भारत में हुआ अगर पेशावर जैसा आतंकी हमला तो नहीं बच सकेंगे स्टूडेंट्स!
नई दिल्ली। बुधवार को पाकिस्तान के पेशावर के चारसदा स्थित बाचा खान यूनिवर्सिटी पर हुए आतंकी हमले ने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया। वर्ष 2014 में पेशावर स्थित आर्मी स्कूल पर हुए आतंकी हमले के एक वर्ष पूरा होने के साथ ही पाक को तहरीक-ए-तालिबान के आतंकियों ने एक बड़े आतंकी हमले से दहलाने में सफलता हासिल कर ली।
पाकिस्तान में पनप रहा आतंक भारत के लिए भी किसी काल से कम नहीं है। ऐसे में इस बात की क्या गारंटी कि भारत के स्कूल और बाकी शैक्षिणक संस्थान ऐसे हमलों से बच सकेंगे।
क्या आप जानते हैं कि अगर भारत के किसी स्कूल या फिर कॉलेज को आतंकियों ने अपना निशाना बनाया तो वहां के हालात भी बद से बदतर हो सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में कोई भी स्कूल या फिर कॉलेज इस तरह के हमलों से निबटने के लिए जरा भी तैयार नहीं है।
जब 2014 में पेशावर के स्कूल पवर आतंकी हमला हुआ था तो उस समय भारत ने भी कुछ एतिहायती कदम उठाए थे। इन कदमों में स्कूलों को जारी किए गए सुरक्षा निर्देश सबसे अहम थे।
लेकिन भारत के किसी भी स्कूल ने इन सुरक्षा निर्देशों को फॉलो नहीं किया है। आपको बता दें कि पाकिस्तान के कई स्कूलों को इस बात के लिए आगाह किया गया था कि आतंकी उन्हें निशाना बना सकते हैं। पाकिस्तान में स्कूल और कॉलेज हमेशा से ही आतंकियों की हिटलिस्ट में नंबर वन रहे हैं।
क्या थीं गाइडलाइंस
वर्ष 2014 में पेशावर में हुए आतंकी हमले के बाद भारत में स्कूलों को जारी गाइडलाइंस इस तरह से थीं।
- सभी स्कूलों में मजबूत कंक्रीट की बाउंड्री वॉल तैयार की जाए।
- स्कूलों में कम से कम तीन गेट होने चाहिए और हर गेट पर सुरक्षाकर्मी हो।
- तीनों गेट आपस में टेलीफोन पर एक-दूसरे के संपर्क में रहेंगे।
- साथ ही आपस में वायरलेस के जरिए भी आपस में कम्यूनिकेशन रखना होगा।
- हर स्कूल में सीसीटीवी अनिवार्य तौर पर इंस्टॉल किया जाए।
- सीसीटीवी स्कूलों के अंदर और स्कूलों के बाहर भी इंस्टॉल हों।
- किसी भी तरह की खतरनाक स्थिति से निबटने के लिए मॉक ड्रिल।
- मॉक ड्रिल्स में गार्ड्स को अपहरण और दूसरी स्थितियों से निबटने के लिए तैयार किया जाए।
- स्कूलों में अलार्म हों जो पुलिस के कंट्रोल रूम के साथ कनेक्टेड हों।
- किसी भी संकट की परिस्थिति में हर बच्चा स्कूल से बाहर आ गया है इस बात को सुनिश्चित किया जाए।
- टीचर्स को भी ऐसी स्थितियों से निबटने की ट्रेनिंग दी जाए।
- फायरिंग जैसी घटनाओं से बचने के लिए बच्चों को बताया जाए कि वे तुरंत जमीन पर लेट जाएं।
- हर स्कूल में सुरक्षित बचकर निकलने के लिए एक रास्ता जरूर होना चाहिए।