क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

रेत-समाधि के लिए गीतांजलि श्री को बुकर प्राइज़ मिलने की तुलना मार्केज़ के उपन्यास से क्यों?

हिंदी लेखिका गीतांजलि श्री के उपन्यास 'टूंब ऑफ़ सैंड' को अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज़ से नवाज़ा गया है.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News

हिंदी लेखिका गीतांजलि श्री के उपन्यास 'टूंब ऑफ़ सैंड' को अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज़ से नवाज़ा गया है.

'टूंब ऑफ़ सैंड', गीतांजलि श्री के मूल हिंदी उपन्यास 'रेत-समाधि' का अनुवाद है. इसका अंग्रेज़ी अनुवाद मशहूर अनुवादक डेज़ी रॉकवेल ने किया है.

बुकर सम्मान मिलने के बाद अपनी थैंक्यू स्पीच में गीतांजलि श्री ने कहा, "मैंने कभी बुकर प्राइज़ जीतने की कल्पना नहीं की थी. कभी सोचा ही नहीं कि मैं ये कर सकती हूँ. ये एक बड़ा पुरस्कार है. मैं हैरान हूं, प्रसन्न हूं, सम्मानित महसूस कर रही हूं और बहुत कृतज्ञ महसूस कर रही हूं."

गीतांजलि श्री
PA Media
गीतांजलि श्री

राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित 'रेत समाधि' हिंदी की पहली ऐसी किताब है जिसने न केवल अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार की लॉन्गलिस्ट और शॉर्टलिस्ट में जगह बनायी बल्कि गुरुवार की रात, लंदन में हुए समारोह में ये सम्मान अपने नाम भी किया.

'रेत समाधि' 80 साल की एक वृद्धा की कहानी है.

इस प्रतियोगिता में बुक प्राइज़ के लिए पांच किताबें नामित थीं.

क़रीब 50 लाख रुपये की पुरस्कार राशि लेखिका और अनुवादक के बीच बराबर बांटी जाएगी.

लंदन में बीती रात हुए समारोह में 64 वर्षीय गीतांजलि श्री ने कहा कि वह और ये उपन्यास एशियाई भाषाओं की एक समृद्ध साहित्यिक परंपरा से जुड़े हुए हैं.

उन्होंने अपने संबोधन में यह उम्मीद भी जताई कि जैसे-जैसे दक्षिण भाषायी लेकर आगे आएंगे, विश्व साहित्य उन लेखकों से और समृद्ध होगा.

जिस समय गीतांजलि श्री को सम्मान मिला, उनके साथ रॉकवेल भी मंच पर मौजूद थीं. वह एक चित्रकार हैं, लेखिका और अनुवादक के तौर पर उनकी पहचान बुकर प्राइज़ से जुड़ चुकी है. इस दौरान उन्होंने इसे 'हिंदी भाषा के लिए प्रेम' के तौर पर ज़ाहिर किया.

https://twitter.com/TheBookerPrizes/status/1529932398309392399

ज्यूरी पैनल ने क्या कहा

बुकर प्राइज़ देने वाली संस्था ने कहा, "टूंब ऑफ़ सैंड इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार जीतने वाली किसी भी भारतीय भाषा में मूल रूप से लिखी गई पहली किताब है. और हिंदी से अनुवादित पहला उपन्यास. टूंब ऑफ़ सैंड उत्तर भारत की कहानी है जो एक 80 वर्षीय महिला के जीवन पर आधारित है. ये किताब ऑरिजिनल होने के साथ-साथ धर्म, देशों और जेंडर की सरहदों के विनाशकारी असर पर टिप्पणी है."

बुकर प्राइज़ के ज्यूरी सदस्य इस बात से सबसे अधिक प्रभावित हुए कि एक त्रासदी को गंभीरता से बयान करने के बजाय एक दूसरे स्वर में पेश किया गया है. जिसमें सबकुछ नया है और पूरी तरह से मूल है.

ज्यूरी पैनल ने कहा कि आख़िरकार, हम रॉकवेल के अनुवाद में गीतांजलि श्री की इस अपनेपन से भरे उपन्यास 'टूंब ऑफ़ सैंड' की बांधने की ताक़त, मार्मिकता और चुलबुलेपन से बेहद प्रभावित हो गए. उन्होंने कहा कि विभाजन पर लिखा गया यह एक बेहद अनूठा उपन्यास है.

