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माधवराव सिंधिया को अपनी मां से क्यों बनानी पड़ी सियासी दूरी, यशोधरा राजे ने बताया

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नई दिल्ली- देश की राजनीति में एक वक्त ऐसा भी आया था जब एक सियासी परिवार न सिर्फ वैचारिक तौर पर बंट गया, बल्कि सियासी वजहों में उसमें भावनात्मक दूरी भी आ गई। ये दूरी ऐसी बन गई थी कि कई दशक गुजर गए, लेकिन न तो वैचारिक मतभेद पूरी तरह से मिट पाया और न ही परिवार में पहले वाली वो मिठास ही लौट पाई। ये कहानी है ग्वालियर राजघराने के सिंधिया परिवार की, जिसने देश को पांच बड़े राजनेता दिए हैं, लेकिन चार दशकों बाद अब जाकर ये परिवार एक बार फिर से एक राजनीतिक विचारधारा से वापस जुड़ पाया है। भारतीय राजनीति में हमेशा से ये सवाल बना हुआ था कि आखिर ऐसी क्या बात हो गई थी कि पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया न सिर्फ अपनी राजनीतिक विचारधारा बदलने को मजबूर हो गए थे, बल्कि उसके चलते उन्होंने अपनी मां और अपनी बहनों से भावनात्मक दूरी भी बना ली थी। अब जाकर उनकी बहन यशोधरा राजे ने सार्वजनिक तौर पर बताया है कि आखिर इमरजेंसी के दौरान ऐसा हुआ क्या था, जब माधवराव सिंधिया को राजमाता विजयाराजे का साथ छोड़ने को मजबूर होना पड़ा था।

अपनी मां की राजनीति से क्यों दूर हो गए थे माधवराव ?

अपनी मां की राजनीति से क्यों दूर हो गए थे माधवराव ?

ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी और माधवराव सिंधिया की मां विजयाराजे सिंधिया जनसंघ की बड़ी नेता थीं। वो भारतीय जनता पार्टी की संस्थापक सदस्यों में रहीं। भाजपा के उत्थान की शुरुआत का एक दौर ऐसा भी था जब अटल-आडवाणी और राजमाता सिंधिया भगवा पार्टी की त्रिमूर्ति माने जाते थे। विजयाराजे की बेटी वसुंधरा राजे भाजपा नेता के तौर पर कई बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। उनकी छोटी बेटी यशोधरा राजे भी मध्य प्रदेश में मंत्री रही हैं। फिर भी सवाल उठता रहा है कि ऐसा क्या कारण था कि ज्योतिरादित्य के पिता माधवराव सिंधिया मां की पार्टी छोड़कर कांग्रेस में चले गए थे। इसके बारे में माधवराव की बहन और ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआ यशोधरा राजे ने बताया है कि इमरजेंसी की वजह से परिवार पर बहुत प्रेशर था।

प्रेशर में ज्वाइन किया था कांग्रेस-यशोधरा

प्रेशर में ज्वाइन किया था कांग्रेस-यशोधरा

ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआ यशोधरा राजे ने कई इंटरव्यू में खुलकर बताया है कि आखिर क्या वजह थी कि उनके भाई माधवराव सिंधिया की अपनी मां विजयाराजे के साथ वैचारिक मतभेद पैदा हो गए और उन्होंने जनसंघ को छोड़कर कांग्रेस का साथ पकड़ लिया। यशोधरा ने कहा है, "मेरे भाई की राजनीतिक शुरुआत मेरी मां की गोद से हुई और वो थी जनसंघ, भारतीय जनता पार्टी। आपातकाल के बाद जिस तरह से इस फैमिली को प्रताड़ित किया गया था, उस प्रेशर में उन्होंने कांग्रेस को ज्वाइन किया और बीच में मोहभंग भी हुआ, जिसमें वो उगता हुआ सूरज से लड़े, जिसमें मेरी मां ने भी उनकी मदद की थी।"

