पाकिस्तान: रणजीत सिंह की मूर्ति तोड़ने वाले मोहम्मद रिज़वान ने भारत में क्यों घुसने की कोशिश की?
24 साल के मोहम्मद रिज़वान मध्य पंजाब के बरलेवी मुस्लिम समुदाय से आते हैं. वे अपने पिता की दुकान के कामकाज में हाथ बंटाया करते थे. आठवीं कक्षा के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी थी.
"मेरे बेटे ने जब ये सुना कि बीजेपी की एक महिला नेता ने हमारे पैगंबर के ख़िलाफ़ ईशनिंदा की है तो उसने लगभग पूरी तरह से खाना बंद कर दिया था, बहुत शांत भी हो गया था."
उदासी भरे स्वर में मोहम्मद अशरफ़ ने अपने बेटे के बारे में ये जानकारी दी. उनके बेटे मोहम्मद रिज़वान को 16-17 जुलाई की मध्यरात्रि में भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ़) के जवानों ने राजस्थान के हिंदूमलकोट इलाक़े से तब गिरफ़्तार किया था, जब वह कथित रूप से भारतीय सीमा में घुसने की कोशिश कर रहा था.
भारतीय पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, रिज़वान के पास से दो चाकू, कुछ धार्मिक किताबें, कुछ खाने का सामान और कपड़े बरामद हुए हैं.
बाद में पुलिस ने दावा किया कि 24 साल के मोहम्मद रिज़वान पैगंबर मोहम्मद को लेकर विवादास्पद बयान देने के चलते भारतीय जनता पार्टी की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा की हत्या की योजना के साथ पाकिस्तान से भारत आए थे.
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नूपुर शर्मा के बयान को लेकर ना केवल भारत में विवाद हुआ था, बल्कि दुनिया के कई मुस्लिम देशों ने भी इसको लेकर काफ़ी आपत्ति जताई थी. दुनिया भर से विरोध होने के बाद ही उन्हें पार्टी ने प्रवक्ता पद से हटाया और उन्होंने अपने बयान को लेकर खेद जताया.
धार्मिक प्रायश्चित का बोल कर भारत चले गए
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मंडी बहाउद्दीन ज़िले के छोटे से गांव खुथियाला शाइखान के मोहम्मद रिज़वान को शायद ही इन सबकी जानकारी मिली हो.
उनके पिता अशरफ़ की गांव में भी इलेक्ट्रॉनिक सामानों की मरम्मत की दुकान है. उन्होंने बताया कि पिछले कुछ सप्ताह से दुकान से जुड़े कामों में उनके बेटे की कोई दिलचस्पी नहीं थी.
बकरीद से कुछ दिनों पहले ही रिज़वान अपनी अम्मी से कहीं बाहर जाने की बात करने लगे थे. वे कहां जाना चाहते थे, इसकी कोई जानकारी उन्होंने नहीं दी थी लेकिन बाहर जाने की मंज़ूरी मांगने लगे थे.
कुछ दिनों तक मां-बेटे में इस बात को लेकर कहासुनी भी हुई. मां के बहुत पूछने पर रिज़वान ने बताया कि वह चिल्ला जाना चाहता है. चिल्ला यानी प्रायश्चित के इरादे से 40 दिनों का इस्लामी अध्यात्मिक दंड.
अशरफ़ के मुताबिक, चूंकि उनका बेटा काफ़ी धार्मिक था, इसलिए मां ने जाने की मंज़ूरी दे दी.
अशरफ़ कहते हैं, "अगर हमें मालूम होता कि वह कहां जाने वाला है, तो हम उसे कभी अपनी जान जोख़िम में डालने के लिए नहीं जाने देते. लेकिन पैगंबर मोहम्मद के प्रति उसकी निष्ठा सबसे बड़ी चीज़ थी."
अशरफ़ को अब वो बात भी याद आती है, जो रिज़वान ने अपने एक दोस्त को बकरीद पर बुलाने पर कही थी. रिज़वान ने अपने दोस्त को कहा था कि उसे नहीं मालूम है कि ईद के दिन वह कहां होगा.
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तहरीक-ए-लबैक से नाता
24 साल के मोहम्मद रिज़वान मध्य पंजाब के बरलेवी मुस्लिम समुदाय से आते हैं. वे अपने पिता की दुकान के कामकाज में हाथ बंटाया करते थे. आठवीं कक्षा के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी थी.
उन्होंने बचपन में कुरान को याद करने की कोशिश की थी लेकिन वे ऐसा नहीं कर सके. अशरफ़ का दावा है कि उनके बेटे पर तहरीक-ए-लबैक (टीएलपी) पाकिस्तान के विचारों का असर था.
