कोरोना के दौरान दुनिया में डॉक्टर भेजने वाले क्यूबा का स्वास्थ्य ढांचा आखिर कैसे ढह सा गया?
अपने सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचा के लिए पूरी दुनिया में मशहूर क्यूबा की हालत 2021 में बहुत दयनीय हो गई है. स्थिति यह है कि आज यह देश रोज सामने आ रहे मामलों के लिहाज से पूरी दुनिया में दूसरे नंबर पर है
"मैं इस समय जिस पीड़ा से गुज़र रहा हूँ, उसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता. कोई सोच भी नहीं सकता कि हम अपने घर में कितना दुख भोग रहे हैं."
पश्चिमी क्यूबा में मातनज़ास के लेनियर मिगुएल पेरेज़ ने बताया कि उन्हें नहीं पता कि वे कैसे जिंदा रहने वाले हैं.
दो सप्ताह के भीतर वे कोविड-19 से पीड़ित अपने चार साल के बेटे के लिए अस्पताल खोज रहे थे. इसी दौरान उनकी गर्भवती पत्नी लिडा रिवेरो अपने अजन्मे दूसरे बच्चे के साथ इस बीमारी से चल बसीं. इस तरह, इस महामारी ने पेरेज़ को अब एक विधुर और शोकाकुल पिता बना दिया.
उन्होंने बीबीसी को बताया, "उन सबको एक ही समय और एक ही दिन खोना बहुत बड़ा दुख था."
लेकिन क्यूबा में, जो कभी इस महामारी के खिलाफ जूझने में सबसे आगे थे, उनकी निजी त्रासदी अब बहुत आम बात हो गई है.
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'दुनिया के 40 देशों में सफेद कोट की सेना'
करीब साल भर पहले, क्यूबा के डॉक्टर को दुनिया के पांच महादेशों के करीब 40 देशों में कोरोना से पीड़ित मरीजों का इलाज करने को भेजा गया था. इससे इन डॉक्टरों की नायकों जैसी छवि बन गई थी.
इस द्वीपीय देश की तथाकथित 'सफेद कोट की सेना' को कोविड महामारी से तबाह हुए दूसरे देशों की मदद के लिए भेजी गई थी. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के लिए मशहूर क्यूबा की यही छवि थी. लेकिन इसके केवल 12 महीने बाद, क्यूबा का स्वास्थ्य ढांचा अब ढह सा गया है. 2020 में वायरस को सफलतापूर्वक नियंत्रण में रखने के बाद, अब इस कैरेबियाई देश में रोजाना के मामलों की दर पूरी दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी है.
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार किए गए डेटाबेस 'आवर वर्ल्ड इन डेटा' के अनुसार, हर 10 लाख लोगों पर मिल रहे नए मामलों के मामले में यह देश अब केवल फिजी से ही पीछे है.
एक अगस्त को, क्यूबा में आधिकारिक तौर पर 9,279 नए मामले दर्ज किए. इस दिन वहां 94 हजार से ज्यादा लोग अस्पताल में भर्ती हुए, जबकि इस दिन 68 मौतें हुईं.
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स्वास्थ्य मंत्रालय के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार देश में इस महामारी से अब तक केवल 3,000 से अधिक मौत हुई है. हालांकि विपक्ष का कहना है कि वास्तव में ये संख्या कहीं अधिक होने की आशंका है.
खाली दवा दुकान और मरीजों से भरे अस्पताल
कोरोना के संक्रमण में आई यह तेजी मेडिकल स्टाफ और अस्पतालों पर बहुत भारी पड़ रही है.
लेनियर पेरेज़ ने बताया कि उन्हें जून के अंत में अपने चार साल के बेटे के लिए अस्पताल में बेड खोजने में एक दिन से अधिक इंतज़ार करना पड़ा.
पेरेज़ को ऐसी ही समस्याओं से तब भी दो-चार होना पड़ा, जब कुछ दिनों बाद उनकी दिवंगत पत्नी भी बीमार पड़ गई और उनकी सेहत लगातार खराब होने लगी. उनका दावा है कि लिडा को खचाखच भरे केयर यूनिट में भर्ती कराया गया.
उन्होंने दावा किया, "वहां वो भूख, दर्द और बेचैनी से गुज़री. उसे ठंडे पानी से नहाया गया. इससे उसे निमोनिया हो गया और इसका पता उसकी मौत से ठीक पहले चला.''
"अस्पताल में उसके बेड पर ही गर्भवती महिलाओं की देखभाल की गई, क्योंकि कहीं और जगह थी ही नहीं."
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सोशल मीडिया पर हाल के महीनों में जारी हुए फ़ोटो और वीडियो में दिखा कि वहां की फ़ार्मेसी खाली है और अस्पतालों के गलियारों में मरीजों की भीड़ खचाखच भरी हुई है.