आत्म सम्मान बचाने के लिए कांग्रेस से निकले भी थे- यशोधरा

आत्म सम्मान बचाने के लिए कांग्रेस से निकले भी थे- यशोधरा

एक और इंटरव्यू में यशोधरा ने इसपर और विस्तार से प्रकाश डाला है। उन्होंने ये भी बताने की कोशिश की है कि माधवराव कांग्रेस में पूरी तरह खुश नहीं थे इसीलिए आत्म सम्मान की रक्षा के लिए उससे बाहर भी निकल आए थे, जैसे कि ज्योतिरादित्य निकले हैं। उन्होंने कहा, "दादा (माधवराव सिंधिया) कांग्रेस में चले गए, वो भी इस परिवार के लिए एक बहुत दुखद घटना थी। पर वो गए, क्योंकि उनकी फैमिली के ऊपर इतना प्रेशर था इमरजेंसी की वजह से, आपातकाल की वजह से। उस प्रेशर के अंडर वो कांग्रेस में चले गए। बीच में इसी प्रताड़ना के लिए, अपने आत्म सम्मान की रक्षा करने के लिए वो फिर कांग्रेस से निकल गए और उगते हुए सिंबल के अंडर उन्होंने अपना चुनाव लड़ा। बाद में कांग्रेस ने देखा कि अब इनके बिना तो काम नहीं चल सकता तो वापस उनको किसी तरह से खींचकर ले गए। ज्योतिरादित्यजी की भी वही बात है.....आत्म सम्मान की रक्षा।"

पहली बार जनसंघ से ही जीते थे माधवराव सिंधिया

पहली बार जनसंघ से ही जीते थे माधवराव सिंधिया

बता दें कि जिवाजीराव सिंधिया और विजयराजे सिंधिया की पांच संतानों में से सिर्फ माधवराव और उनके बेटे ज्योतिरादित्य ने ही अपने सियासी करियर का ज्यादातर वक्त कांग्रेस में गुजारा है। विजयाराजे ने भी 1957 में कांग्रेस से ही अपनी राजनीति शुरू की थी, लेकिन उससे उनका ऐसा मोहभंग हुआ कि 1967 में जो जनसंघ से जुड़ीं तो उसी की होकर रह गईं। उन्होंने भाजपा को बुलंदियों पर पहुंचाने में अमिट योगदान दिया था। वह राजमाता का ही प्रभाव था कि 1971 में इंदिरा लहर में भी ग्वालियर-चंबल इलाके की तीनों लोकसभा सीट जनसंघ जीत गया। खुद विजयराजे भिंड से, अटल बिहारी वाजपेयी ग्वालियर से और विजयाराजे के इकलौते बेटे माधवराव ने गुना से जीतकर सिर्फ 26 साल कई उम्र में संसद में एंट्री मारी थी।

पिता की राह पर ही ज्योतिरादित्य

पिता की राह पर ही ज्योतिरादित्य

जैसा कि यशोधरा राजे ने बताया कि माधव राव सिंधिया ज्यादा दिन तक मां की विचारधारा वाली राजनीति से नहीं जुड़े रह पाए। 1977 के बाद ऐसी परिस्थियां बनीं कि राजनीति और परिवार के मामले में भी वो अपनी मां से दूर होते चले गए। 1980 के चुनाव में माधवराव को कांग्रेस ने टिकट दिया और फिर जनसंघ या भाजपा में वापस नहीं गए। 1993 में जब मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह की सरकार थी, तब माधवराव सिंधिया ने पार्टी में कुछ उसी तरह की उपेक्षा महसूस की थी जैसा कि पिछले साल भर से ज्योतिरादित्य सिंधिया करने का दावा करते हैं। इसीलिए तब उन्होंने कांग्रेस को छोड़कर मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस नाम की एक अलग पार्टी बनाई थी। हालांकि, बाद में वो कांग्रेस में वापस चले गए थे।

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English summary
Yashodhara Raje has told that Madhavrao Scindia left her mother after the emergency because of the pressure on the family
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