सोना का दाम बढ़ क्यों रहा है, खरीदारों को क्या करना चाहिए ?
सोना का दाम बढ़ता ही जा रहा है। 10 साल में ही यह करीब 90 फीसदी बढ़ गया है। एक्सपर्ट बता रहे हैं कि यह स्थिति लगातार बनी रहने की संभावना है।
बीते मंगलवार को सोना का दाम अबतक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया। भारत में सोने का भाव प्रति 10 ग्राम 57,322 रुपए हो गया। जबकि, अक्टूबर में 10 ग्राम सोने की कीमत 50,000 रुपए के आसपास ही थी। मतलब तीन-चार महीने में सोना करीब 14% महंगा हो गया। सोना हमेशा निवेश के लिए बहुत ही उपयोगी माना जाता है। सोने के आभूषण बनाना भी एक तरह से निवेश ही रहा है। सोना खरीदारों और सोने में निवेश करने वाले लोगों के मन में कई तरह की आशंकाएं और सवाल हैं। मसलन, यह ट्रेंड क्यों है, कितना स्थाई है? अभी सोने में निवेश करना सही रहेगा या नहीं?
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सोने के दाम बढ़ क्यों रहे हैं ?
अगर 2022 के पहले 10 महीनों पर नजर डालें तो सोना का भाव प्रति 10 ग्राम 48,000 से लेकर 52,000 के बीच में था। लेकिन, पिछले तीन-चार महीनों में इसमें स्पष्ट रूप से बढ़ोतरी देखी जाने लगी है। यह ऐसे समय में हो रहा है कि दुनिया के कुछ विकसित अर्थव्यवस्था में मंदी का डर घर किया हुआ है, मुद्रास्फीति में गिरावट आई है और ब्याज दरों में बढ़ोतरी की गति धीमी हुई है। हालांकि कुछ लोगों को उम्मीद है कि 2023 में अमेरिकी फेडरल रिजर्व भी ब्याज दरों में कटौती कर सकता है, लेकिन फिर भी यह माना जा रहा है कि सोने की मांग बढ़ने वाली है, क्योंकि मंदी के दौरान लोग इसी में निवेश करना सुरक्षित मानते हैं।
भारत में सोने की कीमत में उछाल
जिन वैश्विक पहलुओं की चर्चा ऊपर की गई, भारत में उसके अलावा भी कुछ कारण हैं, जिसके चलते सोने का भाव चढ़ता जा रहा है। इसमें घरेलू मांग में बढ़तरी और डॉलर के मुकाबले रुपए में आई गिरावट शामिल है। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के कमोडिटी रिसर्च हेड हरीश वी नायर ने कहा, 'भारतीय बाजार में सोने की बहुत ज्यादा डिमांड है। कोविड के दौरान लोग टाल रहे थे, लेकिन पिछले 6 महीने में यह अच्छी हो गई है। यह भी है कि डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हुआ है, यह भारत में सोने का लागत बढ़ाता है, जिससे दाम ज्यादा हो रहे हैं। हमने देखा है कि जैसे ही कीमतें बढ़ती हैं, डिमांड और बढ़ती हैं, क्योंकि लोगों को लगता है कि कीमतें और बढ़ेंगी।'
क्या सोना का भाव और बढ़ेगा ?
सोना ऐसी चीज है, जिसका मूल्य साल-दर-साल बढ़ता ही गया है। पिछले 10 वर्षों में ही यह करीब 88% बढ़ गया है। आने वाले वर्षों में दाम और बढ़ने की संभावना है। नायर के मुताबिक आर्थिक और बाकी वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच सोने की कीमतों को लेकर आमतौर पर रुझान सकारात्मक है। ऐसे समय में जब फिक्स डिपॉजिट से होने वाली कमाई से ज्यादा मुद्रास्फीति हो जाती है और इक्विटी में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव हो रहा है, निवेशकों के लिए सोने में ही ज्यादा फायदा दिखता है। निवेशकों के पास आरबीआई का 98.21 टन सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड है, जिसका मौजूदा बाजार दर 56,296 करोड़ रुपए है। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड इन इंडिया के टेडा के मुताबिक पिछले महीने तक निवेशकों के पास म्यूचुअल फंड का 21,455 करोड़ रुपए का गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) भी था।
खरीदारों को क्या करना चाहिए ?
एक्सपर्ट का कहना है कि निवेशकों को अपने ऐसेट अलोकेशन के अनुसार सोने में निवेश जारी रखना चाहिए और लंबे समय के लिए निवेश करना है तो गोल्ड ETF और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का विकल्प चुनना चाहिए। एक्सपर्ट की स्पष्ट राय है कि यदि सोना आभूषणों के लिए नहीं खरीद रहे हैं तो इसपर निवेश पेपर के फॉर्म में करना ठीक है, क्योंकि यह सस्ता भी है और इसे रखने का जोखिम भी कम है। जहां ETF निवेशकों को वास्तविक रूप से सोना रखने की आवश्यकता को दूर करता है, वहीं कई लोग आरबीआई के गोल्ड बॉन्ड को अपनाते हैं, क्योंकि इसमें 2.50% का वार्षिक ब्याज भी मिल जाता है। आरबीआई के पास 785.35 मीट्रिक टन सोना जमा है।
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भारत में सोने की ज्यादा मांग का क्या कारण है ?
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में सोने की 50% की डिमांड भारत से पैदा होती है। दरअसल देश की आबादी में मध्यम वर्ग की जनसंख्या को देखते हुए यह इसका वाजिब कारण लगता है। भारत की बड़ी आबादी में सोने की मांग दोनों तरह से ज्यादा है- आभूषण के तौर पर इस्तेमाल के लिए और निवेश के इरादे से। 2009 से पहले तक भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता था, लेकिन तब चीन सबसे बड़ा बन गया। 2021 में भारत ने 611 टन सोने के आभूषण खरीदे। इससे सिर्फ चीन आगे था, जिसने 673 सोने का आभूषण खरीदा था।