में शुमार थे। 1970 में बिहार के मुख्यमंत्री बने थे। लालू भले आज बिहार में यादव समाज के सबसे बड़े नेता हैं लेकिन उनसे पहले ये रुतबा दारोगा प्रसाद राय को हासिल था। 1970 में जब लालू छात्र राजनीति में सक्रिय थे तब सहयोग और सलाह के लिए अक्सर दारोगा राय के पास जाया करते थे। कहा जाता है कि दारोगा राय ने उस समय लालू की हर तरह से मदद की थी। हालांकि लालू यादव ने कभी इस बात को सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं किया। दारोगा राय कांग्रेस के नेता थे लेकिन लालू कांग्रेस विरोधी राजनीति का हिस्सा बने। जेपी आंदोलन ने लालू को बड़ा नेता बना दिया। उस समय दारोगा राय के पुत्र चंद्रिका राय भी कांग्रेस की ही राजनीति कर रहे थे। 1985 के विधानसभा चुनाव में चंद्रिका राय कांग्रेस के टिकट पर परसा से विधायक चुने गये तो लालू यादव सोनपुर से लोकदल के टिकट पर विधायक बने थे। कांग्रेस की सरकार थी इसलिए उस समय चंद्रिका राय की राजनीति हैसियत लालू से अधिक थी।
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निर्दलीय चंद्रिका की जरूरत थी लालू को
1990 में जब लालू बिहार के मुख्यमंत्री बने थे उस समय भी चंद्रिका राय की राह लालू से जुदा थी। 1990 के विधानसभा चुनाव में चंद्रिका राय परसा से निर्दलीय विधायक चुने गये थे। लालू जनता दल के नेता थे। वे मुख्यमंत्री तो बन गये थे लेकिन अल्पमत की सरकार चला रहे थे। उन्हें निर्दलीय और अन्य विधायकों के समर्थन की जरूरत थी। इसी समय लालू चंद्रिका राय की तरफ झुके। 1995 के विधानसभा चुनाव में चंद्रिका राय लालू के साथ हो लिये। लेकिन तब तक लालू बड़े नेता बन चुके थे। चंद्रिका राय को उनके मातहत काम करना पड़ा। चंद्रिका राय को लालू ने मंत्री भी बनवाया। 2015 में जब लालू-नीतीश के मेल से सरकार बनी तो चंद्रिका राय एक बार फिर मंत्री बने। चंद्रिका राय और लालू का परिवार नजदीक आता गया। 2018 में यह नजदीकी पारिवारिक रिस्ते में बदल गयी। लालू के बड़े पुत्र तेजप्रताप की शादी चंद्रिका राय की पुत्री ऐश्वर्या से हुई। लेकिन पांच महीने बाद ही तेजप्रताप ने तलाक की अर्जी दाखिल कर पूरे परिवार में भूचाल ला दिया। परिवार का यह विवाद बद से बदतर होता चला गया। नतीजा ये हुआ कि चंद्रिका राय और लालू परिवार के बीच अदावत शुरू हो गयी। अब ये अदवात चुनावी जंग में तब्दील होने वाली है।