टीएलपी एक दक्षिणपंथी ईशनिंदा विरोधी पार्टी है, जिसने पैगंबर मुहम्मद के सम्मान के मुद्दे पर काफ़ी प्रचार किया है. टीएलपी सड़कों पर शक्ति प्रदर्शन और अति सक्रियता दिखाने के लिए भी जाना जाता है.
पिछले एक दशक में देश के भीतर धार्मिक लोक लुभावने वादे और कट्टरवाद की एक नई लहर को भड़का कर यह पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ी आंतरिक सुरक्षा चुनौती बनकर उभरा है.
पिछले कुछ सालों में टीएलपी ने कई कामयाबी भरे प्रदर्शन करके सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर किया है. इसके चलते वह पाकिस्तान में एक मजबूत राजनीतिक ताक़त बनकर भी उभरा है.
पिछले साल पाकिस्तान के अधिकारियों ने इस संगठन पर पाबंदी लगा दी थी लेकिन कुछ महीने के बाद पाबंदी हटा ली गई थी.
अशरफ़ ने कहा कि उनका बेटा रिज़वान ख़ासकर मौलाना खादिम रिज़वी के भाषणों से प्रभावित था और उनके संबोधन को लगातार सुनता था. ख़ादिम रिज़वी तहरीक-ए-लबैक के संस्थापक थे और उनका निधन हो चुका है.
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महाराजा रणजीत सिंह की मूर्ति पर हमला
वैसे ये पहला मौक़ा नहीं है जब रिज़वान सुर्खियों में आए हैं. पिछले साल उन्हें लाहौर में पंजाब के पूर्व सिख शासक महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा पर लगातार हमले करने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था.
यह प्रतिमा पाकिस्तान के पूर्वी शहर के अधिकारियों ने पूर्व शासक की समाधि पर 2019 में स्थापित की थी.
अशरफ़ बताते हैं कि उनके बेटे ने मौलाना ख़ादिम रिज़वी का वह भाषण सुना, जिसमें उन्होंने कहा था कि रणजीत सिंह के शासन काल में मुस्लिम महिलाओं की इज़्ज़त लूटी गई और मुसलमानों की हत्या हुई.
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अशरफ़ ने बताया, "वह तब काफ़ी दुखी हुआ था. प्रतिमा का लगना, उसकी विचारधारा के ख़िलाफ़ था, इसलिए उसने उसे तोड़ा और इसके लिए गिरफ़्तार भी हुआ."
"मेरा उससे झगड़ा भी हुआ था. मैंने उससे कहा था कि इन सबसे दूर रहो लेकिन वह लगातार कहता रहा कि शेर-ए-पंजाब तो केवल मुस्लिम सूफ़ी संत दाता गंज बख़्श साहिब को कहा जा सकता है, किसी और को नहीं."
सैय्यद अली हाजवेरी उर्फ़ दाता गंज बख़्श साहेब, 11वीं शताब्दी के सुन्नी मुस्लिम फक़ीर थे, जिनकी कब्र लाहौर में है और दक्षिण एशिया के लाखों मुसलमान उनका सम्मान से याद करते हैं.
उस मामले में रिज़वान कुछ समय तक जेल में रहे और बाद में ज़मानत पर रिहा किए गए. पंजाब प्रांत के अधिकारियों ने प्रतिमा की मरम्मत कराई. मोहम्मद अशरफ़ बताते हैं कि रिज़वान के जेल से लौटने के बाद वे उसे लेकर कई मनोचिकित्सकों के पास गए, लेकिन किसी ने भी दवा देने के अलावा कुछ और नहीं किया.
रिज़वान का क्या होगा?
अशरफ़ बताते हैं कि उन्हें रिज़वान के गिरफ़्तारी की ख़बर सोशल मीडिया से मिली और अभी तक उसकी आधिकारिक पुष्टि भी नहीं हुई है. बेटे के भविष्य को लेकर उन्हें कुछ भी मालूम नहीं है.
"बेटे की याद में, मैं और मेरी बीवी दोनों तड़पते हुए एक दूसरे को सांत्वना देने की कोशिश करते हैं कि उसने ऐसा पैगंबर मोहम्मद के प्रेम में किया है. लेकिन जब हमारे जवान बेटे का जीवन संकट में हो तो कोई सांत्वना काम नहीं आती."
"पुलिस हमें परेशान कर रही है. वे हमसे पूछताछ करते हैं, रिज़वान के बारे में पूछते हैं. हम लोग गांव के सामान्य लोग हैं. मेरे बेटे ने मूर्खता की है, लेकिन उसने जो भी किया है वह पैगंबर मोहम्मद की इबादत में किया है."
हालांकि भारत सरकार की ओर से इस मामले में अभी तक आधिकारिक तौर पर पाकिस्तान से संपर्क नहीं किया गया है. पाकिस्तान सरकार ने भी अब तक आधिकारिक तौर पर इस घटना पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
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