बीबीसी ने क्यूबा के कई लोगों से बात की, जिन्होंने बताया कि जरूरी मेडिकल सुविधा न मिलने के चलते उनके रिश्तेदारों की घर पर ही मौत हो गई.
हाल में, क्यूबा के लोगों ने सोशल मीडिया पर हैशटैग #SOSCuba के साथ कई पोस्ट डाले. इनमें क्यूबा की गंभीर स्थिति बताते हुए दुनिया से मदद का आह्वान किया गया.
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इस संकट ने टीकाकरण की मुहिम को भी प्रभावित किया है. क्यूबा में विकसित दो टीकों की मंजूरी मिलने के बावजूद, सीरिंज जैसी बुनियादी चीजों के मिलने में परेशानी होने से क्यूबा में टीकाकरण अभियान शुरू करने में परेशानी झेलनी पड़ी.
पर ऐसे हालात बने कैसे?
जानकारों ने बीबीसी को बताया कि इस महामारी ने हालांकि कई देशों की स्वास्थ्य सेवाओं को चरमरा दिया, लेकिन क्यूबा में 'संरचनात्मक समस्याओं' के कारण स्थिति और अधिक गंभीर हो गई. इस स्थिति से वह महामारी से पहले भी दो-चार हो चुका था.
क्यूबा में स्वतंत्र शोध करने वाले और स्वास्थ्य मंत्रालय के पूर्व सलाहकार डॉ. रोडोल्फो स्टसर ने बताया कि कोविड-19 समस्याओं के जाल की आखिरी कड़ी साबित हुआ है.
हालांकि क्यूबा की सरकार ने मौजूदा स्थिति के लिए उस पर करीब 60 सालों से लगाए गए अमेरिकी आर्थिक प्रतिबंधों को जिम्मेदार बताया है. दूसरी ओर, अमेरिकी सरकार ने इस बात से इनकार किया है कि मौजूदा संकट के पीछे उसके लगाए प्रतिबंधों का हाथ है.
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने बीबीसी को बताया, "संयुक्त राज्य अमेरिका का प्रतिबंध भोजन, दवा और अन्य मानवीय सामानों को क्यूबा तक पहुंचने से नहीं रोकता. और हम क्यूबा से मिलने वाले किसी भी मानवीय या मेडिकल मदद के अनुरोध को तेजी से देखते हैं.''
"अमेरिका ने सिर्फ 2020 में क्यूबा को 17.6 करोड़ डॉलर का माल निर्यात किया है. इसमें क्यूबा के लोगों की मदद के लिए भेजे गए भोजन और दवा शामिल हैं."
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ढहता बुनियादी ढांचा
मियामी विश्वविद्यालय में स्वास्थ्य नीति और स्वास्थ्य प्रबंधन विभाग के प्रमुख और क्यूबा की स्वास्थ्य प्रणाली के जानकार स्टीवन उलमैन ने बताया कि मौजूदा संकट महामारी से पहले से ही जाहिर एक बड़ी समस्या को उजागर करती है.
वे कहते हैं, "उनके पास प्राथमिक चिकित्सा की एक बहुत सोची-समझी और विकसित व्यवस्था है. वे अपेक्षाकृत प्रभावी ढंग से अपना खुद का दवा का सेक्टर बनाने में भी कामयाब रहे हैं."
उनके अनुसार, "लेकिन एक अच्छी स्वास्थ्य प्रणाली के लिए जरूरी बुनियादी ढांचा उनके पास नहीं है."
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'क्यूबा के सहयोगियों का पतन मुख्य कारण'
स्टीवन उलमैन बताते हैं कि दशकों से क्यूबा के मुख्य सहयोगी रहे सोवियत संघ के पतन ने एक आर्थिक संकट को जन्म दिया. इस चलते स्वास्थ्य क्षेत्र में पर्याप्त निवेश नहीं हो पाया.
हाल के दिनों में, इसके प्रमुख सहयोगी वेनेजुएला में भी आर्थिक संकट आया, जिसने क्यूबा में निवेश की संभावनाओं को प्रभावित किया है.
वे कहते हैं, "इन वजहों से क्यूबा का स्वास्थ्य ढांचा अनिवार्य रूप से ध्वस्त हो गया."
उलमैन के अनुसार, "क्यूबा के अधिकांश अस्पताल खराब स्थिति में हैं. किसी भी अस्पताल में रहने वाले कई बुनियादी उत्पादों की काफी कमी है. ऐसे उत्पादों में, एक्स-रे या सीरिंज से लेकर एस्पिरिन जैसी बुनियादी दवाएं भी शामिल हैं."
