बेल्जियम के रिक्रूटर्स को 10,000 डॉलर और भारतीयों को फूट कौड़ी भी नहीं
नई दिल्ली। भारत में आईएसआईएस के लिए युवाओं में एक अलग ही क्रेज देखा गया। कुछ लोग भारत से निकलकर इराक और सीरिया तक पहुंचे तो कुछ वापस लौट आए। आईएसआईएस की विचाराधार से अलग इसकी ओर से मिलने वाली सैलरी युवाओं को खासी आकर्षित करती थी।
वहीं यह बात भी सामने आ रही है कि जहां आईएसआईएस बेल्जियम के रिक्रूटर्स को 10,000 डॉलर तक दे रहा है तो भारतीय रिक्रूटर्स को फूटी कौड़ी तक नहीं मिल रही है।
मजबूरी का फायदा उठाता आईएसआईएस
वहीं भारत से जो युवा आईएसआईएस में शामिल होने के लिए गए थे, उन्होंने खुद इस बात को कुबूल किया था कि उन्हें सैलरी के नाम पर कुछ भी नहीं मिला।
एक रिपोर्ट की मानें तो विदेशी लड़ाके संगठन की विचारधारा से ज्यादा इसकी सैलरी से आकर्षित होकर इसमें शामिल हो रहे हैं। आईएसआईएस दुनिया का सबसे अमीर आतंकी संगठन है और उसे लोगों की जरूरत है।
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यूनाइटेड नेशंस से जुड़े विशेषज्ञ इस बात का दावा कर चुके हैं कि जहां आईएसआईएस विदेशी लड़कों को अच्छी-खासी रकम दे रहे हैं तो वहीं भारतीयों एक फूटी कौड़ी भी नहीं मिल रही है।
यूएन विशेषज्ञों के मुताबिक भारतीय अपनी इच्छा से संगठन के लिए निकले थे। भारत में अंसार-उल-तवाहिद के बैनर तले आईएसआईएस के लिए भारतीयों की भर्ती करने वाला शफी अरमार भी इस काम को फ्री में कर रहा है।
क्यों नहीं मिल रहा कुछ भी पैसा
आईएसआईएस में शामिल होने गए भारतीयों को लड़ाई से दूर रखा गया है। इन लोगों को सिर्फ नाम के लिए संगठन में जगह मिली है।
इराक और सीरिया से भी इन्हें दूर रखा गया है। इंटलीजेंस ब्यूरो के अधिकारियों की मानें तो इस बात में कोई शक नहीं है कि आईएसआईएस को भारतीयों की जरूरत है।
भारतीयों के साथ भेदभाव
वह ब्रिटिश या फिर बेल्जियन से संगठन में शामिल होने वाले लड़ाकों की तुलना में भारतीयों के साथ भेदभाव करते हैं। यूके या फिर ब्रिटेन जैसे देशों की तरह आईएसआईएस ने भारत में कोई भी रिक्रूटमेंट ड्राइव भी नहीं शुरू की है।
भारतीय अपनी मर्जी से संगठन में शामिल होने के लिए जा रहे हैं और उन्हें कैंपों में कुछ बेकार के ही काम करने को दिए जाते हैं। आईएसआईएस को भारत में वोल्फ अटैक्स के लिए भारतीय लड़ाकों की जरूरत है। साथ ही उन्हें भारत में बस अपना एक प्रपोगेंडा फैलाना है।