पंजाब में हुए RPG हमले को 'गेम चेंजर' क्यों बताया जा रहा है?
पंजाब पुलिस के कुछ अधिकारियों का मानना है कि पंजाब में खुफ़िया मुख्यालय पर हमला विशेष चिंता का विषय है क्योंकि यह पहला रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड हमला है.
पंजाब पुलिस के कुछ अधिकारियों का मानना है कि पंजाब में खुफ़िया मुख्यालय पर हमला विशेष चिंता का विषय है क्योंकि यह पहला रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड हमाल है और हमलावरों के लिए यह गेम चेंजर हो सकता है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आरपीजी या रॉकेट से चलने वाले ग्रेनेड का संदिग्ध इस्तेमाल 'असामान्य' था.
उन्होंने कहा, "अतीत में ग्रेनेड हमले हुए हैं लेकिन आरपीजी का उपयोग सभी के लिए चिंता का विषय है."
पंजाब पुलिस के मोहाली मुख्यालय पर हमला सोमवार शाम 7.45 बजे हुआ. किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है, और अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है
नाम न छापने की शर्त पर, एक वरिष्ठ अधिकारी (जो पंजाब में प्रमुख पदों पर रहे हैं) ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में राज्य में आरपीजी बरामद हुए हैं लेकिन उनका कभी उपयोग नहीं किया गया है.
चरमपंथ के दिनों में...
उन्होंने कहा, "आरपीजी एक बहुत शक्तिशाली हथियार है क्योंकि यह 700 मीटर तक ग्रेनेड फायर कर सकता है. ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे आप उस घेरे के भीतर सुरक्षा स्थापित कर सकें."
एक पूर्व पुलिस अधिकारी का कहना है कि यदि आप संभावनाओं को देखें तो हमला विशेष रूप से चिंताजनक है.
"आप न केवल दूर से, बल्कि चलते हुए लक्ष्य पर भी फायर कर सकते हैं."
मिलिटेंसी के वर्षों के दौरान प्रमुख पदों पर रहे एक अधिकारी ने कहा कि आतंकवादियों ने तब रॉकेट लॉन्चरों का इस्तेमाल किया था.
अधिकारी ने कहा, "मुझे याद है कि एक बार फगवाड़ा में और एक बार अमृतसर जिले में एक पुलिस चौकी पर रॉकेट लॉन्चर से हमला किया गया था."
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पुलिस के मनोबल का सवाल
अधिकारी ने कहा, "हमला गंभीर था और कई संदेश भेजता है. एक तो यह कि मिलिटेंट आज भी मौजूद हैं. दूसरा, उनके पास कहीं भी हमला करने के साधन हैं. तीसरा, यह सार्वजनिक सुरक्षा को बढ़ा सकता है और चौथा यह पुलिस के मनोबल को गिरा सकता है."
कया गैंगस्टर विरोधी पुलिस अधिकारियों को बनाया गया निशाना?
मोहाली के सेक्टर 77 में स्थित खुफ़िया विभाग का मुख्यालय सोहाना गांव की ओर जाने वाली व्यस्त सड़क से लगभग 200 मीटर की दूरी पर है.
यहां अंदर या बाहर कहीं नहीं लिखा है कि यह खुफ़िया विभाग का मुख्यालय है. लेकिन यहां ये बात शायद ही कोई रहस्य है.
इस इमारत के पास आने पर भी आप यह नहीं कह सकते कि यह एक संवेदनशील जगह है क्योंकि चंड़ीगढ़ के सेक्टर 9 में पंजाब पुलिस मुख्यालय के विपरीत, यहाँ केवल नाममात्र की सुरक्षा है.
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यहां ज्यादातर अधिकारी सिविल यूनिफॉर्म में काम करते हैं. ऐसे में एक आम आदमी के लिए यह अंदाजा लगाना आसान नहीं है कि इस इमारत के अंदर क्या है.
मैं पिछले कुछ वर्षों से अधिकारियों से मिलने के लिए इस इमारत के अंदर जाता रहा हूं और देखा है कि कार्यालयों में अधिकारियों की नेम प्लेट भी नहीं है. कमरे के बाहर सिर्फ़ नंबर लिखे हैं.
इस कार्यालय में मुख्य रूप से तीन अलग-अलग विंग के कार्यालय हैं- इंटेलीजेंस, ऑर्गनाइज्ड क्राइम कंट्रोल यूनिट (OCCU) और स्पेशल टास्क फोर्स (STF).
गैंगस्टरों के खिलाफ
ओसीसीयू के अधिकारी तीसरी मंजिल पर बैठते हैं, और पुलिस सूत्रों का कहना है कि तीसरी मंजिल पर हमले का मतलब था कि ओसीसीयू के अधिकारी निशाने पर हो सकते हैं.
ओसीसीयू इकाई विशिष्ट अपराध पर ध्यान केंद्रित करती है और हाल के वर्षों में मुख्य रूप से राज्य के गैंगस्टरों के खिलाफ काम कर रही है.
पिछले महीने ही मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राज्य के पुलिस प्रमुख वीके भंवरा को पंजाब से गैंगस्टर नेटवर्क का सफाया करने के लिए एक टास्क पोर्स गठित करने का निर्देश दिया था.
एंटी-गैंगस्टर टास्क फोर्स का नेतृत्व अतिरिक्त महानिदेशक रैंक का एक पुलिस अधिकारी करेगा.
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एक अलग खुफ़िया मुख्यालय क्यों?
पंजाब उन कुछ राज्यों में से एक है जहां एक अलग खुफ़िया मुख्यालय है.
सूत्रों ने बताया कि 2016 में अकाली-भाजपा सरकार के दौरान जब सुरेश अरोड़ा डीजीपी थे तब खुफ़िया अधिकारी इस इमारत में चले गए थे.
यह सुरेश अरोड़ा ही थे जो एक स्वतंत्र खुफ़िया मुख्यालय स्थापित करने का विचार लेकर आए थे.
अधिकारियों का कहना है कि खुफ़िया अधिकारी पुलिस मुख्यालय की अलग-अलग मंजिलों पर बैठते थे.
एक अधिकारी ने कहा, "कभी-कभी महत्वपूर्ण जानकारी लीक हो जाती थी. साथ ही स्पेशल ऑपरेशंस को लेकर कई संवेदनशील चीजें की जाती थीं. यह सब पुलिस मुख्यालय में सुरक्षित नहीं था क्योंकि पंजाब पुलिस मुख्यालय चंडीगढ़ पुलिस के अधिकार क्षेत्र में आता है. जब आप अपने क्षेत्र में हों तो यह सुरक्षित होता है."
"इन सभी कारणों से, यह निर्णय लिया गया कि खुफ़िया मुख्यालय पंजाब के अधिकार वाले एक अलग क्षेत्र में स्थित होना चाहिए."
अधिकारियों का कहना है कि हमलावरों को पता था कि अधिकारी देर शाम भी काम करते हैं, शायद इसी कारण यह हमला देर शाम पौने आठ के आस-पास हुआ.
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