क्यूबा की कम्युनिस्ट पार्टी के आधिकारिक समाचार पत्र 'गिरोन' से बात करते हुए, मातनज़स शहर के स्वास्थ्य निदेशालय के एक दवा विशेषज्ञ बीट्रीज़ अल्वारेज़ ऑर्टिज़ ने माना कि कोविड-19 मामलों के इलाज के लिए जरूरी पेरासिटामोल या इबुप्रोफेन की कमी का कारण 'कच्चे माल की कमी' था.
उन्होंने यह भी बताया कि कोरोनो के मरीजों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं में से एक 'इंटरफेरॉन' का सभी मामलों में इस्तेमाल नहीं हो सकता, क्योंकि इसकी मांग आपूर्ति से कहीं ज्यादा है.
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एंटीबायोटिक्स की कालाबाज़ारी
कोविड-19 के इलाज में काम आने वाली एंटीबायोटिक दवाइयों की कमी से जूझ रहे क्यूबा के नागरिकों ने अपने सोशल नेटवर्क और सोशल मीडिया का सहारा लिया. यहां तक कि इसके लिए ब्लैक मार्केट से ऊंची कीमत चुकाकर इन दवाओं को हासिल किया.
बीबीसी ने कोविड-19 से पीड़ित एक रोगी के रिश्तेदारों से बात की. उन्होंने बताया कि एज़िथ्रोमाइसिन की छह गोलियों के लिए लगभग 66 डॉलर का का भुगतान करना पड़ा. यह एक ऐसी एंटीबायोटिक दवा है, जिसे क्यूबा के डॉक्टर कोरोना के इलाज के लिए लिख रहे हैं, लेकिन ज्यादातर अस्पतालों में इसकी आपूर्ति जरूरत से कम है.
ऑस्ट्रेलिया में रॉयल मेलबर्न इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर और क्यूबा स्वास्थ्य प्रणाली पर एक किताब लिखने वाली एलिजाबेथ कैथ का कहना है कि डॉक्टरों के लिए कम वेतन की भी समस्या है.
वे कहती हैं, "स्वास्थ्य प्रणाली पहले से कठिन दौर से गुजर रही थी. इसका एकमात्र जिम्मेदार कारक कोविड-19 नहीं है."
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उनके अनुसार, "यह ठीक है कि क्यूबा एक अमीर देश नहीं है और उसकी दिक्कतों को बढ़ाने में अमेरिकी प्रतिबंध की बड़ी भूमिका है. लेकिन उसकी स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ाने में उसकी कई आंतरिक कमजोरियां भी जिम्मेदार हैं."
टेस्टिंग और खाने-पीने के लिए लगती लंबी कतारें
महामारी का प्रसार रोकने के लिए लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद, क्यूबा के लोगों को खाने-पीने और अन्य जरूरी सामानों को खरीदने के लिए कतारों में लगना पड़ा. इससे बीमारी के फैलाव को बढ़ावा मिला.
कोरोना की कठोर स्क्रीनिंग रणनीति विकसित करने वाले इस देश में कोरोना टेस्टिंग की अपनी सीमा है. यहां मुख्य रूप से पीसीआर किट ही उपलब्ध हैं. इस चलते यहां लोगों को जांच कराने के लिए कई घंटे या पूरे दिन कतार में खड़ा रहना पड़ा.
वहां की लगभग पूरी आबादी को केवल बुनियादी फैब्रिक मास्क ही उपलब्ध हैं. वहीं साबुन और सैनेटाइजर जैसे उत्पाद तो दुर्लभ हैं.
इसके अलावा, क्यूबा की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर बहुत अधिक निर्भर है. विशेषज्ञों का कहना है कि 'पैकेज पर्यटकों' के लिए सीमाओं को आंशिक रूप से खोलने के सरकार के निर्णय से देश में कोरोना के नए और अधिक संक्रामक वैरिएंट्स को घुसने में मदद मिली.
और आखिर में, जानकारों की राय है कि अमीर देशों से विकासशील देशों को मदद के रूप में मिलने वाली वैक्सीन वाले 'कोवैक्स कार्यक्रम' में क्यूबा का भाग लेने से इनकार करने का भी उस पर खराब असर पड़ा है. क्यूबा ने इस कार्यक्रम में शामिल होने की बजाय अपने देश में विकसित टीके पर भरोसा करने का फैसला किया.
इस चलते, क्यूबा अपने टीकाकरण अभियान को शुरू करने में काफी पीछे रहा. अपने देश में टीकाकरण शुरू करने वाला वह अमेरिकी महादेश का अंतिम देश रहा.
बीबीसी ने क्यूबा के स्वास्थ्य मंत्रालय और उसके दो प्रांतों के स्वास्थ्य अधिकारियों से उनका पक्ष जानने के लिए संपर्क किया, लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिल पाया.
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