इस उपन्यास में सबकुछ है. स्त्री है, स्त्रियों का मन है, पुरुष है, थर्ड जेंडर है, प्रेम है, नाते हैं, समय है, समय को बांधने वाली छड़ी है, अविभाजित भारत है, विभाजन के बाद की तस्वीर है, जीवन का अंतिम चरण है, उस चरण में अनिच्छा से लेकर इच्छा का संचार है, मनोविज्ञान है, सरहद है, कौवे हैं, हास्य है, बहुत लंबे वाक्य हैं, बहुत छोटे वाक्य हैं, जीवन है, मृत्यु है और विमर्श है जो बहुत गहरा है, जो 'बातों का सच' है.

सोशल मीडिया पर बधाइयों का तांता

अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार हर साल किसी ऐसी किताब को दिया जाता है जिसका अंग्रेज़ी में अनुवाद किया गया हो और जो आयरलैंड या ब्रिटेन में प्रकाशित हुई हो.

गीतांजलि श्री की यह कामयाबी हिंदी साहित्य जगत के लिए एक ऐसी उपबल्धि है जिसके लिए वो 'इंतज़ार' में था.

सीपीआईएमएल कविता कृष्णन ने ट्वीट किया है.."एतिहासिक क्षण..."

https://twitter.com/kavita_krishnan/status/1529974720338493440

जानकीपुल के मॉडरेटर प्रभात रंजन ने ट्वीट किया है- "1970 में ग़ाब्रिएल गार्सिया मार्केज़ के उपन्यास 'वह हंड्रेड ईयर्स ऑफ़ सॉलिट्यूड' के अंग्रेज़ी अनुवाद के प्रकाशन को लैटिन अमेरिकी साहित्य के लिए यह बहुत बड़ी घटना मानी जाती है. गीतांजलि श्री को इंटरनेशनल बुकर प्राइज़ मिलना हिंदी साहित्य के लिए उसी तरह की परिघटना हो सकती है."

https://twitter.com/prabhatranjann/status/1530011005807632385

अनुरंजन झा ने ट्वीट करके गीतांजलि श्री को बधाई दी है-

https://twitter.com/anuranjanj/status/1529953696381034501

राजदीप सरदेसाई ने भी ट्वीट करके गीतांजलि श्री और हिंदी जगत के तमाम लेखको को बधाई दी है.

https://twitter.com/sardesairajdeep/status/1530004064229990400

पेंग्विन ग्रुप की पब्लिशर मेरू गोखले ने भी गीतांजलि और अनुवादक को बधाई दी है.

https://twitter.com/MeruGokhale/status/1529999262725320705

अमिताभ मट्टू ने भी गीतांजलि को शुभकामना दी है.

https://twitter.com/amitabhmattoo/status/1530006031446597637

लेखिका बी रॉलेट ने ट्वीट किया है.

https://twitter.com/BeeRowlatt/status/1529933013357940736

राजकमल पब्लिकेशन ने भी अपनी ओर से लेखिका को हार्दिक बधाई दी है.

https://twitter.com/RajkamalBooks/status/1529933573175750656

गीतांजलि श्री - एक परिचय

गीतांजलि श्री पिछले तीन दशक से लेखन की दुनिया में सक्रिय हैं. उनका पहला उपन्यास 'माई' और फिर 'हमारा शहर उस बरस' 1990 के दशक में प्रकाशित हुए थे. फिर 'तिरोहित' आया और फिर आया 'खाली जगह'.

उनके कई कहानी संग्रह भी प्रकाशित हैं. वो स्त्री मन में, समाज के भीतर, समाज की परतों में बहुत धीरे धीरे दाखिल होती हैं और बहुत संभलकर उन्हें खोलती और समझती हैं.

उनकी रचनाओं के अनुवाद भारतीय भाषाओं के अलावा अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन सहित कई भाषाओं में हो चुके हैं. गीतांजलि श्री के उपन्यास 'माई' का अंग्रेजी अनुवाद 'क्रॉसवर्ड अवॉर्ड' के लिए भी नामित हुआ था.

ये भी पढ़ें

दुष्यंत कुमार ने जब अमिताभ बच्चन के बारे में की थी भविष्यवाणी

मन्नू भंडारी का लेखन और हम लेखिकाओं पर उनका असर

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Why is Gitanjali Shri getting the Booker Prize compared to Marquez's novel?
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X